पंजाब में हैपेटाइटस सी का सीरो-प्रकोप 3.3 फीसद
हैपेटाइटस भारत की आम सेहत संबंधी समस्याओं में से एक है। डब्लयूएचओ का अनुमान है कि भारत में लगभग चार करोड़ लोग हैपेटाइटस बी के क्रोनिक मरीज है और 60 लाख से 1.2 करोड़ लोगों को हैपेटाइटस सी की क्रोनिक समस्या है।
जागरण संवाददाता, जगराओं : हैपेटाइटस भारत की आम सेहत संबंधी समस्याओं में से एक है। डब्लयूएचओ का अनुमान है कि भारत में लगभग चार करोड़ लोग हैपेटाइटस बी के क्रोनिक मरीज है और 60 लाख से 1.2 करोड़ लोगों को हैपेटाइटस सी की क्रोनिक समस्या है। आंकड़े बताते है कि भारत में हर वर्ष 2.50 लाख लोग वायरल हैपेटाइटस या इसके परिणाम में पैदा समस्याओं से मर जाते है। पंजाब की स्थिति तो ज्यादा चिताजनक है। इसको भारत की वायरल हैपेटाइटस की राजधानी कहा जाता है। इस संबंधी डा. अजीत सूद गैस्ट्रोलोजी विभाग मुखी डीएमसीएच लुधियाना ने कहा कि हैपेटाइटस सी वायरस का सीरो प्रकोप पंजाब में 3.3 प्रतिशत है, जबकि पूरे भारत में यह एक फीसद है।
डा. सूद ने बताया कि पंजाब सरकार ने जून 2016 में एक बड़ी पहल करते हुए हैपेटाइटस सी के मरीजों के इलाज का मुफ्त प्रावधान किया। इस मौके पर केंद्र सरकार ने भी जुलाई 2019 में इस पालिसी पर अमल किया। शुरुआती दौर में इन मरीजों का निदान करना आज भी एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। वायरल हैपेटाइटस लीवर को संक्रमित करता है। यह धीरे-धीरे लीवर में सोजिश पैदा करता है और उसको नुकसान पहुंचा देता है। वर्तमान में पांच तरह के वायरल हैपेटाइटस है- हैपेटाइटस ए, बी, सी, डी व ई। हैपेटाइटस ए व ई का कारण पीने वाले पानी व भोजन का दूषित होना है। हैपेटाइटस बी व सी के कई कारण है जैसे कि संक्रमित सुई, सरिज का उपयोग, सक्रमित खून चढ़ाना, संक्रमित सुई से टैटू बनाना, संक्रमित व्यक्ति से लिगी संबंधी व यह संक्रमित माता से नवजात शिशु में भी फैलता है। किसी मरीज को केवल हैपेटाइटस डी नहीं होता है। यह हैपेटाइटस बी के मरीजों में पाया जाता है। हैपेटाइटस बी व सी का संक्रमण क्रोनिक समस्या है जिसके लक्ष्ण लंबे समय तक नहीं सामने आते है। जल्दी पता न लगने व समय से इलाज न होने के परिणाम में सिरोसिस या कैंसर जैसा जानलेवा बीमारी हो सकती है।