बच्चों को सिख इतिहास से जोड़ें: जत्थेदार
श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने कहा कि हिंद की चादर श्री गुरु तेग बहादुर साहिब ने मुगल बादशाह औरगंजेब के जबर जुल्म का विरोध करते हुए शहादत तो पा लीं, लेकिन उसके मुस्लिम धर्म ग्रहण करने के आदेश को मानने से साफ मना कर दिया।
संस, लुधियाना : श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने कहा कि हिंद की चादर श्री गुरु तेग बहादुर साहिब ने मुगल बादशाह औरगंजेब के जबर जुल्म का विरोध करते हुए शहादत तो पा लीं, लेकिन उसके मुस्लिम धर्म ग्रहण करने के आदेश को मानने से साफ मना कर दिया। सिंह साहिबान ने कहा कि आज जरूरत इस बात की है कि हम अपने बच्चों को सिख इतिहास व विरासत से जोड़ने का प्रयास करें। वह गुरुद्वारा दुख निवारण साहिब में आयोजित गुरु तेग बहादुर जी के शहीदी दिवस समागम को संबोधित कर रहे थे।
जत्थेदार ने कहा कि आपने हमेशा सुना होगा कि किसी व्यक्ति ने अपने या परिवार के लिए कुर्बानी दी, लेकिन गुरु तेग बहादुर जी ने सनातन धर्म और कश्मीरी पंडितों की रक्षा के लिए अपने प्राण दे दिए। ऐसे उदाहरण इतिहास में कम ही मिलते हैं। सिख पंथ के साथ सनातन धर्म को भी गुरु तेग बहादुर जी के शहीदी दिवस को श्रद्धा के साथ मनाना चाहिए। इस मौके पर गुरुद्वारा साहिब के मुख्य सेवादार प्रितपाल सिंह ने जत्थेदार हरप्रीत सिंह को सिरोपा और मोमेंटो प्रदान कर सम्मानित किया।
समागम में सिख पंथ के महान रागी जत्थे भाई सुखवंत सिंह, भाई सुखविंदर सिंह, भाई दविंदर सिंह, भाई कुलदीप सिंह और भाई जबरतोड़ सिंह गुरवाणी व शबद कीर्तन कर संगत को गुरु के साथ जुड़ने का आह्वान किया। इस अवसर पर अवतार सिंह, गुरप्रीत सिंह विंकल, जितेंद्र सिंह रोबिन, रणदीप सिंह डिपल, बीबी रजिंदर कौर, गुरमीत ¨सह मैणी, अर्शदीप सिंह, हरदीप सिंह, कंवलप्रीत सिंह, परमजीत सिंह, कुलविंदर सिंह शटी, सतिंदरपाल रिपी, सतनाम सिंह, रतन सिंह आदि उपस्थित थे।