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तन और मन को संयम में रखना जरूरी: अचल मुनि

एसएस जैन स्थानक शिवपुरी में चातुर्मास सभा में गुरुदेव ने प्रवचन किए।

By JagranEdited By: Published: Tue, 29 Oct 2019 05:30 AM (IST)Updated: Tue, 29 Oct 2019 06:28 AM (IST)
तन और मन को संयम में रखना जरूरी: अचल मुनि
तन और मन को संयम में रखना जरूरी: अचल मुनि

संस, लुधियाना : एसएस जैन स्थानक शिवपुरी के तत्वावधान में गुरु अचल मुनि ने मानव महल की रचना करते कहा कि महल बन रहा है। जब महल हो तो आज के जमाने में कार की भी जरूरत नहीं है, चाहे वो कार लोन पर ही क्यों न हो। आज कार रखने का भी एक फैशन सा बन गया है, पर बढ़ती हुई कारों की संख्या से आज वातावरण भी प्रदूषित हो रहा है। सरकार भी चितित है, पर मानव महल में भी आज हमें संयम रुपी कार लानी है। बिना संयम के मानव का जीवन बेकार है। आज के युग में संयम की जरूरत है। बिना संयम खतरे ही खतरे हैं। संयम का अर्थ है संतुलन। इस तन व मन दोनों को संयम में रखना जरूरी है। जिस तरह स्प्रिंग होता है, वैसे ही ये मन है, जो उछलता रहता है। स्प्रिंग को कितनी देर दबाकर रखोगे। स्प्रिंग यानि मन। आदमी का मन भी चंचल है। वह कभी टिकता नहीं। वह घड़ी के पेंडूलम की तरह भटकता ही रहता है। तन कहीं ओर होता है और मन कहीं ओर। तन मंदिर में भी होता है तो मन भोजन शाला के चक्कर लगाता रहता है। मन मंदिर में भगवान की कृपा पाने जाएं। यह तो ठीक है, लेकिन उसने तो मंदिर को ही अखाड़ा बना डाला है। उन्होंने कहा कि अगर आप विद्यार्थी है तो मेरी एक नसीहत ध्यान रखिए। दसवीं और बारहवीं कक्षा के इन सालों में सोइए मत। रात दिन पढि़ए, क्योंकि ये ही दो साल हैं, जहां से करियर बनता है। यदि यह दो वर्ष सोने में निकाल दिए तो फिर जिदगी भर जागना ही जागना है।

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अतिशय मुनि ने रामायण की व्याख्या करते हुए कहा कि प्रभु श्री राम का नाम जिस पत्थर पर लिखा गया तो पत्थर तर गए। इसी प्रकार गुरु का नाम जिस मानव के मन में लिखा गया वो कभी डूबेगा नहीं।


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