जन्म देने वाली नहीं पर मंदबुद्धि बच्चों को जीवन देने वाली ‘मां’ हैं गुरप्रीत Ludhiana News
गुरप्रीत कौर ने बताया कि इन 50 बच्चों को अकादमिक खेल रेगुलर लिविंग एक्टिविटी सामान्य ज्ञान व रहन-सहन के तरीके सिखाए जाते हैं ताकि वे अपने परिवार के साथ सामान्य जीवन जी सकें।
जगराओं, [बिंदु उप्पल]। हरेक मां चाहती है कि वह एक तंदरूस्त बच्चे को जन्म दे। गर्भ से किसी बीमारी से पीड़ित होना न मां के बस में है, न बच्चे के। ऐसी बीमारी से पीड़ित होने पर मां और बच्चा दोनों को उम्र भर परेशानी का सामना करना पड़ता है। बस जरूरत है मंदबुद्धि बच्चों की मानसिकता को समझते हुए उनकी देखभाल करना है। यह कहना है गुरप्रीत कौर का। गुरप्रीत ने अपने प्यार, दुलार से अब तक कई मंदबुद्धि बच्चों को तंदुरुस्त कर दिया है और आज भी वे अपने मिशन में जुटी हुई हैं। हालत यह है कि बच्चों का उनसे इतना लगाव हो गया है कि वे उनको मां कह कर बुलाते हैं। लक्ष्य संस्था की फाउंडर गुरप्रीत कौर निवासी साहनेवाल ने बताया कि वह कैंसर की बीमारी से पीड़ित थी और तब वह प्रयास नाम की संस्था के मंदबुद्धि बच्चों की देखभाल करने की नौकरी करती थी। गुरप्रीत के अनुसार जब उसने कैंसर की बीमारी के कारण छुट्टी ली तो मंदबुद्धि बच्चे हमेशा फोन पर यह कहते कि मैडम आप हमारे पास आ जाओ, आप ठीक हो।
मंदबुद्धि बच्चों की पुकार सुन गुरप्रीत कौर अपनी कैंसर की बीमारी भूल गई। एक वर्ष कैंसर का इलाज करवाने के बाद गुरप्रीत कौर ने सोच लिया कि मंदबुद्धि बच्चों की दुआओं के कारण उसे नया जीवन मिला है और अपनी संस्था बनाकर ऐसे बच्चों की देखभाल करूंगी। तब गुरप्रीत ने अपने घर में ही लक्ष्य स्कूल बना लिया और एक मंदबुद्धि बच्ची को गोद लिया। आज वह 50 मंदबुद्धि बच्चों की देखभाल कर रही है। वर्ष 2008 में लक्ष्य फाउंडेशन की नींव रखी थी और कई बच्चे उनसे प्रशिक्षण लेकर अपने घरों में सामान्य जीवन जी रहे हैं।
गुरप्रीत कौर ने बताया कि इन 50 बच्चों को अकादमिक, खेल, रेगुलर लिविंग एक्टिविटी, सामान्य ज्ञान व रहन-सहन के तरीके सिखाए जाते हैं ताकि वे अपने परिवार के साथ सामान्य जीवन जी सकें। उन्होंने बताया कि उनके पास 13 बच्चे घर पर ही रहते हैं और बाकी 37 बच्चे रोजाना स्कूल की तरह आते हैं। समाज सेविका गुरप्रीत कौर ने बताया कि इन 50 मंदबुद्धि बच्चों की देखभाल पर महीने का एक लाख रुपए से अधिक खर्च होता और एक बच्चे पर करीब 6 हजार रुपए खर्च होते हैं। बच्चों की देखभाल का पूरा खर्च संस्था द्वारा शहर के 15 दानी सज्जनों के सहयोग से चलाया जाता है। गुरप्रीत कौर ने बताया कि मेरा पूरा जीवन इन बच्चों को समर्पित है। कई बच्चे सामान्य बच्चों की तरह रेगुलर स्कूल में पढ़ भी रहे है। उन्होंने बताया कि अभी भी लोगों ने चाहे अपना जीवन आधुनिक रहन-सहन वाला कर लिया लेकिन अपनी सोच आधुनिक नहीं की और मंदबुद्धि बच्चों से हीन भावना रखते हैं। गुरप्रीत कौर ने बीए कर वोकेशनल ट्रेनिंग, डिप्लोमा इन स्पेशल एजुकेशन (मेंटल डिसऑर्डर) की स्टडी की थी ताकि ऐसे बच्चों का भविष्य संवार सके।
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