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जीएसटी काउंसिल ने दी राहत, रिटेलरों के लिए ईज ऑफ डुइंग बिजनेस की राह हुई आसान

जीएसटी काउंसिल की 32वीं बैठक में वीरवार को छोटे व्यापारियों को बड़ी राहत दी गई। काउंसिल ने जीएसटी में रजिस्ट्रेशन के लिए सालाना टर्नओवर की सीमा बीस से बढ़ा कर चालीस लाख कर दी है।

By Sat PaulEdited By: Published: Fri, 11 Jan 2019 01:26 PM (IST)Updated: Fri, 11 Jan 2019 01:40 PM (IST)
जीएसटी काउंसिल ने दी राहत, रिटेलरों के लिए ईज ऑफ डुइंग बिजनेस की राह हुई आसान
जीएसटी काउंसिल ने दी राहत, रिटेलरों के लिए ईज ऑफ डुइंग बिजनेस की राह हुई आसान

जागरण संवाददाता, लुधियाना : जीएसटी काउंसिल की 32वीं बैठक में वीरवार को छोटे व्यापारियों को बड़ी राहत दी गई। काउंसिल ने जीएसटी में रजिस्ट्रेशन के लिए सालाना टर्नओवर की सीमा बीस से बढ़ा कर चालीस लाख कर दी है। जबकि कंपोजिट स्कीम की सीमा भी डेढ़ करोड़ कर दी है। रिटेलरों का तर्क है कि इससे छोटे कारोबारियों की राह आसान हो गई है और उनको जीएसटी के झंझटों से मुक्ति मिली है।

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जीएसटी काउंसिल के फैसले के अनुसार अब चालीस लाख रुपये तक की सालाना टर्नओवर वाले कारोबारियों को रजिस्ट्रेशन नहीं कराना होगा। इससे बीस लाख कारोबारियों को फायदा होगा। इसके अलावा कंपोजिट स्कीम में डेढ़ करोड़ तक की सालाना टर्नओवर पर एक फीसद जीएसटी लगाने का प्रावधान किया गया है। लेकिन उनको परचेज पर इनपुट टैक्स क्रेडिट नहीं मिलेगा। यह संशोधन एक अप्रैल 2019 से लागू होगा। इसमें रसीदें अपलोड करने का कोई झंझट नहीं। जबकि करदाता को टैक्स तिमाही जमा कराना होगा। जबकि रिटर्न सालाना दाखिल करनी होगी। 

चैंबर ऑफ इंडस्ट्रियल एंड कमर्शियल अंडरटेकिंग्स के प्रेसिडेंट उपकार सिंह आहूजा ने काउंसिल के फैसलों को अच्छा कदम बताया है। उनका कहना है कि इससे छोटे रिटेलरों के लिए ईज ऑफ डुईंग बिजनेस का राह खुल गया है। उनकी ट्रांजेक्शन लागत ज्यादा होती है। ऐसे में उनको जीएसटी की पेचीदगियों से भी राहत मिलेगी। इनके लिए कारोबार करना अब आसान हो जाएगा।

पंजाब प्रदेश व्यापार मंडल के प्रदेश सचिव महेंद्र अग्रवाल ने भी काउंसिल के कदम की सराहना की है। उनका कहना है कि छोटे व्यापारी अब खुल कर कारोबार कर सकेंगे। उनका तर्क है कि ग्रामीण इलाकों के छोटे कारोबारी जीएसटी की पेचीदगियां सुलझा नहीं पाते। उनके लिए यह स्कीम काफी राहत वाली है। इससे सरकार के कर में कोई फर्क नहीं पड़ेगा, लेकिन दुकानदारी आसान होगी। अग्रवाल ने कहा कि व्यापार मंडल ने मांग की थी कि जीएसटी की आर-1 रिटर्न भरने का वक्त टर्नओवर सीमा के आधार की बजाए सभी के लिए तिमाही किया जाए। इससे काफी राहत मिल सकती है। इसके अलावा सालाना रिटर्न दाखिल करने का फार्म नंबर नौ-ए एवं नौ-सी काफी पेचीदा है। उसे सरल बनाना चाहिए।

फेडरेशन ऑफ इंडस्ट्रियल एंड कमर्शियल आर्गेनाइजेशन के चेयरमैन केके सेठ का कहना है कि काउंसिल के फैसले से छोटे छोटे कारोबारियों को काफी राहत मिलेगी। उनका बिजनेस ग्रो करेगा और वे आसानी से बिना उलझनों के बिजनेस कर पाएंगे। सेठ ने कहा कि काउंसिल ने जीएसटी दरों को कम करने के लिए कोई फैसला नहीं किया। इसकी काफी अर्से से दरकार है। 

फेडरेशन ऑफ पंजाब स्मॉल इंडस्ट्रीज एसोसिएशन्स के प्रधान बदीश जिंदल का कहना है कि इससे स्मॉल स्केल सेक्टर पर विपरीत असर होगा। उद्यमियों को इनपुट टैक्स क्रेडिट नहीं मिल पाएगा और उनकी लागत बढ़ जाएगी। ऐसे में सरकार को परचेज को भी टैक्स मुक्त करना होगा। फास्टनर सप्लायर्स एसोसिएशन के प्रधान आरके सिंगला का कहना है कि फास्टनर उत्पादों पर भी टैक्स की दर को 12 फीसद करना चाहिए। इसके अलावा स्टील पर भी टैक्स की दर कम करनी अनिवार्य है। इससे इंडस्ट्री को राहत मिलेगी।

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