वेतन कटौती के संकेत मिलने पर बोले सरकारी कर्मचारी- मंत्रियां दी वी पेंशन कट्टो
मुलाजिम इस बात से भी खफा हैं कि आयकर देने के बावजूद पंजाब सरकार 2400 रुपये वार्षिक प्रोफेशनल टैक्स काट रही है।
लुधियाना, [आशा मेहता]। कोरोना वायरस के संकट के कारण पंजाब सरकार ने सरकारी कर्मचारियों के वेतन में कटौती करने के संकेत दिए तो मुलाजिमों में रोष व्याप्त हो गया है। वो इसलिए खफा हैं क्योंकि उनका कहना है कि इस मुश्किल घड़ी में वे भी साथ देने के लिए तैयार हैं परंतु जो मंत्री-विधायक पांच-पांच पेंशन ले रहे हैं, उनकी तो पेंशन काटी नहीं जा रही। यदि सरकार जबरन उनका वेतन काटेगी तो वह विरोध जताएंगे। मुलाजिम इस बात से भी खफा हैं कि आयकर देने के बावजूद पंजाब सरकार 2400 रुपये वार्षिक प्रोफेशनल टैक्स काट रही है। मास्टर कैडर यूनियन के जिला अध्यक्ष धर्मजीत सिंह ढिल्लों ने इस पर कटाक्ष करते हुए कहा, सरकार साड्डा वेतन कटे, ते मंत्री-विधायक अपनी पेंशन ना छड्डन। ऐदां कीवें हो सकदा। विधायक मंत्री तां पंज-पंज पेंशनां लै रहे ने। पंैहलां ओह खुद एक ही पेंशन लैण ते बाकी पैसे सरकार लोकां दी मदद लई खर्च करे।
समझदार बनें.. लापरवाह नहीं
कोरोना पर नियंत्रण और बचाव के लिए सरकार लगातार लोगों को समझा रही है। घर पर रहने की अपील कर रही है। मगर तब भी लोग लापरवाही दिखाते हुए बेवजह बाहर घूम रहे हैं। पुलिस कर्मी जब उन्हें पकड़ते हैं तो वे कई बहाने बनाते हैं। शहर के भाई बाला चौक पर तैनात महिला ट्रैफिक पुलिस कर्मी सीमा रोजाना ऐसे बहानेबाजों को रोक रही हैं। सीमा ने बातों-बातों में बताया कि ज्यादातर लोग रोके जाने पर यह कहते हैं कि वह परिवार के किसी बीमार सदस्य के लिए दवा लेने जा रहे हैं। जब उनसे डॉक्टर की पर्ची दिखाने को कहती हैं, तो उनके चेहरों की हवाइयां उड़ जाती हैं। सीमा का कहना है कि जिनको हकीकत में दवाई या चिकित्सा सहायता की जरूरत होती है, उन्हें वे नहीं रोकते। लेकिन कई ऐसे लोग हैं जो बेवजह बाहर घूमते हैं। इस समय तो लोगों को समझदार बनना चाहिए, गैरजिम्मेदार नहीं।
ये मदद का दिखावा है
शहर की कुछ समाजसेवी संस्थाएं इन दिनों फेसबुक पर राशन उपलब्ध करवाने को लेकर पोस्टें शेयर कर रही हैं। साथ ही अपील कर रही हैं कि राशन की जरूरत हो तो हमें बताएं। मगर जब लोग राशन के लिए इन संस्थाओं से मदद मांगते हैं, तो टालमटोल ही किया जा रहा है। ऐसा ही कुछ करतार नगर में रहने वाले दीपक कुमार के साथ हुआ। उसके घर के पास दो मजदूर परिवार रहते हैं। उसने उनकी मदद के लिए राशन को लेकर फेसबुक पर प्रचार कर रही दो एनजीओ से संपर्क किया। पहले जिस एनजीओ को फोन किया तो उसने नाम-पता नोट कर अगले दिन राशन पहुंचाने का वादा किया, लेकिन दो बीतने पर भी कोई कोई नहीं आया। दोबारा फोन किया तो जवाब मिला, राशन का इंतजाम कर रहे हैं। फिर फोन उठाना बंद कर दिया। दीपक ने दूसरी एनजीओ को फोन किया, तो जवाब मिला अब राशन वितरण बंद कर दिया है।
टीम की लग रही दौड़
जो पड़ोसी कल तक एक-दूसरे को पूछते तक नहीं थे, वो अब पूरी खबर रख रहे हैं। जरा सी किसी को खांसी, छींक आ जाए तो झट से रैपिड रिस्पांस टीम को फोन कर बुला लेते हैं। ये अलग बात है कि टीम जब पहुंचती है, तो कुछ नहीं निकलता। आजकल ऐसे ही झूठी शिकायतों के कारण टीम की दौड़ लगी रहती है। ताजा मामले शहर के वार्ड तीन में पड़ते बसंत विहार कॉलोनी में हुए। इस इलाके के जसविंदर ने हेल्पलाइन पर सूचना दी कि उनके घर के पास कुछ लोग बीमार हैं। टीम पहुंची, तो कोई ऐसा मरीज नहीं मिला। फिर अगले ही दिन उसी गली से लोगों ने फोन करके बताया कि किराये के मकान में रहते युवक को कई दिनों से बुखार है। रैपिड रिस्पांस टीम पहुंची और युवक को अस्पताल ले गई। वहां युवक ने बुखार होने से इंकार कर दिया। फिर उसे डिस्चार्ज कर दिया।