जेलों में गोशालाएं बनें तो कैदी करेंगे सेवा, इनकम के साथ समस्या भी होगी दूर
महानगर की में भारी संख्या में सड़कों पर बेसहारा पशु घूम रहे हैं। वे खाना ढूंढने के लिए कूड़े कचरे में मुंह मारते हैं और डंप में या उसके पास एकत्र कूड़े को रोड तक बिखेर देते हैं। वहीं ये पशु हादसों का कारण भी बनते हैं। इस समस्या से लोग बेहद परेशान हैं।
राजन कैंथ, लुधियाना
महानगर की में भारी संख्या में सड़कों पर बेसहारा पशु घूम रहे हैं। वे खाना ढूंढने के लिए कूड़े कचरे में मुंह मारते हैं और डंप में या उसके पास एकत्र कूड़े को रोड तक बिखेर देते हैं। वहीं ये पशु हादसों का कारण भी बनते हैं। इस समस्या से लोग बेहद परेशान हैं। सरकार तो लोगों से काऊ सेस लेकर अपना खजाना भर रही है पर लोगों के हित को ध्यान में रखते हुए सड़कों पर घूम रहे बेसहारा गोधन को गोशालाओं में पनाह न देते हुए उनकी संभाल नहीं कर रही है। कोई संस्था अगर सरकार को इन पशुओं को सहारे के लिए या इस समस्या के हल के लिए अगर प्रस्ताव भेजती है तो सरकार भी बस उसे कागजों में ही लटका देती है।
अगर सब कुछ योजना के मुताबिक हुआ तो आने वाले दिनों में पंजाब की जेलों में गोशालाएं खुल जाएंगी। राज्य की सड़कों पर घूम रहे बेसहारा गोवंश की जेलों में बंद कैदी उनकी सेवा कर सकेंगे। उनके लिए चारा उगाएंगे। उसके बदले में जेल प्रबंधन उन्हें मजदूरी देगा। मंडी गोबिंदगढ़ की गोवंश सेवा सदन ने इस संबंधी सरकार को प्रस्ताव भेजा है। निकाय मंत्री नवजोत सिद्धू इस प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं।
संस्था के अध्यक्ष जोगिंदर पाल ने बताया कि पंजाब में 1.5 लाख बेसहारा गोवंश सड़कों पर घूम रहे हैं। वो कूड़े-कचरे में मुंह मारकर अपना पेट भरते हैं। उनके कारण आए दिन सड़क हादसे भी होते हैं। उन्होंने कहा कि पंजाब की कई जेलों में खेतीबाड़ी का काम होता है। वहा कैदी काम करते हैं। इन सभी जेलों से 20 एकड़ जमीन लेकर गोशालाओं का निर्माण किया जा सकता है। इनकी देखरेख कैदियों से करवाई जा सकती है। वहीं यदि जेलों के अंदर ही गोबर गैस प्लाट स्थापित किए जाएं तो इनसे जेलों के इस्तेमाल के लिए एलपीजी व बिजली का प्रबंध मुफ्त में हो सकता है। गोबर गैस प्लाट की वेस्टेज को खाद के तौर पर जेलों के खेतों में इस्तेमाल किया जा सकता है। ज्यादा होने पर उसे बाहर भी बेचा जा सकता है। इससे जेल की आमदन तो होगी, खर्च भी बचेगा। उपरोक्त खेतीबाड़ी, गऊशाला गोबर गैस प्लाट का फारमूला राज्य की सभी जेलों में लागू किया जा सकता है। जिससे सड़कों पर बेसहारा घूम रहे गऊधन को संभाला जा सकता है। इस समस्या के हल होने से बेसहारा पशुओं से आए दिन होने वाले जानी व माली नुकसान से भी बचा जा सकता है।
आरटीआइ में मिली रिपोर्ट के अनुसार पंजाब के करीब 12.5 हजार गावों में जमीनों की मुरब्बेबंदी के तहत रिजर्व किया गया है। पहले रहे राजा-महाराजाओं द्वारा भी हजारों एकड़ जमीन दान की गई थी। इनमें से करीब 80 हजार एकड़ राज्य में मौजूद हैं। उसी समय से राज्य में गऊचराद भी मौजूद है। इनमें से कई में गोशालाएं चलाई जा रही हैं। कई को पंचायतों ने ठेके पर दे रखा है जबकि बहुत सारी जमीनों पर नाजायज कब्जे भी हैं। इन शहरों में भी बन सकती है गोशालाएं
जोगिंद्र पाल ने बताया कि पटियाला में गोशाला की 523 एकड़ जमीन पंचायत की ओर से ठेके पर दी जा रही है। लुधियाना में 2 हजार एकड़ से ज्यादा जमीन पर लोगों का अवैध कब्जा है। फाजिल्का में भी 144 एकड़ जमीन पर लोगों ने कब्जा कर रखा है। गुरदासपुर में 154 एकड़ जमीन पंचायत की और से ठेके पर दी जाती है जबकि 31 एकड़ जमीन खाली पड़ी है। पूर्व सरकार ने दी एक हजार एकड़ पर नहीं बनी गोशाला
आरटीआइ से मिली जानकारी के अनुसार स्वामी कृष्णा नंद महाराज चादपुर रुड़की (गढ़शकर वाले) को पूर्व शिअद-भाजपा सरकार ने गोशाला का निर्माण कराने के लिए एक हजार एकड़ जमीन दी थी। मगर उस जमीन पर आज तक कुछ नहीं हुआ। जोगिंद्र पाल ने सरकार से आग्रह करते कहा कि उस जमीन पर गोवंश के रहने व खाने का प्रबंध किया जाए। या फिर उस जमीन को सरकार वापस अपने कब्जे में लेकर गऊ सेवी संस्थाओं को दे दे।
योजना लागू हुई तो ये होगा फायदा
-जेलों को गऊ के दूध से आमदनी होगी
-गोबर से गोबर गैस प्लाट लगने से जेल में एलपीजी और बिजली पैदा की जा सकेगी
-प्लांट की वेस्टेज को खाद के रूप में जेलों के खेतों में इस्तेमाल किया जा सकेगा।
-अतिरिक्त खाद को बाहर बेचकर आय का साधन भी बनाया जा सकते है।