बीमार बच्ची को वार्ड और इमरजेंसी में भटकाता रहा सिविल अस्पताल स्टाफ, हालत बिगड़ी तो एंबुलेंस नहीं मिली; मौत
मदर एंड चाइल्ड अस्पताल के स्टाफ ने उन्हें इमरजेंसी में भेज दिया। इमरजेंसी गए तो वहां के स्टाफ ने उन्हें मदर एंड चाइल्ड अस्पताल भेज दिया। परिजन करीब एक घंटे तक ऐसे ही भटकते रहे।
जेएनएन, लुधियाना। सिविल अस्पताल के मदर एंड चाइल्ड अस्पताल में मंगलवार रात्रि इलाज के दौरान चार माह के शिशु की मौत हो गई। परिजनों का आरोप था कि शिशु की मौत उपचार में देरी की वजह से हुई है। 2003 रायकोट निवासी जगसीर सिंह ने बताया कि उनकी चार महीने की बेटी हुसनप्रीत को दो दिन से बुखार था। मंगलवार शाम को अचानक जब हालत बिगड़ी तो वह उसे छह बजे के करीब सिविल अस्पताल के मदर एंड चाइल्ड केयर सेंटर लेकर आए। यहां आएं तो मदर एंड चाइल्ड अस्पताल के स्टाफ ने उन्हें इमरजेंसी में भेज दिया। इमरजेंसी गए तो वहां के स्टाफ ने उन्हें मदर एंड चाइल्ड अस्पताल भेज दिया।
परिजन करीब एक घंटे तक ऐसे ही भटकते रहे। काफी मिन्नत के बाद साढ़े सात बजे के करीब उनकी बेटी को दाखिला किया गया। लेकिन, स्टाफ ने हालत गंभीर होने की बात कहकर पीजीआइ के लिए रेफर कर दिया। इसके बाद उन्हें अस्पताल से पीजीआइ के लिए एंबुलेंस नहीं मिली। जिसके चलते करीब आठ बजे उनकी बच्ची की मौत हो गई। जगसीर ने आरोप लगाया कि अगर जिस वक्त वह अपनी बच्ची को अस्पताल लेकर आए थे। उसी समय तत्काल इलाज शुरू कर दिया जाता या उन्हें एंबुलेंस उपलब्ध करवा दी जाती तो वह बच जाती। दूसरी तरफ अस्पताल स्टाफ का कहना था कि बच्ची की हालत काफी नाजुक थी। इसलिए उसे रेफर किया गया। इलाज में किसी तरह की लापरवाही नहीं बरती गई।
इलाज सही न होने का आरोप लगाकर तोड़फोड़
उधर, दूसरी तरफ जिस वार्ड में चार माह की बच्ची हुसनप्रीत भर्ती थी, उसी वार्ड में चंदन नगर के रहने वाले कुनाल की एक माह की बच्ची भी भर्ती थी। जब हुसनप्रीत की मौत हुई तो कुनाल व उसके परिजन भी भड़क गए। उन्होंने आरोप लगाया कि उनकी बेटी का इलाज भी सही ढंग से नहीं हो रहा है। परिजनों ने गुस्से में खिड़कियों के शीशे तोड़ दिए। स्टाफ ने सिविल अस्पताल की चौकी में सूचना दी। पुलिस हंगामा करने वालों को लेकर चली गई।
पंजाब की ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
हरियाणा की ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें