अमृतसर का गौरव है मास्टरमाइंड, केजरीवाल का पीए बन भी कर चुका नेताओं से ठगी, ऐसे जाल में फंसाता था गिरोह
प्रशांत किशोर की आवाज निकालकर नेताओं को फांसने वाला गौरव शर्मा इससे पहले दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल का पीए बनकर भी नेताओं से ठगी कर चुका है। उसके खिलाफ मामला भी दर्ज है। वह अभी पुलिस गिरफ्त से दूर है।
लुधियाना [राजन कैंथ]। प्रख्यात चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर की आवाज निकालकर नेताओं से ठगी करने वाले गैंग के सदस्य आज से नहीं, पिछले 5 साल से सक्रिय थे। फरवरी 2015 में जब आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने दूसरी बार दिल्ली की सत्ता संभाली तो गौरव शर्मा ने खुद को उनका पीए बताना शुरू कर दिया। उस समय देश में आम आदमी पार्टी की हवा थी। वो देश के विभिन्न राज्यों में जाकर वहां के नेताओं को अरविंद केजरीवाल से मिलवाने तथा पार्टी का टिकट दिलाने के नाम पर ठगी मारता था। उसके खिलाफ तब पहला मामला 8 फरवरी 2016 में अमृतसर के थाना सदर में दर्ज हुआ था।
एसीपी साउथ जश्नप्रीत सिंह गिल ने कहा कि गिरोह के सदस्य हर केस पर स्ट्डी करने के बाद उस पर काम करते थे। अमृतसर के मजीठा रोड के 88 फुटा रोड का रहने वाला गौरव शर्मा उर्फ गोरा गिरोह का मास्टरमाइंड है। अपने शिकार से मिलने से पहले वो उसकी अच्छी तरह से जानकारी जुटाते थे। गिरोह इस बात का पता कर लेता था कि वो पहले कौन-कौन से कितने चुनाव लड़ चुका है। जीत चुका है या फिर हार चुका है। उसे कौन से चुनाव में कितने वोट मिले थे। उन सब बातों का आंकलन करने के बाद रजत कुमार उर्फ पीए खुद को किसी बड़ी पार्टी के नेता का प्रतिनिधि बन कर उस नेता से संपर्क साधता था।
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चूंकि उसके बारे में उन लोगों ने पूरी स्ट्डी कर रखी होती थी, इसलिए वो बातचीत के दौरान उसके अच्छे और वीक प्वाइंट्स बताकर अपना प्रभाव जमा लेता था। वो उस नेता से कहता था कि सीएम ने उन्हें सर्वे करने के लिए कहा है। पार्टी का टिकट देने से पहले आप अपने इलाके के 10 सरपंचों के नाम व नंबर भेजाे। उन दसों सरपंचों से बात करके वो उस नेता के बारे में व्यू ले लेता। उसी के आधार पर नेता को उसकी छवि बताकर उस पर अपना प्रभाव बना लेते। उसे भरोसे में लेकर विश्वास दिला दिया जाता था कि सीएम उस नेता की कारगुजारी से संतुष्ट हैं। उसी को टिकट मिलेगा।
बातचीत के दौरान वो नेताओं व विधायक पर प्रभाव छोड़ने के लिए 2-2 घंटे तक उनको यह बोल कर फोन होल्ड कर देते थे कि दूसरी लाइन पर सीएम साहब से बात चल रही है। फिर वो लोग नेता के साथ पैसों की सेंटिंग कर लेते। एसीपी गिल ने कहा कि आरोपित इतने शातिर हैं कि वो पैसे लेने के लिए कभी खुद नहीं जाते थे। वो अपने किसी आदमी को भेज कर पेमेंट मंगाते और गायब हो जाते थे। जिन लोगों की पार्टी में दाल नहीं गलती थी, वो गिरोह के झांसे में आ जाते और पैसे दे देते थे।
गिरोह पकड़ा इसलिए गया, क्याेंकि एक जागरूक नेता से जब गिरोह ने संपर्क किया तो उसे प्रशांत किशोर की समृद्धता के बारे में पता था। उसने सोचा कि प्रशांत किशोर को ऐसे गलत काम करने की क्या जरूरत पड़ गई। शक होने पर उसी ने पुलिस के साथ संपर्क किया और गिरोह के बारे में जानकारी दी। जिसके बाद हरकत में आई पुलिस ने दो लोगों को पकड़ लिया।
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