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आम आदमी की 'रीच' में आए फल

फल कारोबारियों का कहना है कि आने वाले कुछ दिनों तक मौसम के फलों की कीमतों में नर्मी का रुख बना रहेगा।

By JagranEdited By: Published: Wed, 20 Jun 2018 03:56 PM (IST)Updated: Wed, 20 Jun 2018 03:56 PM (IST)
आम आदमी की 'रीच' में आए फल
आम आदमी की 'रीच' में आए फल

जागरण संवाददाता, लुधियाना : मंडी में मौसम के फलों की आमद बढ़ने के चलते अब फल आम आदमी की 'रीच' में आ गए हैं। पंद्रह दिन पहले होलसेल में 70 रुपये प्रति किलो में मिलने वाले सफेदा आम के दाम अब लुढ़क कर चालीस रुपये पर आ गए हैं। फल कारोबारियों का कहना है कि आने वाले कुछ दिनों तक मौसम के फलों की कीमतों में नर्मी का रुख बना रहेगा। फल कारोबारियों का मानना है कि पंद्रह दिन पहले दशहरी आम का मंडी में होलसेल दाम 40 रुपये प्रति किलो था, अब वह गिर कर तीस रुपये पर रह गया है। इसी तरह लंगड़ा आम के दाम 35 रुपये से कम होकर 25 रुपये प्रति किलो, तोता परी आम के दाम तीस रुपये से कम होकर बीस रुपये प्रति किलो, लीची के दाम अस्सी रुपये से गिर कर साठ रुपये प्रति किलो, चैरी के दाम 180 रुपये प्रति किलो से कम होकर सत्तर से सौ रुपये प्रति किलो, जामुन के दाम दो सौ रुपये से कम होकर सौ रुपये प्रति किलो, मौसमी का भाव सौ रुपये से कम होकर 75 रुपये प्रति किलो, अनानास के दाम 22 रुपये प्रति पीस से कम होकर बीस रुपये, खरबूजे के दाम तीस रुपये से कम होकर दस रुपये प्रति किलो, तरबूज के दाम 25 रुपये प्रति किलो से कम होकर दस-पंद्रह रुपये प्रति किलो रह गए हैं। हरा नारियल 35 रुपये से कम होकर तीस रुपये प्रति पीस रह गया है। इसी तरह विदेशी फलों में भी नरमी का रुख बना हुआ है। अमेरिकन सेब की कीमत 1700 रुपये प्रति दस किलो से कम होकर 1600 रुपये, न्यूजीलैंड के सेब के दाम 3400 रुपये प्रति बीस किलो से कम होकर 3100 रुपये रह गए हैं। मंडी में रोजाना पहुंच रहे आम के 20 ट्रक

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पंजाब फ्रूट एंड वेजिटेबल कमीशन एजेंट्स एसोसिएशन के महासचिव अमरवीर सिंह का कहना है कि मंडी में फलों की आवक बढ़ने से कीमतों में कमी आ रही है। फिलहाल मंडी में आम के औसतन रोजाना बीस ट्रक आ रहे हैं, जबकि लीची बिहार, पठानकोट एवं देहरादून से आ रही है। आम सहारनपुर, लखनऊ के अलावा उत्तर प्रदेश के कई जिलों व आंध्र प्रदेश से भी आ रहे हैं। अमरवीर ने कहा कि पिछले साल के मुकाबले मौजूदा कीमतें बीस से पच्चीस फीसद तक कम हैं। फिलहाल विवाह सीजन न होने के कारण भी उठाव कम है।


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