चुनाव आयोग के आदेश पुलिस के लिए बने सिरदर्द, 14 मुलाजिमों को 2850 भगोड़ों को पकडऩे का जिम्मा
लोकसभा चुनाव का एलान होते ही चुनाव आयोग ने पुलिस को अदालत की ओर से भगोड़ों को पकडऩे के आदेश दिए हैं लेकिन यह कर पाना पुलिस के लिए टेढ़ी खीर बना हुआ है।
लुधियाना, [दिलबाग दानिश]: लोकसभा चुनाव का एलान होते ही चुनाव आयोग ने पुलिस को अदालत की ओर से भगोड़ों को पकडऩे के आदेश दिए हैं, लेकिन यह कर पाना पुलिस के लिए टेढ़ी खीर बना हुआ है। पुलिस की लिस्ट में 2850 के करीब भगोड़े हैं, इन्हें पकडऩे के उतने मुलाजिम तैनात नहीं किए गए हैं। पुलिस की ओर से भगोड़ों को पकडऩे के लिए जिला कचहरी में पीओ स्टाफ का गठन किया गया है, मगर इसमें 14 पुलिस कर्मचारियों की तैनाती की गई है, अगर प्रति व्यक्ति आंकड़ा निकाला जाए तो एक कर्मचारी के हिस्से 203 भगोड़े आते हैं। यही कारण है कि भगोड़ों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। यही लोग शहर में कानून व्यवस्था के लिए खतरा बन रहे हैं। चुनाव के समय भी यह लोग अमन शांति के लिए खतरा बन सकते हैं, जिस कारण इन्हें पकडऩे के लिए विशेष आदेश जारी किए गए हैं।
एक ही गाड़ी उसके लिए भी तेल नहीं
पुलिस कमिश्नरेट को कवर करने के लिए पुलिस के 29 थानों पर मात्र एक पीओ स्टाफ है। इनके प्रभारी के पास ही एक बोलेरो गाड़ी है, मगर इसके लिए भी विभाग को सही से तेल का कोटा नहीं मिलता है। इसको चलाने के लिए भी अधिकारी को अपनी जेब से पैसा खर्च करना पड़ता है, जबकि यहां पर कम से कम तीन और गाडिय़ों की जरूरत है।
बड़ी संख्या में आरोपित चोर या स्मगलर
पुलिस के अधिकारिक सूत्रों के अनुसार इनमें बड़ी संख्या उन आरोपितों की है जो चोरी और डकैती में पकड़े गए थे। बाद में अदालत से जमानत लेकर जेल से छूट गए, मगर बाद में अदालत में पेश ही नहीं हुए। यही लोग अब प्रदेश में रहकर या प्रदेश से बाहर रहकर क्राइम करने में जुटे हुए हैं। पीओ स्टाफ के लिए सबसे बड़ी समस्या बाहर से आकर यहां रहने वाले कर्मचारी पैदा कर रहे हैं। बहुत से पीओ उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्यप्रदेश और हिमाचल प्रदेश के होते हैं, जिन्हें पकडऩे के लिए पुलिस को ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है।
हम अपना काम पुख्ता कर रहे
जितना स्टाफ हमारे पास मौजूद है, उस हिसाब से अपना काम बेहद अच्छे से कर रहे हैं। हां हमारे पास स्टाफ की कुछ कमी है। अधिकारियों के ध्यान में पूरा मामला है, मगर ऐसा नहीं है कि इससे स्टाफ का काम प्रभावित हो रहा है। हम लगातार पीओ को पकड़ रहे हैं।
बलविंदर सिंह, सब इंस्पेक्टर, पीओ प्रभारी