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चंदन से ‘महकेगा’ पंजाब, लुधियाना में 400 पेड़ तैयार; अन्य स्थानों पर नर्सरी में तैयार हुई पौध

जालंधर के मकसूदां स्थित नर्सरी में तैयार चंदन के पौधे दिखाते रेंज अफसर हरगुरनेक सिंह रंधावा। जागरण

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Tue, 25 Aug 2020 12:51 PM (IST)Updated: Tue, 25 Aug 2020 12:54 PM (IST)
चंदन से ‘महकेगा’ पंजाब, लुधियाना में 400 पेड़ तैयार; अन्य स्थानों पर नर्सरी में तैयार हुई पौध
चंदन से ‘महकेगा’ पंजाब, लुधियाना में 400 पेड़ तैयार; अन्य स्थानों पर नर्सरी में तैयार हुई पौध

लुधियाना, जेएनएन। पंजाब इस समय दो बड़ी समस्याओं से जूझ रहा है। एक तो कोरोना के कारण राज्य की अर्थव्यवस्था गड़बड़ाई हुई है, दूसरा प्रदेश में भूमिगत जल का स्तर लगातार नीचे जा रहा है। सरकार ने इन दोनों संकटों से पार पाने के लिए चंदन के पौधों का सहारा लिया है। महंगी लकड़ी के कारण राज्य की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी। वहीं, इसके लिए पॉपलर की तुलना में बेहद कम पानी लगता है, इसलिए भूमिगत जल की भी बचत होगी। जालंधर से जागरण संवाददाता जगदीश कुमार और लुधियाना से राजन कैंथ की रिपोर्ट।

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होशियारपुर के दसूहा में 15 हजार और मोहाली के मुल्लांपुर में 1500 पौधों का ट्रायल सफल रहने, जालंधर की नर्सरी में 10 हजार पौधे और लुधियाना के मत्तेवाड़ा में 400 पेड़ तैयार होने को सफलता के रूप में आंकते हुए पंजाब में चंदन उत्पादन को बड़े अवसर के रूप में देखा जा रहा है। लुधियाना में अनेक पौधे दस फीट तक ऊंचे हो चुके हैं। अब विभिन्न नर्सरियों में तैयार पौधों को विस्तार दिया जाएगा। जालंधर के मकसूदां स्थित नर्सरी से पौधे लेकर इन्हें होशियारपुर, रोपड़ और मोहाली में लगाया जाएगा। इसी तरह अन्य जिलों में प्लांटेशन होगा। कई जिलों की जमीन और वातावरण इसके लिए उपयुक्त पाए गए हैं।

वन विभाग ने सात साल पहले लुधियाना के मत्तेवाड़ा में चंदन की नर्सरी बनाई थी। यह उत्तर भारत की चार नर्सरियों में से एक है, जहां ट्रायल किया गया। विभाग ने बेंगलुरु से पौधे मंगवा कर लगाए थे। इनकी देखभाल बेंगलुरु की टीम ने ही की। लुधियाना के डीएफओ चरणजीत सिंह ने बताया कि पंजाब की मिट्टी और जलवायु चंदन की खेती के लिए उपयुक्त है। चंदन का पेड़ लाल दोमट मिट्टी में अच्छा उगता है। यह चट्टानी मैदान, पथरीली मिट्टी, चूनेदार मिट्टी में भी अच्छी ग्रोथ करता है। अधिक खनिज वाली और गीली मिट्टी में इसकी ग्रोथ तेजी से नहीं हो पाती। लगभग सात-आठ साल में इसकी खुशबूदार लकड़ी आकार लेने लगती है। तीन-चार साल बाद यह काटकर बेचने लायक हो जाती है।

चंदन का पौधा पांच डिग्री से 50 डिग्री सेल्सियस तक के तापमान में तैयार हो जाता है। मत्तेवाड़ा में पौधों की संभाल के लिए विशेष प्रबंध किए गए हैं। चरणजीत सिंह ने बताया कि चंदन के पौधे पूरी तरह तैयार होने के बाद कई गुना रिटर्न देंगे। एक लाख की लागत से डेढ़ करोड़ रुपये तक की कमाई हो सकती है। एक पुष्ट पेड़ की कीमत पांच लाख से ऊपर होती है। इसके पौधों का शुरू में ही बीमा हो जाता है। वन मंत्री साधू सिंह धर्मसोत ने उम्मीद जताई कि इस प्रयास का सुखद परिणाम सामने आएगा। जालंधर के वन मंडल अधिकारी राजेश गुलाटी ने बताया कि चंदन का इस्तेमाल दवाइयों और पूजा सामग्री तैयार करने में ज्यादा होता है। इससे अगरबत्ती, धूप, तिलक, पाउडर आदि तैयार किया जाता है।

जालंधर के रेंज अफसर हरगुरनेक सिंह रंधावा ने बताया कि चंदन की पौध के लिए फरवरी में बिजाई होती है। 20-25 दिन तक इसे पॉलीथिन के बैग में लगाया जाता है। चंदन का पौधा अपनी खुराक खुद तैयार नहीं करता, इसके लिए इसके साथ ही अरहर की दाल या चने का पौधा लगाया जाता है, जिसे होस्ट प्लांट कहते हैं। इस पौधे को तीन महीने तक शेड के नीचे तैयार किया जाता है। इसके लिए तापमान 30 से 35 डिग्री तक रहना जरूरी है। फव्वारे से पानी दिया जाता है। फिर पौधों को तीन- तीन मीटर की दूरी पर लगाया जाता है। साल भर में पौधा चार से पांच फुट का हो जाता है। 20 साल में इसकी ऊंचाई 15 से 20 फुट तक हो जाती है।

पंजाब के वन मंत्री साधू सिंह धर्मसोत ने बताया कि पंजाब में चंदन प्लांटेशन का प्रयोग सफलता की ओर बढ़ चला है। इसे यथासंभव विस्तार दिया जाएगा। भविष्य में इससे किसानों की आर्थिक स्थिति में अपेक्षित सुधार लाया जा सकेगा, इस बात की उम्मीद जगी है।


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