पूर्व मंत्री नवजोत सिद्धू पर सियासी बाण पड़ रहे भारी, नकारात्मक भाषण ने बिगाड़ दिया सारा खेल
कांग्रेस हाईकमान तक सीधी पहुंच रखने वाले सिद्धू खुद को सीएम कुर्सी का दावेदार समझने लगे थे लेकिन पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की मौजूदगी में पार्टी के प्रति नकारात्मक भाषण ने सारा खेल बिगाड़ दिया। अब नवजोत सिंह सिद्धू फिर से गायब हैं।
लुधियाना, [भूपेंदर सिंह भाटिया]। कभी अपने वाक बाणों से सभी को चित करने वाले पूर्व मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू अब अपनी ही पार्टी के सियासी बाणों से भागते फिर रहे हैं। पंजाब की कैबिनेट में कभी महत्वपूर्ण मंत्री रहे सिद्धू डेढ़ साल के राजनीतिक वनवास के बाद फिर पार्टी में सक्रिय हुए, लेकिन मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह से पंगा लेकर सारा खेल बिगाड़ दिया। हालांकि उनके लौटने की कवायद से पहले ही कैप्टन लाबी नाखुश थी, लेकिन उसने तो धैर्य नहीं खोया, पर गुरु जरूर ताव में आ गए।
कांग्रेस हाईकमान तक सीधी पहुंच रखने वाले सिद्धू खुद को सीएम कुर्सी का दावेदार समझने लगे थे, लेकिन पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की मौजूदगी में पार्टी के प्रति नकारात्मक भाषण ने सारा खेल बिगाड़ दिया। अब नवजोत सिंह सिद्धू फिर से गायब हैं। कांग्रेसियों का कहना है कि अब तो उन्हें वापस मुंबई जाकर कपिल शर्मा शो की पुरानी कुर्सी संभालनी होगी।
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ठगा महसूस कर रहे हरीश रावत
उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के महासचिव हरीश रावत को जब आशा कुमारी के स्थान पर पंजाब कांग्रेस का प्रभारी नियुक्त किया गया तो पार्टी की धार तेज होने की उम्मीद जताई गई थी, लेकिन वह एक निर्णय से सभी के निशाने पर आ गए। रावत ने पद संभालते ही नवजोत सिंह सिद्धू को पार्टी की मुख्य धारा में लाने का फैसला किया। भले ही इसमें राहुल गांधी की भी भूमिका रही होगी, पर अब हरीश रावत खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं।
रावत ने जब सिद्धू को कांग्रेस का स्टार बताकर उन्हेंं सक्रिय करने की कोशिश की तो उसी समय वह कैप्टन अमरिंदर की आंखों की किरकिरी बन गए। उसके बाद सिद्धू के फेल होते ही प्रदेश प्रधान जाखड़ ने रावत को यहां तक कह दिया कि वह चाहें तो दिल्ली से पंजाब का प्रधान बदलवा लें। अब हरीश रावत खुद को असहज महसूस कर रहे हैैं।
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कोरोना से जीते, मोबाइल की घंटी से हारे
पिछले सात माह में कोरोना ने अपनी दहशत से सभी को सकते में ला दिया था। आरंभ में तो लोग कोरोना मरीज के घर की गली से भी गुजरने से डरते रहे। ऐसे हालात में अलग-अलग फील्ड के योद्धाओं ने इस महामारी से लडऩे में अपने स्तर पर योगदान दिया। इनमें एक योद्धा ऐसे भी थे, जिन्होंने सात माह तक जिले में अभियान की कमान संभाली।
लोगों को बचाने के लिए दिनरात काम किया, लेकिन इस दौरान यह अफसर रात-दिन फोन सुनकर इतना परेशान हो गए कि डिप्रेशन में चले गए। एक बार तो वह अपने कार्यालय में ही बेहोश होकर गिर गए। आवश्यक काल्स को छोड़ उन्होंने फोन उठाना बंद कर दिया। इस पर भी जब राहत नहीं मिली तो वह छुट्टी पर चले गए। उनके करीबियों का कहना था कि उनके फोन की घंटी दिनभर बजती रहती थी। कोरोना से जीते पर मोबाइल की घंटी से हार गए।
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यहां हर कोई दहशत में
हरित क्रांति के जरिए देश को अन्न का भंडार देने वाली पंजाब एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी में आजकल हर कोई दहशत में है। अफसर से लेकर वैज्ञानिक तक में कोरोना की दहशत है। कारण यह है कि इस यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर डा. बीएस औलख कोरोना की चपेट में आ गए हैं। वीसी कोरोना को लेकर हमेशा गंभीर रहे। वीसी कार्यालय में पहुंचने के लिए लोगों को बाकायदा तमाम सुरक्षा परीक्षण से गुजरना पड़ता था, लेकिन इसके बावजूद औलख के कोरोना पाजिटिव होने से अफसरों में भय है।
पहले तो अफसर व वैज्ञानिक अपने कार्यालय में लोगों से मिल लेते थे, लेकिन अब वह आवश्यक कामों को छोड़ किसी से मिलने से कतराने लगे हैं। एक वैज्ञानिक का कहना था कि पहले अफसर भी एक जगह बैठ आपस में विचार-विमर्श करते थे, लेकिन अब वह दौर नहीं रहा। यूनिवर्सिटी में इस समय हर कोई मिलने से कतरा रहा है।
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