चीन का विकल्प ढूंढ़ रहे बायर्स, भारतीय साइकिल उद्योग उठा सकता है लाभ
चीन के बाद भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा साइकिल एवं पार्ट्स निर्माता है। ऐसे में विदेशी बायर्स की नजर भारतीय निर्माताओं पर है।
लुधियाना, जेएनएन। यूरोप और अमेरिका की ओर से कुछ माह पहले चीन से आयात होने वाले साइकिल एवं पार्ट्स पर एंटी डंपिंग ड्यूटी लगाने के बाद अब कोरोना वायरस के चलते विदेशी बायर्स चीन से साइकिल एवं पार्ट्स की खरीदारी करने से बच रहे हैं। ऐसे में भारतीय साइकिल उद्योग के लिए ओवरसीज मार्केट में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने का बेहतर अवसर है, क्योंकि विदेशी बायर्स चीन का विकल्प तलाश रहे हैं।
चीन के बाद भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा साइकिल एवं पार्ट्स निर्माता है। ऐसे में विदेशी बायर्स की नजर भारतीय निर्माताओं पर है। यह दावा इंजीनियरिंग एक्सपोर्ट प्रोमोशन काउंसिल (ईईपीसी) में बाईसाइकिल पैनल के चेयरमैन प्रदीप अग्रवाल का है। अग्रवाल ने कहा कि इन संभावनाओं को कैश करने के लिए उद्योग को इनोवेशन, तकनीक एवं क्वालिटी पर फोकस करना होगा। इसके लिए ईईपीसी उद्योग जगत को सहयोग कर रहा है।
अग्रवाल के अनुसार माइक्रो स्मॉल एंड मीडियम एंरटप्राइजेज की ग्रोथ, विकास एवं विस्तार में साइकिल उद्योग का अहम रोल है। फिलहाल इंडस्ट्री बांग्लादेश, श्रीलंका, चीन के अलावा दक्षिण पूर्व एशिया को देशों से आयात हो रहे सस्ते साइकिल एवं पार्ट्स से परेशान है। सस्ते आयात का मुकाबला करने में दिक्कत आ रही है। इसके बावजूद अमेरिका और यूरोप के देशों की साइकिल एवं पार्ट्स की जरूरतों को पूरा करने के लिए उद्योग को युद्धस्तर पर ठोस प्रयास करने होंगे।
अवसर का लाभ उठाने के लिए ये दिए सुझाव
-चेयरमैन के अनुसार निर्यात बढ़ाने के लिए उद्योग को रिसर्च एंड डवलपमेंट को मजबूत करना होगा।
-हाईएंड साइकिल के निर्माण को बढ़ावा देना होगा।
-विश्व स्तरीय जरूरतों के अनुसार साइकिल के डिजाइन, फिनिशिंग, ट्रेंड एवं स्टाइल पर फोकस करना होगा। तभी विदेशी बायर्स की जरूरतों के अनुसार उत्पाद तैयार कर ओवरसीज मार्केट में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाई जा सकती है।
-साइकिल उद्यमियों को निर्यात पर फोकस करने अपनी योजनाओं को अंतिम रूप देना होगा।
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