1955 में लुधियाना में आया पहला लैंडलाइन, अब भी घनघना रहे हैं दो लाख फोन
भले ही अब हर हाथ में मोबाइल फोन हो लेकिन कभी लैंडलाइन लगने पर सेलीब्रेशन होता था। लुधियाना में 1955 में पहला फोन लगा था।
लुधियाना [मुनीश शर्मा]। टेक्नोलॉजी के दौर में फोन के बिना जीवन अधूरा लगता है। या यूं कहें कि मोबाइल के बिना व्यक्ति एक दिन भी नहीं रह सकता। अगर बात दस-पंद्रह साल पहले की करें, तो टेलीकॉम सेक्टर में क्रांति आने से पूर्व पूरी गली और मोहल्ले में एक-दो घरों में टेलीफोन लगा होता था। जिनके घर टेलीफोन की सुविधा आती थी तो इसे सेलीब्रेट किया जाता था। जिनके घर फोन लगता था वे इसको लेकर जश्न में मिठाई बांटने से लेकर सेलीब्रेशन तक करते थे, लेकिन अब कंपनियों को टेलीफोन ग्राहकों को तलाशने में दो चार होना पड़ता है। ऐसे में लाखों मोबाइल कनेक्शन के बावजूद आज कई घरों में लैंडलाइन फोन को भी रखा गया है। भले ही घर के सभी सदस्यों के पास मोबाइल फोन है, लेकिन लैंडलाइन में बात करने की सहूूलियत और वायस क्लीयरिटी को लेकर आज भी लोगों का रूझान बरकरार है।
संचार निगम एग्जीक्यूटिव एसोसिएशन के सचिव एसडीओ हरिंदर सिंह के मुताबिक इस समय लुधियाना में दो लाख के करीब लैंडलाइन फोन हैं। इनमें 75 हजार से अधिक कनेक्शन बीएसएनएल के हैं। कई ऐसे कनेक्शन हैं, जो वर्ष 1955 से लगातार चल रहे हैं। इस समय लुधियाना में मोबाइल कंपनियों की बात करें, तो बीएसएनएल के अलावा जियो, एयरटेल, वोडाफोन काम कर रहें हैं।
इनकमिंग सुविधा देने वाली पहली कंपनी थी बीएसएनएल
बात मोबाइल क्रांति की करें, तो इसमें भी बीएसएनएल की भूमिका अहम रही है। 2001 में लुधियाना में बीएसएनएल की ओर से मोबाइल सेवा का आगाज किया गया तो सबसे पहले इनकमिंग कॉल सुविधा फ्री देने वाली कंपनी बनी। इससे पूर्व मोबाइल कंपनियां 2001 तक इनकमिंग के आठ रुपये प्रति मिनट और आउटगोइंग के 16 रुपये प्रति मिनट लिया करती थी।
लैंडलाइन से होती है 7.50 करोड़ की वार्षिक आय
एसडीओ हरिंदर सिंह के मुताबकि इस समय बीएसएनएल का कारोबार 45 करोड़ रुपए सालाना है। इसमें लैंडलाइन का साढे़ सात करोड़, मोबाइल का साढे आठ करोड़, ब्राडबैंड का 15 करोड़ और लीज लाइन का दस करोड़ का कारोबार है।