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अब ऑनलाइन दिखेगा इस विभाग की फाइलों का स्टेटस, रोकने पर बताना होगा कारण

शिक्षा विभाग की वेबसाइट पर आइडी से लॉग इन कर यह देखा जा सकता है कि फाइल का स्टेटस क्या है और किसके पासर अटकी पड़ी है।

By Edited By: Published: Mon, 19 Nov 2018 06:30 AM (IST)Updated: Mon, 19 Nov 2018 11:56 AM (IST)
अब ऑनलाइन दिखेगा इस विभाग की फाइलों का स्टेटस, रोकने पर बताना होगा कारण
अब ऑनलाइन दिखेगा इस विभाग की फाइलों का स्टेटस, रोकने पर बताना होगा कारण

लुधियाना, जेएनएन: एक टेबल से दूसरी टेबल तक फाइल पहुंचाने में लेट लतीफी करने में शिक्षा विभाग बाबू बदनाम रहे हैं। कई बार अफसरों को पता ही नहीं चलता था कि फाइल किस लेवल पर पेंडिंग है। इसकी वजह से टीचर्स व अन्य कर्मचारियों को दफ्तरों के कई चक्कर लगाने पड़ते थे। पर अब शिक्षा विभाग हाईटेक हो गया है और बाबू की लेटलतीफी सेकेंड में मोबाइल से ही पकड़ी जा सकती है। शिक्षा विभाग ने फाइल मूवमेंट की ट्रैकिंग के लिए नया सिस्टम शुरू कर दिया है जिससे ब्रांच सुपरिटेंडेंट से लेकर सेक्रेटरी तक कोई भी फाइल को ट्रैक कर सकते हैं। शिक्षा विभाग ने फाइल मूवमेंट के नए ट्रैकिंग सिस्टम को शुरू कर दिया है। पहले 15 दिन यह सिस्टम ट्रायल पर चल रहा है। इसके तहत डायरी ब्रांच में फाइल आते ही उसे एक नंबर देकर मोबाइल पर फीड कर रहा है। उसके बाद फाइल संबंधित ब्रांच में जाती है तो क्लर्क फाइल रिसीव कर रहा है और इसकी जानकारी मोबाइल पर अपलोड कर रहा है।

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इसके बाद सुपरिटेंडेंट मोबाइल के जरिए ही देख रहे हैं कि फाइल क्लर्क ने फॉरवर्ड की है या पेंडिंग है। अगर पेंडिंग है तो वह उसे मोबाइल के जरिए ही क्लीयर करने या उससे ऑब्जेक्शन पूछ लेता है। इसी तरह फाइल सुपरिटेंडेंट के पास आ रही है तो वह डीईओ को भेज रहा है। सेक्रेटरी एजुकेशन तक फाइल इसी तरह स्टेप टू स्टेप मूव कर रही है और हर स्तर पर अफसर उसका स्टेटस देख रहे हैं।

विभाग ने अपनी वेबसाइट पर एक लॉग इन दिया है जिस पर आइडी के जरिए खोलकर उस पर फाइल का स्टेटस देखा जा सकता है। यह सिस्टम अभी ट्रायल पर चल रहा है तो सेक्रेटरी एजुकेशन खुद इस पूरे मामले को मॉनिटर कर रहे हैं। शिक्षा विभाग की इस पहल से डिपार्टमेंट में फाइलों के रुकने में काफी कमी आ गई है।

फाइल पर कोई आपत्ति है तो बताना पड़ेगा कारण

क्लर्क, सुपरिटेंडेंट या डीईओ कोई भी फाइल को रोकता है तो उसे क्या आपत्ति है, इसके बारे में सिस्टम में जानकारी देनी होगी। यह भी बताना होगा कि जिस टीचर की फाइल पर ऑब्जेक्शन लगाया गया है, उसे सूचना दी गई है या नहीं। इसके अलावा टीचर को ऑब्जेक्शन क्लीयर करने के लिए कितने दिन का वक्त दिया गया है, इस संबंध में भी जानकारी देनी होगी ताकि टीचर्स को बार बार दफ्तरों के चक्कर न लगाने पड़े।

यह कहते हैं अधिकारी

जिला शिक्षा विभाग के सुपरिटेंडेंट हरिदेव शर्मा का कहना है कि फाइल मूवमेंट सिस्टम को ऑनलाइन कर दिया गया है। रोजाना पेंडेंसी रिपोर्ट ऑनलाइन आ रही है। इससे जिला स्तर से लेकर सेक्रेटरी तक सभी देख रहे हैं। इससे निश्चित तौर पर पेंडेंसी लिस्ट में कमी आ रही है।


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