FICO ने केंद्रीय कपड़ा मंत्री स्मृति ईरानी को लिखा पत्र, कहा- यार्न की कीमतों में इजाफे की हो जांच
फेडरेशन आफ इंडस्ट्रियल एंड कमर्शियल आर्गेनाइजेशन-फीको ने मांग की है कि यार्न की कीमतों में बेतहाशा इजाफे की जांच की जाए। इस संबंध में संगठन ने केंद्रीय वस्त्र मंत्री स्मृति ईरानी को पत्र लिख कहा है कि उद्योग इस समय गंभीर दौर से गुजर रहा है
लुधियाना, जेएनएन। फेडरेशन आफ इंडस्ट्रियल एंड कमर्शियल आर्गेनाइजेशन-फीको ने केंद्रीय वस्त्र मंत्रालय से मांग की है कि यार्न की कीमतों में बेतहाशा इजाफे की जांच की जाए। इस संबंध में संगठन ने केंद्रीय वस्त्र मंत्री स्मृति ईरानी को पत्र लिखा है। संगठन का तर्क है कि कपड़ा उद्योग कोरोना महामारी के दौरान लगे लाकडाउन के गंभीर प्रभाव से पहले ही दिक्कत में है और अब कच्चे माल की बढ़ रही कीमतों के चलते आस्तित्व का संकट पैदा हो गया है।
फीको के प्रधान गुरमीत सिंह कुलार ने कहा कि कपड़ा और परिधान उद्योग मुख्य रूप से एमएसएमई सेगमेंट में है और लाखों श्रमिकों को रोजगार दे रहे हैं। सभी बुनियादी कच्चे माल की कीमतों में लगातार वृद्धि ने कपड़ा उद्योग को बंद होने के कगार पर खड़ा कर दिया है। फीको के वाइस चेयरमैन विपन मित्तल ने कहा कि इस साल देश की कपास की फसल का उत्पादन पिछले साल की तुलना में अधिक था। इसके अलावा, यूरोप और अमरीका में कपड़ों का निर्यात पिछले साल की तुलना में आधे से भी कम है।
बांग्लादेश और चीन को निर्यात बढ़ी किल्लत
इसके बावजूद कि यार्न की किल्लत है और पिछले तीन-चार महीनों में एमएसएमई इकाइयों की पहुंच से परे होने के कारण कीमतों में बढ़ोतरी सबसे अनुचित है। ऐसा इसलिए है क्योंकि भारतीय स्पिनरों द्वारा मूल कपास यार्न का बड़ी मात्रा में बांग्लादेश और चीन को निर्यात किया जा रहा है और भारतीय बाजार के लिए उन्होंने व्यापारियों के साथ इस हद तक कीमतें बढ़ाने के लिए एक कार्टेल बनाया है और इसे बढ़ाने के लिए एक कृत्रिम कमी पैदा की है। अधिक लाभ कमाने के लिए, घरेलू और निर्यात बाजार में एमएसएमई उद्योग को अस्थिर और अप्रभावी बनाकर प्रस्तुत करना। सरकार को यार्न के निर्यात पर प्रतिबंध लगाना चाहिए। स्पिनरों को यह भी सलाह दी जा सकती है कि वे अपने ऑर्डर की योजना बनाने के लिए कम से कम एक महीने तक एक ही रेट रखें।
पालिएस्टर यार्न पर एंटी-डंपिंग ड्यूटी को तुरंत हटाए सरकारः अजीत लाकड़ा
फीको के टेक्सटाइल डिवीजन के हैड अजीत लाकड़ा ने कहा कि कंपनियाें ने चालीस फीसद तक रेट बढ़ा दिए हैं। इनको मैनेज करना मुश्किल हो रहा है। यार्न की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए सरकार को पालिएस्टर यार्न पर एंटी-डंपिंग ड्यूटी को तुरंत हटा देना चाहिए और यह कच्चा माल है, ताकि यार्न भारतीय कपड़ा निर्माताओं को अंतर्राष्ट्रीय मूल्य पर आयात के लिए उपलब्ध हो जाए। यह भारत में और अधिक रोजगार पैदा करेगा और साथ ही भारत सरकार के लिए राजस्व भी पैदा करेगा। एमएसएमई कपड़ा इकाइयां पहले से ही भारी तनाव में हैं। यार्न की कीमतों में असामान्य वृद्धि ने एमएसएमई इकाइयों के अस्तित्व को और मुश्किल बना दिया है। एमएसएमई परिधान इकाइयों को बंद करने से लाखों श्रमिक बेरोजगार हो जाएंगे और भारत में वस्त्र उद्योग में अत्तम निर्भर बनने की दिशा में एक बड़ा झटका होगा।