धर्म से पिता को था बहुत लगाव, दान के लिए करते थे प्रेरित: करुणा निधि
मेरे पिता स्वर्गीय ब्रह्मदत्त पाठक का जन्म 1964 में उत्तर प्रदेश के जिला गोंडा के गांव बनगवा में हुआ।
लुधियाना : मेरे पिता स्वर्गीय ब्रह्मदत्त पाठक का जन्म 1964 में उत्तर प्रदेश के जिला गोंडा के गांव बनगवा में हुआ। मात्र 49 वर्ष की उम्र में वह स्वर्ग सिधार गए। उनका धर्म से बहुत लगाव था। बिना नित्यकर्म पूजा पाठ किए घर से कहीं नहीं जाते थे। पिता जी हमेशा कहते थे कि जरूरतमंदों की मदद किया करो। उनके बताए मार्ग पर ही हम जरूरतमंदों की मदद गुप्त रूप से करते आ रहे हैं। वह कहते थे कि जब दान या मदद करो, तो दूसरे हाथ को भी पता नहीं चलना चाहिए। वह हमेशा पूर्वजों को पितृपक्ष में श्राद्ध तर्पण कराते थे। अब उसी परंपरा के तहत हम भी श्राद्ध में तर्पण के साथ उनका पिडदान करते हैं और ब्राह्मणों को भोजन करवाते हैं। वह आज हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनके आदर्श हमेशा हमारे साथ रहेंगे।
-करुणा निधि पाठक, प्रेमनगर ग्यासपुरा, लुधियाना तर्पण : सामाजिक सरोकारों से जुड़े रहने से होता है परिवार का उत्थान
शेरपुर के शहीद बाबा दीप सिंह नगर निवासी संजय कुमार का कहना है कि मेरे पिता स्व. रामजी प्रसाद हमें हमेशा शिक्षा देते रहे कि सामाजिक संस्कारों से जुड़कर रहने से परिवार का उत्थान होता है। पिता के बताए मार्ग पर चलने और उनके बचनों का पालन करते रहने से हमारा परिवार आज खुशी के साथ जीवन व्यतीत कर रहा है। पिताजी ने कहा कि जीवन में कभी अहंकार और बुराई का मार्ग नहीं अपनाना चाहिए। सच्चाई का मार्ग हमेशा स्वस्थ्य जीवन देता है। उन्होंने अपने बच्चों को उच्च शिक्षा दिलाकर समाज में गर्व से जीना सिखाया। संजय ने बताया कि वह दो भाई है छोटे का ना सुरजीत कुमार है। दोनों भाई पिता के बताए मार्ग पर चल रहे है जिससे दोनों भाईयों का समाज में पहचान है। मेरे पिताजी हमेशा सत्य के सारथी थे और धार्मिक प्रवृति अपनाते हुए अक्सर तीर्थस्थल जाते रहते थे और रोजाना पूजा करने के बाद ही दूसरे कार्य को तत्पर होते थे।
-संजय कुमार, शहीद बाबा दीप सिंह नगर, शेरपुर लुधियाना