पिता के पंच, मा की गुर से सौम्या को मिला सोना
संस, समराला: 13 साल की 2-2 गोल्ड मैडल हासिल करने वाली सौम्या को उसके पिता बॉक्सिंग चैंपियन बनाने की ट्रेनिंग दे चुके है।
संस, समराला: 13 साल की 2-2 गोल्ड मैडल हासिल करने वाली सौम्या को उसके पिता बॉक्सिंग चैंपियन बनाने के लिए ट्रेनिंग दे रहे हैं। पिता अमित सद्दी पेशे से वकील हैं और समराला व लुधियाना की कचहरी में प्रैक्टिस करते हैं। सौम्या सातवीं कक्षा में एमएएम स्कूल में पढ़ती है। अमित सद्दी स्कूल व कॉलेज स्तर अपने जमाने में बॉक्सिंग के मुकाबले खेला करते थे। उनकी पत्नी सीमा सद्दी एथलीट रह चुकी है। सौम्या को यह शौक अपने पिता से विरासत में मिला है।
बेटी की रुचि बॉक्सिंग में देख कर पिता ने उसे 2018 में चंडीगढ़ के हॉकी क्लब में जून माह में एक माह की नियमित रूप से ट्रेनिंग ली थी। इसके बाद वह अब सप्ताह में केवल दो दिन ही चंडीगढ़ जाती है। उसके बाद उसे समराला के शाही स्पोर्ट्स कॉलेज में ट्रेनिंग लेने के लिए भेजा। जब शाही स्पोर्ट्स कॉलेज में पढ़ रहे छात्रा व छात्राओं ने उसे रिंग में बाक्सिंग खेलते हुए देख लेते हैं तो वह हैरान रह जाते हैं। अमित सद्दी अपनी दोनों बेटियों को रोजाना ट्रेनिंग दे रहे हैं। छोटी बेटी जुगाजली सद्दी मात्र 10 साल की है। वह अपनी बड़ी बहन को देख कर बॉक्सिंग में रूचि लेने लगी है।
सौम्या ने स्कूल स्तर पर आयोजित जिला स्तरीय प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल जीता। इसके बाद हॉकी क्लब की ओर अगस्त माह में करवाई गई राष्ट्रीय बॉक्सिंग प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल जीत चुकी है।
मा सीमा सद्दी एथलेटिक्स की बता रही पेंच
जहा पिता बच्चियों को बॉक्सिंग की ट्रेनिंग दे रहे हैं, वहीं मा सीमा सद्दी एथलेटिक्स की ट्रेनिंग दे रही हैं। सौम्या ने अगस्त महीने में ही चंडीगए़ में मेडल प्राप्त किया है। हाल ही में खन्ना में स्कूलों में हुए मुकाबलों में सौम्या ने गोल्ड मेडल प्राप्त किया है। सौम्या के हौसले बुलंद हैं। उसने बताया कि वह सारा श्रेय अपने माता-पिता और कोच भगवंत सिंह और गुरवीर शाही को देती हैं, जिनकी बदौलत वह इस मुकाम तक पहुंची है। उसका सपना है कि वह बड़ी होकर अपने देश की बाक्सिंग चैंपियन बने और भारत का नाम रौशन करे। पिता अमित सद्दी का कहना है उसे अपनी दोनों बेटियों पर बहुत गर्व है।