फसलों को चूहों से बचाने के लिए खेतीबाड़ी माहिरों ने कसी कमर
किसानों व जमींदारों की फसलों को मौसम की मार तो पड़ती है साथ ही चूहे भी बुरी तरह प्रभावित करते है।
बिदु उप्पल, जगराओं : हर वर्ष किसानों व जमींदारों की फसलों को मौसम की मार तो पड़ती है साथ ही फसलों को चूहे भी बुरी तरह प्रभावित करते है। चूहे फसलों की जड़ों को खराब करने के लिए जमीन में छिपने के लिए गड्ढे बना लेते है और फसलों को खराब करते है। चूहों के कारण बर्बाद हो रही फसलों को देखते हुए पीएयू व जिला खेतीबाड़ी विभाग बहुत चितित हुआ है। यह कहना है पीएयू के ज्यौलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ.नीना सिगला का। डॉ. नीना सिगला ने कहा कि हर वर्ष चूहों के कारण 2 से 15 प्रतिशत फसल प्रभावित होती है।
उन्होंने बताया कि आजकल गेंहू की बीजाई के समय पराली को जमीन में मिला दिया जाता है और चूहों को पराली में छिपने की जगह मिल जाती है ऐसे में जमीन में छिपे ये चूहे फसलों को नुकसान पहुंचाते है।
चूहों को कंट्रोल करने की जरूरत: डॉ. बलदेव सिंह
नार्थ जिला खेतीबाड़ी अफसर डॉ.बलदेव सिंह नार्थ ने कहा कि चूहों के कारण हर वर्ष फसलें प्रभावित होती है। यदि समय पर इन पर नियंत्रण ने पाया गया तो इनकी संख्या बढ़ती जाती है।
उन्होंने बताया कि खेतों में चूहों की संख्या को कंट्रोल करने के लिए जिंक फास्टफाइड 25 प्रतिशत, 20 ग्राम पीसी चीनी व 20 ग्राम तेल व अनाज, गेंहू, चने, बाजरा, जौं को मिक्स कर लिया जाता है और फिर इसको मिलाकर पुड़ियां बना ली जाती है। ढाई एकड़ में 40 पुडियां फसलों के बीच बने गड्ढों में रख दी जाती है ताकि इन पुडियों को खाकर चूहे मर जाएं। पिंजरे व आलने देने की हुई शुरुआत
जिला खेतीबाड़ी अफसर डॉ. बलदेव सिंह नार्थ व पीएयू ज्योलोजिस्ट डॉ.नीना सिगला ने बताया कि अब किसानों को चूहे मारने की दवाओं के साथ चूहे पकड़ने के लिए पिंजरे देने की शुरुआत की है। पहली बार पीएयू व विभाग द्वारा पिजरे, आलने व बाजरा भी दिया गया है और किसानों को चूहे पकड़ने के लिए पिजरों का प्रयोग करने की अपील की।