पराली से बनेगी फीड पैलेट, किसान भी होंगे मालामाल
गडवासू ने पराली से पशु आहार बनाने की नई तकनीक इजाद की है। इसके लिए मल्टीनेशनल कंपनी से करार किया गया है। इसके पंजाब में 30 स्थानों पर यूनिट लगाए जाएंगे।
जेएनएन, लुधियाना। पराली के प्रदूषण की गंभीर चुनौती से निपटने के लिए गुरु अंगद देव वेटरनरी एंड एनिमल साइंस यूनिवर्सिटी (गडवासू) ने एक और रास्ता ढूंढ निकाला है। वैज्ञानिकों ने पराली को हरे चारे व अन्य तरह के सप्लीमेंट के साथ मिलाकर पशुओं के लिए पौष्टिक फीड पैलेट (गोलियां) तैयार करने की विधि ढूंढी है। वैज्ञानिकों का दावा है कि फीड पैलेट से न सिर्फ पशुओं को आहार मिलेगा, बल्कि किसानों को भी फायदा होगा।
यूनिवर्सिटी के वीसी डॉ. अमरजीत सिंह नंदा ने बताया कि पराली की समस्या गंभीर बन चुकी है। सूबे में हर साल 20 मिलियन टन पराली पैदा होती है, लेकिन अब तक केवल बिजली पैदा करने, खेतीबाड़ी व पशु आहार के तौर पर केवल पांच टन पराली ही इस्तेमाल में लाई जा रही है। शेष पराली को किसान आग के हवाले कर देते हैं, क्योंकि उनके पास पराली के प्रबंधन व इसे संभालने के विकल्प नहीं हैं। इस समस्या के समाधान के लिए फीड पैलेट बनाने की विधि तैयार की गई है। इस रिसर्च की प्रिंसिपल इनवेस्टीगेटर डॉ. मंजू वाधवा हैं।
पंजाब में फीड पैलेट बनाने के लिए लगेंगे तीस यूनिट
पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत फीड पैलेट बनाने को लेकर यूनिवर्सिटी ने दोहा व कतर की मल्टी नेशनल कंपनी अलकिंदी ग्रुप की उप कंपनी नीवेय रिन्युएबल एनर्जी बठिंडा प्राइवेट लिमिटेड के साथ एमओयू साइन किया है। एमओयू के तहत यूनिवर्सिटी की ओर से 22 सितंबर तक पराली, हरा चारा व अन्य तरह के सप्लीमेंट को मिलाकर पंद्रह से बीस तरह के फीड पैलेट बनाए जाएंगे।
इसमें से तीन या चार तरह के बेहतरीन फीड पैलेट बनाकर उसका पशुओं पर सफल ट्रायल करने के बाद कंपनी को इसका फार्मुलेशन दिया जाएगा। उसके बाद कंपनी यूनिवर्सिटी की टेक्नोलॉजी व दिशा-निर्देशों के अनुसार पराली को प्रॉसेस करके पशुओं के लिए पौष्टिक व गुणकारी आहार तैयार करेगी। यूनिवर्सिटी के माहिर समय-समय पर फीड पैलेट की क्वालिटी के मापदंडों की जांच करेंगे। फीड पैलेट की ट्रांसपोटेशन और इसे संभालना आसान है।
हर साल 15 मिलियन टन फीड पैलेट बनाने का टारगेट
वीसी ने बताया कि कंपनी यूनिवर्सिटी से फीड पैलेट बनाने का फार्मुलेशन लेने के बाद इसे बनाने के लिए राज्य में तीस स्थानों पर यूनिट स्थापित करेगी। हर यूनिट कम से कम बीस एकड़ का होगा। बठिंडा में इसके लिए तीस एकड़ जगह एक्वायर कर ली गई है।
उम्मीद है कि 22 दिसंबर तक बठिंडा में बनाए जा रहे यूनिट में फीड पैलेट का प्रोडक्शन शुरू हो जाएगा। इसके लिए कंपनी एक साल में 150 करोड़ रुपये इनवेस्ट करेगी। कंपनी का टारगेट हर साल 15 मिलियन टन फीड पैलेट बनाने का है। कंपनी इन फीड पैलेट को भारत के साथ-साथ गोल्फ कंट्री व मिडल ईस्ट देशों को एक्सपोर्ट करेगी। इस प्रोजेक्ट के शुरू होने से पांच हजार से अधिक लोगों को रोजगार भी मिलेगा।
कंपनी किसानों से खरीदेगी पराली
वीसी ने बताया कि कंपनी फीड पैलेट बनाने के लिए किसानों से पराली खरीदेगी। हालांकि, उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि पराली की खरीद किस तरह होगी और कितने में पराली खरीदी जाएगी। डॉ. नंदा ने कहा कि जब किसानों को पराली के दाम मिलने लगेंगे, तो वह इसे आग के हवाले नहीं करेंगे। इससे पर्यावरण भी सुरक्षित रहेगा।
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