नाड़ में जल गए 'आदेश', किसानों ने कर्फ्यू का उठाया फायदा, 10 मई तक 2415 केस
किसानों ने कर्फ्यू के आदेशों को धुएं में उड़ा दिया। राज्य में गेहूं की नाड़ (अवशेष) खूब जली। अभी भी कई खेतों में नाड़ पड़ी है।
जगराओं [बिंंदु उप्पल]। पंजाब में कर्फ्यू के बावजूद खेतों में किसानों ने गेहूं की नाड़ (अवशेष) खूब जलाई जा रही है। हालांकि औद्योगिक गतिविधियां कम व सड़कों पर वाहनों की आवाजाही न होने से पर्यावरण पर प्रदूषण का ज्यादा असर देखने को नहीं मिला। प्रशासन कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में व्यस्त है तो किसान इसका फायदा नाड़ जलाकर ले रहे हैं। वहीं, कोरोना के संक्रमण को रोकने में जुटी सरकार इस बार जागरूकता अभियान व कार्रवाई नहीं कर सकी। पंजाब रिमोट सेसिंग सेंटर (Punjab Remote Sensing Center) लुधियाना के वैज्ञानिक डॉ. अनिल सूद ने बताया कि अभी भी राज्य में कई खेतों में नाड़ पड़ी है, जिससे इन आंकड़ों में बढ़ोतरी हो सकती है।
नाड़ जलाने के मामले
- 2020 2415
- 2019 2276
- 2018 6805
कहां-कहां जली पराली सेटेलाइट द्वारा ली गई तस्वीर।
किस जिले में कितनी घटनाएं
जिला | 2018 | 2019 | 2020 |
बठिंडा | 628 | 272 | 429 |
फिरोजपुर | 484 | 108 | 291 |
संगरूर | 771 | 293 | 270 |
बरनाला | 334 | 94 | 212 |
होशियारपुर | 234 | 92 | 168 |
फाजिल्का | 202 | 116 | 157 |
मानसा | 351 | 214 | 131 |
मोगा | 453 | 104 | 116 |
मुक्तसर | 300 | 89 | 90 |
जालंधर | 137 | 67 | 89 |
कपूरथला | 271 | 171 | 85 |
फरीदकोट | 268 | 65 | 80 |
लुधियाना | 238 | 60 | 69 |
पटियाला | 307 | 82 | 64 |
गुरदासपुर | 554 | 194 | 41 |
अमृतसर | 615 | 94 | 33 |
तरनतारन | 484 | 59 | 33 |
नवांशहर | 54 | 13 | 18 |
फतेहगढ़ साहिब | 36 | 17 | 17 |
मोहाली | 21 | 42 | 11 |
रूपनगर | 9 | 9 | 8 |
पठानकोट | 54 | 21 | 3 |
कुल | 6805 | 2276 | 2415 |
(यह आंकड़े 15 अप्रैल से 10 मई तक के हैं)
नाड़ जलाने में संगरूर पहले व बठिंडा दूसरे स्थान पर
पीएयू पंजाब रिमोट सेसिंग विभाग के आंकड़ों के अनुसार 2020 में बठिंडा में 429 केस व फिरोजपुर में 291 व संगरूर में 270 केस सामने आए हैं। 2019 में भी संगरूर में 293 व बठिंडा के 272 केस आए थे। 2018 में भी संगरूर में नाड़ जलाने के सबसे अधिक केस 771 व बठिंडा में 628 और गुरदासपुर में 554 थे।
पिछले साल से ज्यादा जली नाड़ पर प्रदूषण कम
2019 के मुकाबले गेहूं की नाड़ अधिक जली है, लेकिन इस वर्ष इससे होने वाले प्रदूषण का स्तर कम आंका है। लॉकडाउन के पहले चरण में 15 अप्रैल तक लुधियाना व आसपास का प्रदूषण का स्तर करीब 35 तक पहुंच गया। तीसरे चरण में छूट के कारण अब प्रदूषण का स्तर 90 है।
नाड़ जलाने वालों पर हो रहे है पर्चें व जुर्माना
पंजाब पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (PPCB) सीनियर पर्यावरण इंजीनियर संदीप बहल का कहना है कि गेहूं की नाड़ जलाने वाले किसानों पर एफआइआर के साथ-साथ जुर्माने किए रहे हैं। 20 मई तक गेहूं का सीजन है और इसके बाद सभी मामलों पर कार्रवाई होगी।