DAP Crisis: बठिंडा में डीएपी के लिए भटक रहे किसान, सुबह 5 बजे ही इफ्को केंद्र के बाहर लग रही कतारें
DAP Crisis बठिंडा की अनाज मंडी स्थित इफ्को सेंटर में तो किसानों को खाद के लिए भटकना पड़ रहा है। यहां पर लंबी लंबी लाइनों में किसानों की हालत देखने वाली होती है। दर्जनों किसान सुबह 5 बजे से यहां पर डेरा लगा लेते हैं।
जागरण संवाददाता, बठिंडा। DAP Fertilizer crisis Punjab: पंजाब की मालवा पट्टी के किसानों को नरमा की फसल पर हुए गुलाबी सुंडी के हमले के बाद अब डीएपी खाद के संकट ने घेर लिया है। खाद के लिए किसान इधर उधर भटक रहे हैं। मगर उनकी समस्या का कहीं भी हल नहीं हो रहा। खाद की कमी को अगर आने वाले एक हफ्ते में दूर नहीं किया गया तो गेहूं की बिजाई पिछड़ जाएगी। जिसका सीधा असर फसल के झाड़ पर पड़ेगा। इसके साथ किसानों को आर्थिक तौर पर नुकसान भी होगा।
अब तक किसानों को खाद का मुश्किल से ही 50 फीसद हिस्सा बांटा गया है जबकि गेहूं की बिजाई का सीजन एक हफ्ते में खत्म होने वाला है। बेशक सरकार द्वारा सहिकारी सभाओं के लिए खाद का कोटा बढ़ाकर 70 फीसद कर दिया गया। मगर बाजारों में खाद के लिए अभी भी मारामारी है। अकेले बठिंडा जिले की करीब 100 सहकारी सभाएं ऐसी हैं, जिनमें अभी भी खाद की कमी है। वहीं सहकारी सभाओं की कर्मचारी यूनियन के जिला प्रधान गुरपाल सिंह का कहना है कि खाद की स्थिति बेशक सुधरी है। लेकिन संकट अभी भी बरकरार है।
हालात तो यह हैं कि किसानों की स्थिति ऐसी बन गई है कि उनको जहां भी खाद का पता लगता है तो वह उधर को चल पड़ते हैं। पंजाब में गेहूं की बिजाई का काम बीच में लटका हुआ है। पंजाब में करीब 35 लाख हेक्टेयर में गेहूं की बिजाई की जाने का अनुमान है। किसानों का कहना है कि अभी तक तो मुश्किल से 50 फीसद गेहूं की बिजाई हुई है। बाकी का रकबा खाद न मिलने के कारण बिजाई करने से रुका हुआ है। वहीं खेती माहिरों का कहना है कि अगर बिजाई देरी से की जाए तो न केवल झाड़ कम होगा। बल्कि बीमारियां लगने का खतरा भी बन जाता है।
बठिंडा की अनाज मंडी स्थित इफ्को सेंटर में तो किसानों को खाद के लिए भटकना पड़ रहा है। यहां पर लंबी लंबी लाइनों में किसानों की हालत देखने वाली होती है। दर्जनों किसान तो ऐसे होते हैं, जो सुबह सुबह पांच बजे से यहां पर डेरा लगा लेते हैं। जबकि महत्वपूर्ण पहलू तो यह है इस बार तो किसानों की किसी राजनीतिक पक्ष ने भी सार नहीं ली। हालांकि शिअद प्रधान सुखबीर सिंह बादल बठिंडा में डीसी दफ्तर के आगे धरना जरूर लगा चुके हैं। जबकि पहले चुनावों के समय हाथ जोड़ने वालों की लाइनें लग जाती थी। किसान हरनेक सिंह ने बताया कि उसने खाद लेने के लिए काफी कोशिश की, लेकिन परेशान ही होना पड़ा।
वहीं किसान जसपाल सिंह ने बताया कि पहले पर्चियां बांटी जाती हैं। मगर खाद कब मिलेगी, यह पता नहीं होता। इसी प्रकार किसान हरबंस सिंह ने बताया कि वह पहले हरियाणा में धक्के खाकर आया है। अब बठिंडा आया है, लेकिन यहां भी खाद मिलने की उम्मीद नहीं है। दूसरी तरफ इफ्को के क्षेत्रीय मैनेजर सुदेश गौतम ने बताया कि असल में रैक लगने में देरी हुई है। अब जल्द ही खाद पहुंचने की संभावना है, जिसको बाद खाद को किसानों में बांट दिया जाएगा। जबकि पर्चियां बांटने के समय किसानों से कोई पैसा नहीं लिया जा रहा।