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इस किसान ने छह साल से नहीं जलाई पराली, खेत में ऐसे करते हैं इस्तेमाल Ludhiana News

करीब 30 एकड़ फसल की खेती कर रहे किसान सुच्चा सिंह पाबला को पॉपुलर और केंचुए की खाद बनाने के कारण कृषि विभाग द्वारा कई बार सम्मानित किया जा चुका है।

By Edited By: Published: Wed, 30 Oct 2019 07:57 AM (IST)Updated: Thu, 31 Oct 2019 09:22 AM (IST)
इस किसान ने छह साल से नहीं जलाई पराली, खेत में ऐसे करते हैं इस्तेमाल Ludhiana News
इस किसान ने छह साल से नहीं जलाई पराली, खेत में ऐसे करते हैं इस्तेमाल Ludhiana News

श्री माछीवाड़ा साहिब, जेएनएन। धान की फसल की कटाई के बाद पराली को आग लगाने के कारण फैल रहा प्रदूषण मनुष्य जीवन के लिए बहुत बड़ी समस्या बन रहा है जहां ज्यादातर किसान सरकार की रोक के बावजूद पराली को आग लगा रहे हैं वहां कुछ किसान सुच्चा सिंह पाबला जैसे भी हैं जो कि पिछले छह वर्ष से पराली को आग लगाए बिना बढि़या पैदावार कर रहे हैं। रोपड़ रोड स्थित गांव शेरपुर बेट में करीब 30 एकड़ फसल की खेती कर रहे किसान सुच्चा सिंह पाबला को पॉपुलर और केंचुए की खाद बनाने के कारण कृषि विभाग द्वारा कई बार सम्मानित किया जा चुका है।

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किसान सुच्चा सिंह पाबला ने बताया कि पराली को जलाना बहुत ही गंभीर मुद्दा है क्योंकि पराली का धुआं हमारे वातावरण को बहुत प्रदूषित कर रहा है इस लिए किसानों को जागरूक होना पड़ेगा। किसान सुच्चा सिंह ने बताया कि धान की कटाई के बाद जो खेतों में पराली पड़ी है उसे इकट्ठी करके बाहर रखा जायेगा और उस के बाद ट्रैक्टर से तवियां डाल सारी जमीन को जोत कर बाकी बचती पराली को भी मिट्टी में मिला देंगे। उन्होंने बताया कि बेशक पराली को खेतों में जोतने के लिए कुछ समय और मेहनत जरूर लगती है परंतु इस के साथ वातावरण को प्रदूषित होने से भी बचाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि ऐसा करने के बाद रोटावेटर द्वारा गेहूं की बिजाई की जाएगी और इस विधि से उनके फसल झाड़ में कभी कोई प्रभाव नहीं पड़ा।

पाबला ने बताया कि गेहूं की बिजाई से कटाई तक उन्होंने कभी अपने खेतों में रसायनिक खादों का इस्तेमाल नहीं किया और हमेशा उन्होंने अपने फार्म हाऊस में केंचुए से तैयार की जैविक खाद से ही फसल की पैदावार की है। इसके इलावा बेतहाशा कीटनाशक दवाओं का फसल तैयार करने को इस्तेमाल नहीं करता बल्कि उनके खेतों में गेहूं की पैदावार बिल्कुल जैविक ढंग से की जाती है जिस के साथ उन को फसल का मूल्य भी अधिक मिलता है। किसान सुच्चा सिंह पाबला ने बताया कि यदि सरकार पराली को आग लगाने वाले किसानों को कोई सबसिडी दे और जैविक ढंग से फसल तैयार करने वाले किसानों को कुछ लाभ दे तो जहां प्रदूषण घटेगा और जमीन को भी लाभ मिलेगा।

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