लुधियाना के किसान लाभ सिंह खेत में करते हैं पराली का प्रबंधन, अन्य व्यवसाय अपना दोगुनी की आय
लुधियाना के गांव मलिकपुर बेट के लाभ सिंह अन्य किसानों के लिए एक उदाहरण बन गए हैं। वह न केवल खेत में ही पराली का प्रबंधन करते हैं बल्कि विविधीकरण और अन्य व्यवसाय अपनी आय भी दोगुनी कर रहे हैं।
लुधियाना, जेएनएन। एक तरफ जहां जिले के कई किसान पराली को आग के हवाले करके पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहे हैं, दूसरी तरफ गांव मलिकपुर बेट ब्लाक मंगत के किसान लाभ सिंह पराली को खेती में इस्तेमाल कर रहे हैं। इससे न सिर्फ उनके खेतों की उर्वरा शक्ति बढ़ रही है, बल्कि खाद पर आने वाले खर्च से भी राहत है। वह पराली वाले खेतों में ही गेहूं की बिजाई करते हैं। लाभ सिंह के पास 14 एकड़ जमीन है। इसमें से 4 एकड़ में उन्होंने अमरूद के बाग लगाए हैं जबकि 10 एकड़ में वह गेहूं, मक्का, धान की खेती करते हैं। मशीनों की मदद से वह खेत में ही पराली का प्रबंधन करते हैं।
लाभ सिंह यूं करते हैं पराली का प्रबंधन
लाभ सिंह ने कहा कि वह सुपर एसएमएस से धान की कटाई करवाते हैं। इसके बाद पराली प्रबंधन के लिए उलटावे हल व रोटावेयर का उपयोग करते हैं। इससे पराली खेत में ही मिल जाती है। फिर, कुछ दिन पानी देकर छोड़ देते हैं। इससे पराली में जितने भी पौषक तत्व होते हैं, वह खेत में आ जाते हैं। इसके बाद वह खेत को तैयार करके गेहूं की बिजाई करते हैं। यह सब वह पीएयू के वैज्ञानिकों के मार्गदर्शन में करते हैं। ऐसा करने से उनके खेत की उपजाऊ शक्ति बढ़ जाती है, जिससे खाद पर आने वाले खर्च में कमी आती है।
खेती के साथ अन्य व्यवसाय भी अपनाएं किसान
लाभ सिंह ने कहा कि खेती के अलावा वह 10 भैंसों और 13 गायों के साथ डेयरी फार्म भी चलाते हैं। इसका दूध वह ग्राम सहकारी वेरका डेयरी में देते हैं। इसी कारण वह अन्य किसानों की तुलना में अधिक कमा रहे हैं। और संबद्ध व्यवसायों में लगा हुआ है। अमरूद के बाग से वह प्रति एकड़ 80,000 रूपये कमाते हैं। लाभ सिंह ने कहा कृषि को अगर वैज्ञानिक तरीके से किया जाए तो इससे आय को दुगना करना मुशिकल नहीं है। किसानों को चाहिए कि वह भी खेती के साथ साथ डेयरी फार्मिंग सहित अन्य व्यवसाय करें। इससे घर के दैनिक खर्चों को आसानी से कवर किया जा सकता है।
किसान भाइयों से पराली न जलाने की अपील
लाभ सिंह ने दूसरे किसानों से भी खेतों में पराली को आग न लगाने की अपील की है। उन्होंने कहा कि इससे जहां खेतों के मित्र कीड़े नष्ट हाेते हैं, वहीं पर्यावरण प्रदूषित होने के साथ-साथ इंसानी स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
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