Famous Temples of Punjab: लुधियाना का संगला वाला शिवाला मंदिर बना आस्था का केंद्र, 500 साल पहले उत्पन्न हुआ था स्वयंभू शिवलिंग, जानें खासियत
Famous Temples of Punjab घनी आबादी में बसे महानगर के प्राचीनतम संगला वाला शिवाला मंदिर का बस इसका नाम ही काफी है। 500 वर्ष पुराने इस मंदिर के प्रति लोगों की खासी आस्था है। खासकर सावन महीने में यहां हुजूम उमड़ पड़ता है।
कृष्ण गोपाल, लुधियाना। Famous Temples of Punjab: धीरे-धीरे कारवां बढ़ा, घर व जनसंख्या बढ़ी, लेकिन सड़के नहीं। इन छोटी सड़कों के बीच घनी आबादी में बसा है महानगर का प्राचीनतम संगला वाला शिवाला मंदिर। बस इसका नाम ही काफी है। 500 वर्ष पुराने इस मंदिर के प्रति लोगों की खासी आस्था है। खासकर सावन महीने में यहां हुजूम उमड़ पड़ता है। जानकार बताते हैं कि मंदिर का स्थान पहले वीराना होता था, लेकिन 500 वर्ष पहले एक बार भगवान शिव- शिवलिंग के रुप में प्रकट हुए। उसके बाद इस स्थान को मंदिर का रुप दिया गया।
जानें मंदिर का इतिहास
मंदिर प्रांगण में लगभग 500 वर्ष पहले स्वयंभू शिवलिंग प्रकट हुए थे। इसके बाद वहीं पर शिव मंदिर का निर्माण हुआ। खाली व वीरान जगह होने के कारण तत्कालीन महंत ने चारों और संगल से परिसर की घेराबंदी कर दी। इस कारण मंदिर का नाम संगला वाला शिवाला पड़ गया। मंदिर की खास बात यह है कि भले ही इसे नया रुप दिया गया हो, लेकिन इसका अंदरुनी हिस्सा देखने पर आपको पुराने जमाने की इमारत का एहसास होगा। मंदिर की मान्यता है कि शिव भक्त श्रावण माह में गंगा से कांवड़ लेकर यहां पहुंचते हैं और शिवलिंग पर अर्पित करते हैं।
प्राचीन संगला वाला शिवाला मंदिर के अंदर शिवलिंग का दृश्य।
परंपरा
संगला वाला शिवाला के वर्तमान महंत नारायण पुरी के अनुसार पहले महंत अलख पुरी थे। उनके बाद महंत हरनाथ पुरी, महंत शिवपुरी, महंत कृपाल पुरी, महंत बसंत पुरी थे। अब 37 वर्षों से वह खुद बाखूबी सेवा निभा रहे है। मंदिर प्रांगण के इर्द-गिर्द पार्किंग है। यहां काफी संख्या में गाड़ियां खड़ी की जा सकती है। बाकी रही सफाई की बात तो यहां पर आने वाले शिव भक्त खुद ही सफाई की सेवा करते हैं।
श्रावण माह में शिव भक्तों की भीड़
संगला वाला शिवाला मंदिर में शिवरात्रि पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। इसके अलावा खासकर श्रावण माह के सोमवार को तो शिवलिंग पर जल अर्पित करने के लिए लोगों की लंबी लाइन अपनी बारी का इंतजार करने में लगी रहती है। इस दिन पंजाब, हरियाणा, हिमाचल व राजस्थान सहित कई प्रदेशों से श्रद्धालु मनोकामना पूर्ति के लिए हाजिरी लगाने पहुंचते हैं।
आकर्षण का केंद्र
महतं नारायण पुरी के अनुसार मंदिर में शिव दुर्गा, वैष्णो देवी मां, चिंतपूर्णी माता, काली माता, संतोष माता, मां दुर्गा के 9 स्वरुपों की अद्भुत मूर्तियां सहित दत्तात्रेय, गंगा मैया सहित राम दरबार, हनुमान मंदिर, बाबा बालक नाथ, लक्ष्मी नारायण मंदिर, गणेश जी की मूर्तियां स्थापित है।
शिवरात्रि से लेकर नवरात्रों का उत्सव है आकर्षण का केंद्र
शिवाला मंदिर में महाशिवरात्रि से लेकर नवरात्रे उत्सव विशेष रुप से मनाएं जाते हैं। इसके अलावा श्रावण शिवरात्रि, जन्माष्टमी, रामनवमी, श्रावण से कावड़ यात्रा में दूर-दराज से बड़ी तादाद में श्रद्धालु हाजिरी लगाते हैं।
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