डा. बलविंदर सिंह लखेवाली की किताब 'लैंड स्केपिंग' से मिलेगी बाग-बगीचा बनाने की जानकारी
किताब का विमोचन पदमश्री डा. सुरजीत पातर व संत गुरमीत सिंह ने किया। किताब में लैंड स्कैपिंग के सभी पक्ष बेहद सीधी और सरल भाषा में रखे गए है। किताब के जरिए जापानी स्पेन इटालियन अंग्रेजी आदि स्टाइल बगीचों के बारे में जानकारी हासिल की जा सकती है।
लुधियाना, जेएनएन। कला कोई भी हो, इंसानी जिंदगी में रंग जरूर भरती है और सुकून पहुंचाती है। ऐसी ही एक कला बाग बगीचा बनाने की यानी लैंड स्केपिंग की है। मौजूदा समय में प्रदूषण तेजी से बढ़ रहा है और जंगलों की अंधाधुंध कटाई से हरियाली खत्म हो रही है। इस वजह से लोग अनेक प्रकार की बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं। अब लोग धीरे-धीरे पर्यावरण संरक्षण की तरफ जा रहे है। इसके लिए वह अपने घर के अंदर और बाहर पेड़ पौधों लगा रहे हैं। ऐसे में बगीची बनाने की इच्छा रखने वालों के लिए पर्यावरणविद डा. बलविंदर सिंह लखेवाली की एक किताब बेहद फायदेमंद है।
इस किताब का नाम है बगीची बनाने की कलां 'लैंड स्केपिंग'। इस किताब का विमोचन पदमश्री डा. सुरजीत पातर व संत गुरमीत सिंह ने किया। किताब में लैंड स्कैपिंग के सभी पक्ष बेहद सीधी और सरल भाषा में रखे गए है। किताब में टेक्निकल भाषा का बिल्कुल इस्तेमाल नहीं किया गया। किताब के जरिए जापानी, स्पेन, इटालियन, अंग्रेजी आदि स्टाइल बगीचों के बारे में जानकारी हासिल की जा सकती है। किताब में लैंड स्केपिंग के लिए किस प्रकार की योजना बनानी है। घर, स्कूल व धार्मिक स्थानों पर किस तरह की लैंड स्केपिंग होनी चाहिए, की जानकारी दी गई है।
रूफ गार्डन, वार्टिकल गार्डन, कैक्ट्स गार्डन, ग्लास गार्डन, जल बगीची, बोनसाई कलां व वेस्ट मटीरियल में पौधाें को लगाने के बारे में विस्तार से बताया है। यहीं नहीं, किताब में यह भी बताया गया है कि किस मौसम में कौन से पौधे लगाए जाने चाहिए और उन पौधों की देखरेख कैसे करनी चाहिए। लैंड स्कैपिंग के लिए कौन-सा औजार जरूरी है, इसकी जानकारी भी दी गई है। घर में लगाए बगीचे में पक्षियों को आकर्षित करने के तरीके भी बताए गए है।