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चुनाव आयोग की पर्चियों से पार्टी बूथों की रौनक हुई गायब, अब नहीं रुकते लोग

मतदान के दिन मतदान केंद्रों के बाहर लगने वाले पार्टी बूथों पर खूब रौनक होती थी। मतदाता जब वोटिंग करने जाते थे तो पार्टी बूथों से ही मत पर्ची लेकर वोट करने जाते थे।

By Edited By: Published: Mon, 20 May 2019 08:00 AM (IST)Updated: Mon, 20 May 2019 04:38 PM (IST)
चुनाव आयोग की पर्चियों से पार्टी बूथों की रौनक हुई गायब, अब नहीं रुकते लोग
चुनाव आयोग की पर्चियों से पार्टी बूथों की रौनक हुई गायब, अब नहीं रुकते लोग

जेएनएन, लुधियाना। मतदान के दिन मतदान केंद्रों के बाहर लगने वाले पार्टी बूथों पर खूब रौनक होती थी। मतदाता जब वोटिंग करने जाते थे तो पार्टी बूथों से ही मत पर्ची लेकर वोट करने जाते थे। इस वजह से पार्टी बूथों पर मतदाताओं की खूब भीड़ लगी रहती थी। चुनाव आयोग की पर्चियों ने अब पार्टी बूथों की रौनक गायब कर दी है। चुनाव आयोग अब हर मतदाता के घर मत पर्ची भेज देता है। ऐसे में लोग पार्टियों के बूथों पर खड़े नहीं होते हैं और सीधे पर्ची लेकर मतदान केंद्र के अंदर पहुंचे, जिसकी वजह से पार्टी के बूथों पर रौनक गायब रही।

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रविवार को मतदान के दौरान शहर के अलग-अलग बूथों पर तीन प्रमुख राजनीतिक दलों के उम्मीदवारों के बूथ ही नजर आए। कांग्रेस उम्मीदवार रवनीत सिंह बिट्टू, शिअद भाजपा गठबंधन के उम्मीदवार महेश इंदर सिंह गरेवाल व लिप उम्मीदवार सिमरजीत सिंह बैंस के बूथ लगभग सभी मतदान केंद्रों के बाहर लगे थे। इन बूथों पर पार्टियों के कार्यकर्ता मौजूद रहे, लेकिन मतदाता इन बूथों पर आते नहीं दिखे। पार्टी कार्यकर्ता पहले की तरह मतदाताओं को अपने बूथों पर बुलाने की कोशिश करते रहे, लेकिन मतदाता पार्टी बूथों पर खड़े होने से परहेज करते रहे।

मतदाताओं का तर्क है कि पार्टी बूथों से पर्चियां लेते वक्त यह खुलासा हो जाता है कि वह किस पार्टी के उम्मीदवार को वोट देने जा रहे हैं। चुनाव आयोग ने जब से पर्चियां घर भेजनी शुरू की हैं तब से मतदाओं की गोपनीयता बनी रहती है। पार्टी बूथों पर खड़े कार्यकर्ताओं का कहना है कि अब उनके पास मतदाता नहीं आ रहे हैं। क्योंकि चुनाव आयोग की तरफ से बीएलओ पहले ही पर्चियां उन्हें घर में देकर आ चुके हैं।

पहले बूथों पर लगी भीड़ से हो जाता था जीत हार का अनुमान

बूथ कार्यकर्ताओं का कहना है कि पहले मतदाता पार्टी बूथों पर आकर पर्ची लेते थे। मतदाता उसी उम्मीदवार के बूथ पर पर्ची लेने आते थे, जिसको वह वोट करने जाते थे। इसलिए जिस उम्मीदवार के बूथ पर ज्यादा भीड़ होती थी तो उसके जीतने का अनुमान लग जाता था, लेकिन अब मतदान के दिन इस बात का अंदाजा नहीं लगाया जा सकता है कि मतदाता किस उम्मीदवार के पक्ष में मतदान करने जा रहे हैं।

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