Eid al-Adha 2021: मालेरकोटला मंडी में पहुंचे 5 हजार से 2 लाख की कीमत के बकरे; पंजाब समेत राजस्थान-हरियाणा से व्यापारी पहुंचे
ईद-उल-अज़हा के लिए मालेरकोटला में सबसे बड़ी बकरा मंडी लगी। कुर्बानी के लिए बकरों को बेचने के लिए पंजाब ही नहीं बल्कि राजस्थान के बीकानेर गंगानगर व हरियाणा के रोहतक हिसार समेत अन्य इलाकों से भारी गिनती में व्यापारी जमा हुए।
भूपेश जैन, मालेरकोटला। मुस्लिम भाईचारे द्वारा कुर्बानी के दिन के तौर पर मनाया जाता बकरीद यानि ईद-उल-अज़हा के लिए मालेरकोटला में सबसे बड़ी बकरा मंडी लगी। कुर्बानी के लिए बकरों को बेचने के लिए पंजाब ही नहीं, बल्कि राजस्थान के बीकानेर, गंगानगर व हरियाणा के रोहतक, हिसार समेत अन्य इलाकों से भारी गिनती में व्यापारी जमा हुए। मालेरकोटला की अनाज मंडी में बड़ी बकरा मार्कट हर वर्ष लगती हैं, जहां मुस्लिम भाईचारे के लिए लाए गए न केवल बकरों की विभिन्न नस्लें देखने को मिलती हैं, बल्कि बकरों की खासियत पर ही इनकी कीमत भी निर्धारित की जाती है। मंडी में पांच हजार से लेकर दो लाख रुपये तक के बकरे पहुंचे, जिनकी खरीददारी के लिए भी दूर-दूर इलाकों से लोग पहुंचे। ईद का त्योहार बुधवार 21 जुलाई को मनाया जा रहा है। ईद के लिए बुधवार तक भी बकरों की खरीद जारी रहेगी।
मंडी में अन्य राज्यों से व्यापारी बकरा, बकरियां, भेड़ लेकर पहुंचे। मालेरकोटला की मंडी में डेढ़-दो लाख रुपए तक की कीमत के ऊंची नसल के बकरे भी मौजूद रहे। राजस्थान के हनूुमानगढ़ से आए व्यापारी मोहम्मद जफीर, मोहम्मद कबीर, मोहम्द साजिद ने कहा कि उनके पास आज मालेरकोटला के नजदीकी गांव के सबीर मोहम्मद ने पचास हजार रुपये में बकरे की ऊंची कीमत देकर खरीदा है। बकरे की नस्ल व खुराक के आधार पर कीमत लगाई गई है। व्यापारी बाबर अली ने अपने बीटल नस्ल के सफेद बकरे का मूल्य 2 लाख रुपए बताते हुए कहा कि उसके बकरे की कीमत अभी सवा लाख रुपए ही लगी है, लेकिन वह इतने कम रेट पर बकरा कतई नहीं बेचेगा।
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ईद का त्योहार ईश्वर की इबादत का जज्बा रखने की देता है प्रेरणा: रजिया सुल्ताना
मालेरकोटला। कैबिनेट मंत्री रजिया सुल्ताना व उनके पति पूर्व डीजीपी मोहम्मद मुस्ताफा द्वारा मुस्लिम भाईचारे को ईद की बधाई दी गई। उन्होंने कहा कि यह त्योहार अपने ईश्वर की इबादत व फरमाबरदारी का जज्बा रखने की प्रेरणा देता है, जिस तरह पैगंबर हजरत इब्राहिम बेटे हजरत इब्राहिम की बलि देने के लिए तैयार हो गए थे। उनकी याद में आज जानवरों की बलि देते हैं। अपील की कि वह बलि करने मौके सफाई का ख़ास ध्यान रखें।