पटियाला में मरण व्रत पर बैठे काट्रेक्ट टीचर्स, जानें क्यों लाल पीले हुए शिक्षा मंत्री
जागरण संवाददाता, लुधियाना : शिक्षकों का आदोलन अब राजनैतिक अखाड़ा बनने लगा है। सर्व शिक्षा अभि
जागरण संवाददाता, लुधियाना : शिक्षकों का आदोलन अब राजनैतिक अखाड़ा बनने लगा है। सर्व शिक्षा अभियान (एसएसए), राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा (रमसा) और आदर्श स्कूल योजना के अधीन काम कर रहे काट्रेक्ट टीचर पटियाला में सरकार के खिलाफ मरणव्रत पर बैठे हैं। इस बीच अकाली दल से लेकर आम आदमी पार्टी और कम्युनिस्ट पार्टिया भी टीचर्स के आदोलन में शरीक हो रही हैं। अकाली दल ने तो खुलकर टीचर्स के आदोलन को सही ठहराकर सरकार को कठघरे में खड़ा करना शुरू कर दिया। इससे शिक्षा मंत्री ओपी सोनी लाल-पीले हो गए है। मंत्री ने तो यहा तक कह दिया कि इस समस्या की जड़ में अकाली दल है। अगर वे शिक्षकोंके हितैषी हैं तो उन्होंने 10 साल तक उन्हें रेगुलर क्यों नहीं किया? मरण व्रत पर बैठे टीचर्स को मदद का भरोसा देने अकाली दल, भाजपा, आम आदमी पार्टी के साथ साथ कम्युनिस्ट पार्टी के नेता भी धरना स्थल पर पहुंचे रहे हैं। अकाली दल के प्रधान सुखबीर बादल ने बाकायदा प्रेस कांफ्रेंस करके इस मुद्दे पर सरकार की जमकर खिंचाई की। इसके बाद शिक्षा मंत्री ओपी सोनी ने विरोधी दलों खासकर अकाली दल को आड़े हाथों लिया। सोनी का कहना है कि अकाली दल इस मामले पर सिर्फ राजनीति कर रहा है। उन्होंने कहा कि यह टीचर अकाली दल के राज में भर्ती हुए और उनकी तरफ से ही उनके साथ अनुबंध किया गया था। शिक्षक अकाली सरकार के समय भी आदोलन कर रहे थे। अकाली-भाजपा गठबंधन अगर शिक्षकों का हितैषी है तो उन्हें अपने शासन काल में ही उन्हें पक्का कर देता। तब उन्होंने ऐसा नहीं किया और शिक्षकों को सड़कों पर आदोलन करने के लिए छोड़ दिया। उन्होंने कहा कि अब सरकार ने शिक्षकों को रेगुलर करने के लिए रास्ता निकाला तो अकाली दल के नेता उन्हें गुमराह कर रहे हैं। यूनियन नेताओं के साथ बैठक में हुआ था सब तय
शिक्षा मंत्री ओपी सोनी का कहना है कि शिक्षकों का आदोलन किसी तरह से जायज नहीं है। उन्होंने कहा कि कैबिनेट में प्रस्ताव ले जाने से पहले तीन बार टीचर्स यूनियन के साथ बैठक हुई। बैठक में ही पूरा ड्राफ्ट तैयार किया गया लेकिन बाहर आकर शिक्षक मुकर गए। कम वेतन पर रेगुलर नहीं होंगे : यूनियन प्रधान
उधर, एसएसए रमसा टीचर्स यूनियन के प्रदेश प्रधान दीदार सिंह मुदकी का कहना है कि उनका आदोलन पूरी तरह से गैरराजनैतिक है। सरकार आदोलन कुचलने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपना रही है। उन्होंने कहा कि बैठक में वेतन को लेकर साफ कह दिया गया था कि कम वेतन पर टीचर रेगुलर नहीं होंगे।