CoronaVirus: कोरोना वायरस के कारण बढ़ सकते हैं डाइंग के दाम, गारमेंट्स की प्रोडक्शन की रफ्तार धीमी
CoronaVirus कोरोना वायरस अब गारमेंट्स इंडस्ट्री को भी अपनी चपेट में ले रहा है। अगर स्थिति इसी तरह रही तो आने वाले एक माह में गारमेंट्स की प्रोडक्शन तक बंद हो सकती है।
लुधियाना, [मुनीश शर्मा]। CoronaVirus: कोरोना वायरस अब गारमेंट्स इंडस्ट्री को भी अपनी चपेट में ले रहा है। स्थिति अगर एेसी ही रही तो आने वाले एक महीने में गारमेंट्स की प्रोडक्शन तक बंद हो सकती है। इसकी मुख्य वजह पिछले दो माह से CoronaVirus के चलते डाइज एवं केमिकल और इससे जु़ड़े कच्चे रा- मैटीरियल न आने से प्रोडक्शन न हो पाना है।
एक तरफ तो चीन से निर्मित डाइज एवं केमिकल नहीं आ पा रहे वहीं कच्चा माल नहीं आने से भारतीय डाइज एवं केमिकल कंपनियां फिनिश्ड गुड्स नहीं बना पा रही। ऐसे में डाइज के लिए रंगों की जबरदस्त शॉर्टेज है। एक टन के आर्डर पर केवल 100 किलो मैटीरियल सप्लाई हो रहा है। ऐसे में प्रोडक्शन की रफ्तार धीमी हो रही है। इससे कालाबाजारी बढ़ने के साथ-साथ दामों में उछाल आया है।
दस से पंद्रह फीसद बढ़ सकते हैं दाम
अगर यही स्थिति रही तो डाइंग इंडस्ट्री एक मार्च से डाइंग के दाम बढ़ा देगी। यह बढ़ोतरी दस से पंद्रह प्रतिशत हो सकती है। 30 प्रतिशत कम हुआ है उत्पादन पंजाब डायर्स एसोसिएशन के महासचिव बॉबी जिन्दल के मुताबिक रंगो के लिए भारी किल्लत हो रही है।
एक माह से स्थिति बदतर
पिछले एक माह से स्थिति लगातार बदतर हो रही है। पोलिस्टर एवं एक्रेलिक धागों के डाइज एंव केमिकल मार्केट में उपलब्ध नहीं है। ऐसे में प्रोडक्शन को पहले की तुलना में 20 से 30 प्रतिशत कम किया गया है। अब स्टाक भी क्लीयर हो चुके हैं और रंग वाली कंपनियां शॉर्टेज के चलते मैटीरियल न देने के साथ साथ दाम बढाने की बात कर रही है।
ग्राहकों को बचाए रखने में हो रही परेशानी
कलरटैक्स के डिस्ट्रिब्यूटर आरके डाइज प्राइवेट लिमिटेड के राजेश गोयंका के मुताबिक उनके पास 10 करोड़ से अधिक के आर्डर हैं, लेकिन शॉर्टेज के चलते ग्राहकों को बचाए रखना किसी चुनाैती से कम नहीं है। कच्चा माल चीन से आने के चलते भारतीय डाइज एंव कैमिकल कंपनियां भी मटीरियल तैयार नहीं कर पा रहीं। ऐसे में हम किसी तरह कंपनियों का काम चलाने की कोशिश कर रहें हैं।
बंद हो सकता है काम
एकता डाइंग एवं फिनिशिंग मिल के सुभाष सैनी के मुताबिक हमारे पास हमेशा स्टाक रहता है, लेकिन शॉर्टेज के चलते स्टाक भी खत्म हो रहा है। अगर बीस दिन तक मटीरियल न आया, तो काम को बंद या आधा करना पड़ सकता है। ऐसे में भारतीय कंपनियों को इसके विकल्प ढूंढने की आवश्यकता है।