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सलाह: अनाज की सुरक्षा के लिए भारत भी अपनाए इजरायली तकनीक

हमारे देश में अनाज स्टोरेज की बेहतर व्यवस्था न होने की वजह से हर साल लाखों करोड़ टन अनाज का खराब होना आम बात है।

By Edited By: Published: Fri, 07 Dec 2018 08:00 AM (IST)Updated: Fri, 07 Dec 2018 08:00 AM (IST)
सलाह: अनाज की सुरक्षा के लिए भारत भी अपनाए इजरायली तकनीक
सलाह: अनाज की सुरक्षा के लिए भारत भी अपनाए इजरायली तकनीक

जेएनएन, लुधियाना। हमारे देश में अनाज स्टोरेज की बेहतर व्यवस्था न होने की वजह से हर साल लाखों करोड़ टन अनाज का खराब होना आम बात है। पर इजरायल में स्टोरेज के दौरान सिर्फ एक प्रतिशत से भी कम अनाज खराब होने की संभावना रहती है। वजह, वहां अनाज स्टोरेज को लेकर अपनाई जा रही हाइटेक तकनीकें हैं। यह खुलासा किया इजरायल की टेल अवीव यूनिवर्सिटी के पोस्ट हार्वेस्ट साइंस विभाग के प्रमुख हया फ्रीडमैन ने। वीरवार को यह शिष्टमंडल पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (पीएयू) के दौरे पर पहुंचा था। इस शिष्टमंडल की अगुवाई डिपार्टमेंट ऑफ मोलीक्यूलर बायोलॉजी के डायरेक्टर नीर उहाद कर रहे थे।

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शिष्टमंडल के इस दौरे का मकसद दोनों यूनिवर्सिटियों के बीच शोध अनुसंधान की संभावनाओं को तलाशना था। हया फ्रीडमैन ने भोजन के स्तर व जीवाणुओं से सुरक्षा संबंधी अपने अनुभव साझा करते कहा कि आने वाले समय में भोजन की जरूरतें बढ़ जाएंगी। ऐसे में भोजन सुरक्षा के लिए प्रयास बेहद जरूरी हैं। इजरायल में स्टोरेज की बेहतरीन व्यवस्था के चलते उनके यहां अनाज खराब होने की संभावना बहुत कम होती है, क्योंकि अनाज स्टोरेज को लेकर उन्होंने हाईटेक तकनीकें विकसित की हैं। यह सेंसर अनाज में बैक्टीरियल इन्फेक्शन व फूड की क्वालिटी को आसानी से डिटेक्ट कर लेता है। ऐसी उच्च स्तरीय तकनीकें भारत में भी अपनाई जा सकती हैं। उन्होंने कहा कि इजरायल सॉयल मैपिंग, फर्टिलिटी मॉइस्चर जानने के लिए रिमोट सेंसिंग टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल भी कर रहा है।

दूसरी तरफ प्रो. नीर उहाद ने कहा कि शोध, शिक्षा व प्रसार तीन ऐसे क्षेत्र हैं, जिसमें परस्पर सहयोग की असीम संभावनाएं हैं। विशेष तौर पर भोजन सुरक्षा संबंधी शोधों व विद्यार्थियों के आदान-प्रदान पर जोर देते हुए प्रो. उहाद ने कहा कि उनकी यूनिवर्सिटी में अंतरराष्ट्रीय विद्यार्थियों के लिए ग्रेजूएट व पोस्ट ग्रेजूएट कोर्सो में अपार संभावनाएं हैं।

शिष्टमंडल ने पीएयू में ये भी देखा

शिष्टमंडल ने पीएयू के फसल अजायब घर, मशरूम उत्पादन यूनिट, खेतीबाड़ी बायोटेक्नोलॉजी स्कूल, भोजन उद्योग केंद्र, भोजन इंजीनियरिंग व प्रोसेसिंग विभाग, फार्म मशीनरी व पावर इंजीनियरिंग विभाग का दौरा भी किया।


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