आइवीएफ फेल होने के बावजूद संतान सुख पाना संभव: डॉ. सुमिता सोफ्त
पुणे में 8वीं वार्षिक कॉन्फ्रेंस में डॉ. सुमिता सोफ्त ने भाग लिया।
जासं, लुधियाना : आइसीएआर (इंडियन सोसायटी फॉर असिस्टेड रिप्रोडक्शन) के महाराष्ट्र चैप्टर द्वारा पुणे आब्सटेट्रिक्स एंड गायनाकोलॉजी सोसायटी के सहयोग से पुणे में 8वीं वार्षिक कॉन्फ्रेंस हुई। इसमें रोजगार्डन के नजदीक स्थित डॉ. सुमिता सोफ्त अस्पताल की इन्फर्टिलिटी विशेषज्ञ डॉ. सुमिता सोफ्त को बतौर वक्ता आमंत्रित किया गया। डॉ.सुमिता ने बांझपन के इलाज की नई तकनीकों के बारे जानकारी दी। उन्होंने कहा कि तकनीक की बदौलत अब बार बार आइवीएफ के असफल होने के बाद भी संतान सुख हासिल कर सकते हैं। नई तकनीकों से ईक्सी (इंट्रासाइटोप्लाजमिक स्पर्म इंजेक्शन) व आइवीएफ(इनवेंट्रो फर्टिलाइजेशन) के इलाज की सफलता दर बढ़ाई जा सकती है। उन्होंने कहा कि बांझपन की वजहों के लिए स्त्री और पुरुष दोनों में बराबर कमी पाई जाती है। महिलाओं में ट्यूबें बंद होना बांझपन की एक बड़ी वजह है। नलों में संक्रमण, टीबी व एंडोमटीरियोसिस के कारण ट्यूबें बंद होने का खतरा रहता है। बांझपन के इलाज के दौरान पहले तो ट्यूबों को खोलने का प्रयास किया जाता है। यह प्रक्रिया बेहद सामान्य है। इसमें पेट में कोई चीरा या टांका नहीं लगाया जाता है और महिला को एडमिट भी नहीं होना पड़ता है। ट्यूबें न खुलने पर टैस्ट ट्यूब बेबी तकनीक की मदद ली जाती है। महिलाओं को नलों में दर्द को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए और डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए। वहीं पुरुषों में भी कई वजहों से शुक्राणुओं की संख्या घट रही है, जिससे वह बच्चा नहीं पैदा कर पाते हैं। पुरु षों के स्पर्म में शुक्राणुओं की संख्या 30 मिलियन होनी चाहिए लेकिन बांझपन से पीड़ित दस जोड़ों की जांच के दौरान उनमें से पांच पुरुषों के स्पर्म काउंट कम होते हैं।