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जिंदा आदमी को बार-बार जलाती रहती है चिता

गुरु अचल मुनि ने प्रवचन करते कहा कि आज मानव महल में प्रवेश हो रहा है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 06 Nov 2019 06:00 AM (IST)Updated: Wed, 06 Nov 2019 06:00 AM (IST)
जिंदा आदमी को बार-बार जलाती रहती है चिता
जिंदा आदमी को बार-बार जलाती रहती है चिता

जासं, लुधियाना : गुरु अचल मुनि ने मानव महल में मंगलमय प्रवेश के अवसर पर प्रवचन करते हुए कहा कि आज मानव महल में प्रवेश हो रहा है। सबको घर प्रिय लगता है। घर शब्द में ही एक ऐसा जादू है कि हर कोई घर की ओर दौड़ता है। अपने घर का सभी को आकर्षण होता है।

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उन्होंने कहा कि किराये का मकान कोई पसंद नहीं करता। मानव के पास किराए का घर बड़ा हो और अपना मकान चाहे छोटा ही क्यूं न हो, वह भी अच्छा लगता है। घर में दो चीजें होती हैं, एक कर्तव्य और दूसरा अधिकार। कोई घर में बीमार हो तो उसकी सेवा करना हमारा कर्तव्य है। जो इंसान केवल अधिकार ही जानता है फर्ज नहीं, निभाता वो राक्षस है। जो दोनों को नहीं जानता वो राक्षस है। दोनों को जानते और मानने वाला ही मानव है। उन्होंने कहा कि चिता और मक्खी एक जैसी होती है। इन दोनों को जितना उड़ाएंगे, उतना ही ज्यादा परेशान करेगी। चिता तो सिर्फ मुर्दे को जलाती है, पर चिता जिदा आदमी को जलाती रहती है। चिता का समाधान केवल चितन है। चितन के चंदन का लेप करेंगे तो चिता को दूर करेगा। पर आज इंसान परिवार को आगे बढ़ाने के लिए चिताओं के नीचे दबता जा रहा है।

मुनिश्री ने कहा कि आदर्श घर की क्या पहचान है? जहां छोटे-बड़ों के आगे अपने दिल की हर बात कर सकें। पर आज बड़ों को कहना नहीं आता और छोटों को सहना नहीं आता। लाज का अर्थ कदापि भय नहीं है। उन्होंने कहा कि वे भय से बचें। शपथ खाओ कि मैं मरने से पहले नहीं मरूंगा और जिदगी में सिर्फ एक बार ही मरुंगा। बार-बार नहीं।


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