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Dollor की उठापटक का भारतीय बाजार पर दिख रहा असर, Order लेने से कतरा रहे Exporters

भारतीय रुपये के कमजोरी से उभरने से जहां पैसा मजबूत हो रहा है वहीं डॉलर की गिरावट का इफेक्ट अब एक्सपोर्टरों पर पड़ने लगा है।

By Edited By: Published: Sat, 23 Mar 2019 05:00 AM (IST)Updated: Sat, 23 Mar 2019 04:12 PM (IST)
Dollor की उठापटक का भारतीय बाजार पर दिख रहा असर, Order लेने से कतरा रहे Exporters
Dollor की उठापटक का भारतीय बाजार पर दिख रहा असर, Order लेने से कतरा रहे Exporters

जेएनएन, लुधियाना : भारतीय रुपये के कमजोरी से उभरने से जहां पैसा मजबूत हो रहा है, वहीं डॉलर की गिरावट का इफेक्ट अब एक्सपोर्टरों पर पड़ने लगा है। इससे एक्सपोर्ट करने वाली कंपनियां विदेशी कंपनियों से आर्डर लेने से कतरा रहीं हैं। इसका मुख्य कारण पिछले एक महीने में लगातार डॉलर के रेट में उतार-चढ़ाव की स्थिति होना है। इसके साथ ही आने वाले महीनों में भी डॉलर के गिरने के संकेत हैं। ऐसे में एक्सपोर्टर कंपनियां आर्डर लेने से कतरा रहीं हैं और कई कंपनियों को अपने मार्जिन में नुकसान सहना पड़ रहा है। पिछले एक माह में डॉलर 71.50 रुपये प्रति डॉलर से 68 रुपये प्रति डॉलर तक पहुंच गया है। ऐसे में तीन रुपये दस पैसे का इफेक्ट आ चुका है।

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फॉरवर्ड बुकिंग पर विदेशी कंपनियां नहीं होती राजी

सुशील एक्सपोर्ट के एमडी सुशील गोयल के मुताबिक यह दौर इंडस्ट्री के लिए नाजुक है। इन दिनों कई उत्पादों की एक्सपोर्ट प्रभावित है। चुनाव के चलते भी डॉलर के रेट का अभी कुछ पता नहीं चल पा रहा। डॉलर की उठापठक में कई बार इंडस्ट्री को नुकसान सहना पड़ता है। इसके लिए कई कंपनियां तो फॉरवर्ड बुकिंग पर काम करते हैं, जबकि कई विदेशी कंपनियां इस पर काम नहीं करती। ऐसे में इंडस्ट्री को पिछले एक महीने की उठापठक में भी अब दाम तय करने में परेशानी आ रही है।

इंडस्ट्री की ग्रोथ के लिए घातक: एमडी संजीव

नाइस एक्सपोर्ट के एमडी संजीव गुप्ता संजय के मुताबिक डॉलर का सबसे ज्यादा प्रभाव एक्सपोर्टरों पर पड़ रहा है। पिछले कुछ महीनों से डॉलर स्थिर नहीं हो रहा। इसके दामा में लगातार उतार-चढ़ाव का दौर जारी है। यह इंडस्ट्री की ग्रोथ के लिए घातक है।

फॉरवर्ड बुकिंग के जरिए नुकसान से बच सकते: रलहन

फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट आर्गनाइजेशन (फियो) के पूर्व अध्यक्ष एंव लुधियाना हैंडटूल एसोसिएशन के प्रधान एससी रलहन ने कहा कि मौजूदा हालात के मुताबिक डॉलर के उतार-चढ़ाव का आकलन कर पाना संभव नहीं है। ऐसे में एक्सपोर्टरों को फॉरवर्ड बुकिंग के जरिए ही व्यापार करना चाहिए। इससे डॉलर के जिस दाम में आर्डर बुक हुआ है, उसी का भुगतान रुपयों के हिसाब से किया जाएगा। जबकि अधिकतर कंपनियां इस पर ध्यान नहीं देती। ऐसे में डॉलर की उठापठक का नुकसान सहना पड़ता है। कई कंपनियां तो कंपनी के साथ व्यापार बचाए रखने के लिए का¨स्टग से भी कम में मटीरियल सप्लाई कर देती हैं।

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