डिलीवरी से डॉक्टर ने किया इन्कार, आधी रात को अस्पताल में हुआ विवाद
खन्ना सिविल अस्पताल में बुधवार की आधी रात को एक गर्भवती महिला की डिलीवरी से इंकार कर दिया गया। महिला का पति डाक्टर और स्टाफ की मिन्नत करता रहा। लेकिन उसकी नहीं सुनी गई। इसके बाद जिला यूथ कांग्रेस प्रधान अमित तिवारी और उनकी टीम ने मौके पर पहुंच कर एसएमओ डा. राजिदर गुलाटी से फोन पर बात की तो काफी आनाकानी के बाद महिला डाक्टर इलाज के लिए तैयार हुई।
जागरण संवाददाता, खन्ना
सिविल अस्पताल खन्ना में बुधवार आधी रात को एक गर्भवती महिला की डिलीवरी से डॉक्टर ने इन्कार कर दिया। हालांकि, इस दौरान उक्त महिला का पति डॉक्टर व स्टाफ की मिन्नत करता रहा। मगर, उसकी एक नहीं सुनी गई। इसके बाद जिला यूथ कांग्रेस प्रधान अमित तिवारी और उनकी टीम ने मौके पर पहुंच कर एसएमओ डॉ. राजिदर गुलाटी से फोन पर बात की, तो काफी आनाकानी के बाद महिला डॉक्टर डिलीवरी करने के लिए राजी हुई।
गांव किशनगढ़ की गर्भवती महिला अमनप्रीत कौर उर्फ ऊषा का नौ माह से सिविल अस्पताल खन्ना में इलाज चल रहा था। उसके गर्भ को नौ माह से पांच दिन अधिक हो गए थे। बुधवार रात वह पति गुरजंट के साथ अस्पताल में डिलीवरी करवाने के लिए पहुंची। मगर, डॉ. नीरू स्याल ने यह कहकर मना कर दिया कि ब्लड प्रेशर और शुगर लेवल ज्यादा होने के कारण इस गर्भवती महिला का इलाज यहां नहीं है, उसे यहां से ले जाएं।
इसकी सूचना मिलने पर जिला यूथ कांग्रेस प्रधान अमित तिवारी मौके पर पहुंचे। इस दौरान तिवारी और स्टाफ के बीच बहसबाजी भी हुई और डॉ. नीरू ने सभी के सामने उक्त गर्भवती महिला को डांट भी लगाई। इस बारे में तिवारी के विरोध करने पर और एसएमओ डॉ. राजिदर गुलाटी समेत अन्य डॉक्टरों से बात करने पर डॉ. नीरू इलाज के लिए तैयार हुई। इसके बाद वीरवार सुबह उक्त महिला ने बेटे को जन्म दिया।
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विधायक कोटली से करूंगा बात
'यह बहुत दुख की बात है कि इतना बड़ा अस्पताल होने के बाद यहां इलाज के लिए सुविधाएं नहीं है। ऐसे में इतनी बड़ी इमारतों का क्या फायदा? डॉक्टरों को भी मरीज के साथ सही तरीके से पेश आना चाहिए। गरीबों की मदद करनी चाहिए। इस बारे में विधायक गुरकीरत सिंह कोटली से बात करूंगा।'
-अमित तिवारी, जिला यूकां प्रधान।
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इलाज में था रिस्क, पटियाला जाने को कहा था
'उक्त महिला मरीज को 17 मई को बुलाया गया था, लेकिन वह नहीं आई। उसके बाद उसने तीन दिन से ब्लड प्रेशर की दवा भी नहीं ली थी। उसका खन्ना में इलाज करने से रिस्क हो सकता था। बच्चा और जच्चा की सुरक्षा के लिए ही उन्हें पटियाला जाने की सलाह दी थी।'
-डॉ. नीरू स्याल
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-मामला मेरी जानकारी में है। डॉ. नीरू किसी ऑपरेशन में व्यस्त थीं। इस दौरान मरीज बार-बार स्टाफ के साथ झगड़ रहा था। डॉ. नीरू ने ऑपरेशन के बाद उन्हें सिर्फ समझाया था कि इसका इलाज खन्ना में संभव नहीं है। मगर, ज्यादा दबाव के बाद खन्ना में डिलीवरी कर दी गई।
-डॉ. राजिदर गुलाटी, एसएमओ।