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सुख मिलने पर अधिक उत्साहित नहीं होना चाहिए: स्वामी देवेश्वानंद

भारत धर्म प्रचारक मंडल की ओर से वेदाचार्य स्वामी निगम बोध तीर्थ के सान्निध्य में वेद मंदिर में संक्रांति उत्सव श्रद्धापूर्वक मनाया गया। सर्वप्रथम पंडित विद्वान आचार्यो और भक्तों ने दंडी स्वामी की प्रतिमा पर नमन किया।

By JagranEdited By: Published: Tue, 15 Dec 2020 07:00 PM (IST)Updated: Tue, 15 Dec 2020 07:00 PM (IST)
सुख मिलने पर अधिक उत्साहित नहीं होना चाहिए: स्वामी देवेश्वानंद
सुख मिलने पर अधिक उत्साहित नहीं होना चाहिए: स्वामी देवेश्वानंद

संस, लुधियाना : भारत धर्म प्रचारक मंडल की ओर से वेदाचार्य स्वामी निगम बोध तीर्थ के सान्निध्य में वेद मंदिर में संक्रांति उत्सव श्रद्धापूर्वक मनाया गया। सर्वप्रथम पंडित, विद्वान आचार्यो और भक्तों ने दंडी स्वामी की प्रतिमा पर नमन किया।

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स्वामी देवेश्वानंद तीर्थ ने संक्रांति उत्सव की महत्ता से अवगत करवाते हुए कहा कि सुख-दुख कर्मो का फल है। सुख मिलने पर अधिक उत्साहित नहीं होना चाहिए और दुख आने पर घबराना नहीं चाहिए। यह दोनों जीवन का अहम हिस्सा है, अगर इसमें डगमगा गए तो समझो, आगे नहीं बढ़ पाओगे। यह संसार एक आध्यात्मिक व धर्म के मार्ग पर चलने का सुलभ अनुभव है, जो इसको समझ गया, उसका बेड़ा पार हो गया। उन्होंने कहा कि भगवान भोले किसी से सेवा कार्य, किसी से नाम प्रचार व सत्संग जो कुछ भी करवा रहे हैं। वो उनकी हम लोगों पर असीम अनंत कृपा का ही परिणाम है जिसमें हम सभी को सच्चे मन से भाग लेना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि संतों का आना व ज्ञान की गंगा बहाना सभी के लिए परोपकार व हितकारी है। संत के सान्निध्य में अगर भक्त सच्चे मन से श्रवण करता है, प्रभु उसकी मनोकामना अवश्य पूर्ण करते हैं। अंत में आए सेवकों को भंडारा वितरित किया गया।


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