Move to Jagran APP

Smart City प्रोजेक्टस की ढीली रफ्तार से एक्सपर्ट असंतुष्ट, दिक्कतें दूर करने को दिए सुझाव

दैनिक जागरण की ओर से आयोजित राउंड टेबल कांफ्रेंस (आरटीसी) में आर्किटेक्चर्स एवं इंजीनियरों ने स्मार्ट सिटी की तरफ बढ़ रहे शहर की गति पर असंतुष्टि जताई।

By Sat PaulEdited By: Published: Sun, 01 Mar 2020 01:05 PM (IST)Updated: Sun, 01 Mar 2020 01:05 PM (IST)
Smart City प्रोजेक्टस की ढीली रफ्तार से एक्सपर्ट असंतुष्ट, दिक्कतें दूर करने को दिए सुझाव
Smart City प्रोजेक्टस की ढीली रफ्तार से एक्सपर्ट असंतुष्ट, दिक्कतें दूर करने को दिए सुझाव

लुधियाना, जेएनएन। स्मार्ट विजन, स्मार्ट प्लानिंग और स्मार्ट इंप्लीमेंटेशन से ही औद्योगिक नगरी लुधियाना को स्मार्ट बनाया जा सकता है। 'दैनिक जागरण' की ओर से आयोजित राउंड टेबल कांफ्रेंस (आरटीसी) में आर्किटेक्चर्स एवं इंजीनियरों ने स्मार्ट सिटी की तरफ बढ़ रहे शहर की गति पर असंतुष्टि जताई। माहिरों की ओर से शहर को स्मार्ट बनाने के लिए जमीनी स्तर पर ईमानदारी के साथ काम करने की जरूरत महसूस की गई। यह भी माना गया कि जन भागीदारी से भी शहर को सुंदर बनाने की राह आसान बनाई जा सकती है।

loksabha election banner

माहिरों ने पूरी डिबेट के दौरान शहर को स्मार्ट बनाने में आ रही दिक्कतों के अलावा सुझावों के साथ-साथ सरकारी विभागों में आपसी तालमेल की जरूरत पर जोर दिया। 'दैनिक जागरण' की ओर से हाल ही में स्मार्ट सिटी का सच अभियान के तहत शहर में चल रहे विभिन्न प्रोजेक्ट्स, उनकी स्थिति, समस्याओं को लेकर पूरी सीरीज प्रकाशित की गई थी।

प्लानिंग के पार्ट में हुई देरी

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ आर्किटेक्ट पंजाब चैप्टर के चेयरमैन व स्मार्ट सिटी लिमिटेड के डायरेक्टर संजय गाेयल का कहना है कि  स्मार्ट सिटी की प्लानिंग शुरू से दिशाहीन रही है। हर मीटिंग में बेतुके प्रोजेक्टों का विरोध करता रहा हूं। साइकिल ट्रेक वाले प्रोजेक्ट के लिए लुधियाना की सड़कें फिजिबल नहीं हैं। प्लानिंग पार्ट में देरी हुई है। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्टों में तेजी लाने के लिए प्रशासनिक सुधार करने की जरूरत है। 

लांग टर्म प्लानिंग पर करें फोकस

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ आर्किटेक्ट लुधियाना चैप्टर के चेयरमैन योगेश बंशल का कहना है कि हर साल जरूरतें बदल रही हैं। जो प्रोजेक्ट आज तैयार किया जा रहा है उसे कम से 25 साल ध्यान में रखकर तैयार करना होगा। प्लानिंग का काम स्मार्ट तरीके से होना चाहिए, ताकि कम समय में प्लानिंग का हिस्सा पूरा हो सके। यहां पर अभी प्लानिंग पर बहुत ज्यादा समय लग रहा है।

डीपीआर में समस्याओं पर नहीं हुई चर्चा

आर्किटेक्ट बलबीर बग्गा का कहना है कि स्मार्ट सिटी के प्रोजेक्टों पर काम करने से पहले उनकी डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) तो बनाई गई है, लेकिन उसके हिसाब से प्रोजेक्ट पर काम नहीं किया जा रहा है। प्रोजेक्ट में आने वाली परेशानियों से निपटने की बात भी डीपीआर के वक्त तय होनी चाहिए थी, लेकिन ऐसा नहीं किया गया, जिस वजह से प्रोजेक्टों में देरी हो रही है।

सभी एजेंसियों का आपस में हो कोऑर्डिनेशन

सीनियर आर्किटेक्ट शुभम पोपली का कहना है कि स्मार्ट सिटी के काम धीमे हैं, प्रॉपर मॉनिटरिंग की कमी है। स्मार्ट सिटी लिमिटेड को चाहिए कि वह शहर के कुछ प्रोफेशनल की टीम बनाए, जो प्रोजेक्टों के निर्माण कार्यों पर नजर रखे। विभागों, अफसरों व काम करने वाली एजेंसियों का आपस में कोऑर्डिनेशन होना चाहिए, ताकि काम शुरू होने के बाद किसी भी कारण से न रुके। 

सभी विभागों का डाटा हो सार्वजनिक, फिर हो प्लानिंग

 

सीनियर आर्किटेक्ट बिमलदीप का कहना है कि शहर में 400 से ज्यादा आर्किटेक्ट हैं। सरकार ने जो डाटा स्मार्ट सिटी के लिए कलेक्ट किया है वह डाटा आर्किटेक्ट एसोसिएशन के साथ शेयर करें। हर वार्ड के लिए चार-चार आर्किटेक्ट प्लानिंग करें तो शहर अपने आप स्मार्ट हो जाएगा, लेकिन स्मार्ट सिटी लिमिटेड समेत प्रशासन अपना डाटा शेयर ही नहीं करना चाहते हैं।

स्थानीय लोगों को करें प्लानिंग में शामिल

सीनियर आर्किटेक्ट विकास का कहना है कि शहर की प्लानिंग के लिए स्थानीय लोगों को जोड़ाना चाहिए। चंडीगढ़ और दिल्ली के लोग शहर की प्राथमिकताओं को नहीं जानते हैं। वह अपने हिसाब से शहर के लिए प्लानिंग कर देते हैं। स्मार्ट सिटी में भी ऐसे ही हुआ है, जिन प्रोजेक्टों की जरूरत पहले नहीं थी उन्हें पहले चुना गया और जो जरूरी थे उन्हें पहले फेज में ही नहीं रखा गया। सरकार को चाहिए कि स्थानीय एक्सपर्ट को इसमें जरूर जोड़ें।

अपना दफ्तर नहीं बना सके तो शहर कैसे होगा स्मार्ट

आर्किटेक्ट शीना का कहना है कि शहर को स्मार्ट सिटी की सूची में शामिल किए पांच साल हो गए, लेकिन अभी तक स्मार्ट सिटी लिमिटेड के लिए दफ्तर ही फिक्स नहीं है। स्मार्ट सिटी के कुछ अफसर जोन ए में बैठते हैं तो कुछ जोन डी में, जबकि कंसल्टेंट कंपनी का दफ्तर फिरोजगांधी मार्केट में है। ऐसे में उनकी आपस में ही कोऑर्डिनेशन ही नहीं है। सबसे पहले एक दफ्तर बनाएं, ताकि सभी बैठककर रोजाना चर्चा कर सकें।

प्रोजेक्टों पर लें लोगों से फीडबैक

आर्किटेक्ट रमनीक का कहना है कि स्मार्ट सिटी लिमिटेड एक पब्लिक डोमेन तैयार करे। सोशल साइट्स व वेबसाइट पर लोगों से प्लानिंग में सुझाव मांगें। जो सुझाव उन्हें अच्छे लगते हैं उन्हें अडॉप्ट करें। पुलिस कमिश्नर इस तरह की प्लानिंग कर रहे हैं तो उसके सकारात्मक रिजल्ट सामने आ रहे हैं।

पुराने ढांचे को स्मार्ट बनाने के लिए करनी होगी स्ट्रांग प्लानिंग

जीएनई के आर्किटेक्ट डिपार्टमेंट के लेक्चरार हरवीश का कहना है कि नया शहर बसाकर उसे स्मार्ट बनाना हो तो यह आसान है, लेकिन पुराने शहर को रेन्यूवेट करके स्मार्ट करने का काम कठिन है। इसके लिए स्ट्रांग प्लानिंग की जरूरत है। प्रोजेक्ट शुरू करने से पहले उसके बीच में आने वाली हर दिक्कत पर पहले ही डिटेल में चर्चा होनी चाहिए, ताकि जब समस्या सामने आए तब उसका विकल्प निकाल दिया जाए। 

पारंपरिक तरीकों से शहर नहीं बनेगा स्मार्ट

आर्किटेक्ट पलका कौर का कहना है कि शहर स्मार्ट हो या न हो, लेकिन लोग स्मार्ट हो गए हैं। हर हाथ में स्मार्ट फोन है और हर घर में स्मार्ट टीवी व स्मार्ट गैजेट्स हैं। ऐसे में शहर को स्मार्ट बनाने के लिए काम भी स्मार्ट तरीके से ही करना होगा। सबसे पहले स्मार्ट विजन रखना होगा। उसके बाद स्मार्ट प्लानिंग और फिर स्मार्ट तरीके से इंप्लीमेंटेशन करनी होगी। पारंपरिक तरीकों से शहर स्मार्ट बनने वाला नहीं है। 

मॉनिटरिंग व प्लानिंग की कमी से लटक रहे प्रोजेक्ट

कौंसिल ऑफ इंजीनियर्स के अधयक्ष कपिल अरोड़ा का कहना है कि स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट की प्रॉपर मॉनिटरिंग व प्लानिंग न होने की वजह से प्रोजेक्ट देरी से चल रहे हैं। प्रोजेक्टों को तैयार करने में सिटी प्रोफेशनल्स का सहयोग नहीं लिया गया। प्रोजेक्ट में देरी के लिए अफसरों की जिम्मेदारी फिक्स होनी चाहिए। इसके अलावा क्वालिटी मॉनिटरिंग पर भी फोकस करना चाहिए। राजनीतिक हस्तक्षेप के कारण प्रोजेक्टों में देरी हो रही है।

अफसरों के खिलाफ हो सख्त कार्रवाई

इंजीनियर मोहित जैन का कहना है कि स्मार्ट सिटी के प्रोजेक्टों में तभी तेजी आएगी, जब देरी होने पर कांट्रेक्टर व संबंधित अफसरों के खिलाफ सख्त एक्शन लिए जाने की व्यवस्था हो। देरी से काम करने वाले कांट्रेक्टर के साथ अफसर पर भी पेनल्टी लगनी चाहिए। इसके अलावा जो कांट्रेक्टर जल्दी काम पूरा करता है उसके लिए अफसर व कांट्रेक्टर को अवार्ड भी दिया जाना चाहिए।

हरियाणा की ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

पंजाब की ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.