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साधु जीवन जैसी पवित्र साधना है उपधान तप : मुनि मोक्षानंद

तप का उद्देश्य कमरें की निर्जरा और आत्मा की शुद्धि होता है। भगवान महावीर ने दीक्षा लेकर साढ़े बारह वर्ष तक घोर तप साधना की। जैन धर्म मुख्यत: तप त्याग प्रधान धर्म है। सासारिक सुख संसाधनों, घर, परिवार संबन्धों और भोग ऐश्वर्य को स्वेच्छा से छोड़ कर बहुत से मुमुक्षु संयम जीवन स्वीकार कर लेते हैं।

By JagranEdited By: Published: Wed, 21 Nov 2018 05:00 AM (IST)Updated: Wed, 21 Nov 2018 05:00 AM (IST)
साधु जीवन जैसी पवित्र साधना है उपधान तप : मुनि मोक्षानंद
साधु जीवन जैसी पवित्र साधना है उपधान तप : मुनि मोक्षानंद

संस, लुधियाना : तप का उद्देश्य कमरें की निर्जरा और आत्मा की शुद्धि होता है। भगवान महावीर ने दीक्षा लेकर साढ़े बारह वर्ष तक घोर तप साधना की। जैन धर्म मुख्यत: तप त्याग प्रधान धर्म है। सासारिक सुख संसाधनों, घर, परिवार संबन्धों और भोग ऐश्वर्य को स्वेच्छा से छोड़ कर बहुत से मुमुक्षु संयम जीवन स्वीकार कर लेते हैं। ये बातें दरेसी स्थित आत्म वल्लभ आराधना भवन में चल रहे सर्व मंगल चातुर्मास में गुरु इन्द्रदिन्न सूरि महाराज के पट्टधारी वर्तमान गच्छाधिपति जैनाचार्य श्रीमद् विजय नित्यानंद सूरि महाराज आदि सूरि भगवंतों की निश्रा में उपधान महातप के आयोजन के दौरान मुनि श्री मोक्षानंद विजय महाराज ने कहीं।

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उन्होंने कहा कि उपधान तप करके कुछ दिन के लिए साधु जीवन का आस्वाद ले पाते हैं। उपधान तप में 47 दिन तक गृहस्थ भी साधु के समान जीवन जीता है। उपधान की आराधना तीर्थंकरों द्वारा प्रदत्त है। हर जैन श्रावक श्राविका को उपधान करना नितात जरूरी है। इससे ज्ञान , दर्शन, चारित्र और तप चारों की प्राप्ति होती है। पापों का नाश होता है। उन्होंने कहा कि पंजाब की धरती पर पहले भी कई बार उपधान हुए हैं, किंतु जितने आराधक इस बार यहा उपधान करने पधारे हैं इतने पहले कभी नहीं आए।

तपस्या करने वाले 108 आराधकों में 10 साल का बच्चा भी शामिल

उपधान महातप आयोजन में 10 वर्ष का छोटा-सा बालक संयम जैन पुत्र उमेश जैन भी बड़े उत्साह से तपस्या और क्रिया कर रहा है, जिसे देख बड़ी उम्र वाले भी प्रेरित हो रहे हैं। वहीं, उपधान करने के लिए ऑस्ट्रेलिया से भारत भूषण जैन भी विशेष रूप से लुधियाना आए हैं। उनके मौन सहित 17 उपवास हो चुके हैं। जम्मू से आई श्राविका सुरक्षा जैन ने उपधान में ही 11 उपवास भी किए। रोज कई आराधक तेले तप (तीन-तीन उपवास )करने के भी नियम ग्रहण करते हैं। कई आराधकों ने केश लोच भी करवाया है।

क्या होता है उपधान

उपधान तप में एक दिन उपवास और एक दिन नीवि (एकासना) किया जाता है । सुबह 3 बजे से रात्रि 9 बजे तक अनेक प्रकार की धर्म क्त्रियाएं आराधकों को करनी होती हैं। उपधान तप करने से ही महामंत्र नवकार आदि महान सूत्रों को पढ़ने व बोलने का गुरुमुख से विधिवत अधिकार मिलता है।

उपधान तप का तीन दिवसीय पूर्णाहुति समारोह 4 से

आचार्य जयानंद कीर्ति महाराज ने कहा कि 4 से 6 दिसंबर तक उपधान तप की पूर्णाहुति समारोह के तहत जिन भक्ति सहित मोक्षमाला महोत्सव होगा। 5 दिसंबर को भव्य वरघोड़ा निकाला जाएगा और 6 को प्रथम उपधान करने वाले सभी तपस्वियों को समारोह में मोक्ष माला पहनाई जाएगी। इससे पहले 23 नवम्बर को चातुर्मास पूरा होने पर सभी गुरु भगवंतों का चातुर्मासिक परिवर्तन श्री आत्मानंद जैन महासभा उत्तरी भारत के प्रधान सुरेंद्र मोहन जैन के निवास स्थान सिविल लाइंस में होगा।


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