जागरण पड़तालः लुधियाना के अस्पतालों में ढाई गुना बढ़ी ऑक्सीजन सिलेंडर की खपत, कीमत में इजाफा
Ludhiana में अगस्त में 1200 से 1500 सिलेंडर की खपत हुई है। कोरोना के प्रारंभिक काल मार्च-अप्रैल में लगभग 600 सिलेंडर खर्च होते थे।
लुधियाना, जेएनएन। कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या में इजाफा होने के साथ ही लुधियाना में ऑक्सीजन सिलेंडरों की खपत भी बढ़ गई है। मार्च-अप्रैल में शहर के अस्पतालों में लगभग 600 सिलेंडर की खपत थी, जो अगस्त अंत तक ढाई गुना बढ़ गई है। हालांकि प्रशासन के प्रयासों से यहां ऑक्सीजन की कमी नहीं हुई है।
महानगर में एक ही ऑक्सीजन उत्पादक है और वह सिर्फ लुधियाना में ही सिलेंडर सप्लाई करता है। इसके अलावा शहर में पांच बॉटलिंग प्लांट हैं, जो पानीपत और बद्दी से ऑक्सीजन के टैंकर मंगवाकर उसे सिलेंडरों में भरकर सप्लाई करते हैं। शहर में रोजाना 1200 से 1500 सिलेंडर की अगस्त में खपत रही, जबकि कोरोना के प्रारंभिक काल मार्च-अप्रैल में लगभग 600 सिलेंडर खर्च होते थे। शहर में ऑक्सीजन की कमी महसूस होने के बाद डीसी वरिंदर शर्मा के आदेश पर कमेटी बनाई गई और इंडस्ट्री की सप्लाई रोककर अस्पतालों को ऑक्सीजन सिलेंडर मुहैया करवाए गए और इसकी कमी नहीं आने दी गई। बॉटलिंग प्लांट वाले छोटे अस्पतालों में तो ऑक्सीजन की सप्लाई सिलेंडर से करते हैं, लेकिन शहर के डीएमसी, सीएमसी सहित बड़े अस्पतालों में ऑक्सीजन के अपने प्लांट हैं और वहां टैंकरों से सीधा ऑक्सीजन सप्लाई होती है।
सिविल अस्पताल में अब लग रहे 70 सिलेंडर
सिर्फ सिविल अस्पताल की बात करें तो मार्च-अप्रैल में यहां रोजाना 20-25 सिलेंडर ऑक्सीजन सप्लाई होती रही। तब 10-12 मरीजों के लिए ही ऑक्सीजन की जरूरत पड़ती थी। मगर अगस्त तक मरीजों की संख्या बढ़कर 50 के करीब पहुंचने के कारण पर यह आंकड़ा 60-70 सिलेंडर पहुंच गया। जानकारों की मानें तो सितंबर में यह संख्या और ज्यादा होगी, क्योंकि मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है।
सिलेंडर की कीमत में वृद्धि
अस्पतालों में अधिकतर सात क्यूबिक वाले ही ऑक्सीजन सिलेंडर इस्तेमाल होते हैं। मार्च-अप्रैल माह में सात क्यूबिक वाले सिलेंडर की कीमत 140 रुपये थी, जो सितंबर तक बढ़कर लगभग दो सौ रुपये हो गई है। हालांकि कुछ अस्पतालों का कहना है कि उन्हें 250 से 300 रुपये भी सिलेंडर लेने पड़े हैं।
अस्पतालों को मिल रही पर्याप्त ऑक्सीजन
डीएमसी व अन्य बड़े अस्पताल, जहां मरीजों की संख्या सबसे ज्यादा है। वहां के संचालकों का कहना है कि उन्हें अभी तक ऑक्सीजन की कमी कभी महसूस नहीं हुई, क्योंकि उनके प्लांट में समय पर ऑक्सीजन पहुंच जाता है। उनका कहना है कि सितंबर तक मरीजों की संख्या बढऩे पर ऑक्सीजन की खपत जरूर बढ़ गई है, लेकिन पर्याप्त ऑक्सीजन उपलब्ध हो रही है।
वेंटिलेटर वाला बेड मिलने में परेशानी
शहर के अस्पतालों में लेवल-2 बेड वाले वार्ड में ऑक्सीजन की कमी नहीं हुई, लेकिन वेटिलेंटर वाले लेवल-3 बेड की कमी जरूर हुई। लेवल-3 में शहर के अस्पतालों में कुल 309 वेंटिलेटर व बिना वेंटिलेटर वाले बेड है। चूंकि शहर की आबादी लगभग 30 लाख है और अन्य जिलों से भी कोरोना मरीज यहां उपचार के लिए आते हैं, इसलिए वेंटिलेटर वाले बेडों की कमी बनी हुई है।
मरीज को डीएमसी, सीएमसी, फोर्टिस में नहीं मिला बेड
शहर के रहने वाले मुकेश वर्मा के कोरोना पॉजिटिव आने के बाद उन्हें वेंटिलेटर वाला बेड पाने के लिए काफी इंतजार करना पड़ा। उनके परिवार के सदस्यों ने बताया कि पहले उन्होंने एक निजी अस्पताल में उन्हें दाखिल करवाया। उसके बाद डीएमसी, सीएमसी, फोर्टिस, एसपीएस जैसे सभी अस्पताल में वेंटिलेटर वाले बेड के लिए प्रयास किया, लेकिन बेड नहीं मिला। उसके बाद ओसवाल अस्पताल में किसी परिचित के माध्यम से उन्हें बेड मिला। मुकेश की तरह और भी कई मरीज हैं, जिन्हें समय पर वेंटिलेटर वाले बेड के लिए मशक्कत करनी पड़ी।
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