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लोकसभा चुनाव के बाद महंगी हाेगी बिजली, टैरिफ घाेषित करने में देरी से इंडस्ट्री पर पड़ेगा बकाये का बाेझ

सेंट्रल रेगुलेटरी एक्ट के मुताबिक राज्यस्तरीय बिजली बोर्डों को 31 मार्च से पहले नए टैरिफ घोषित करना जरूरी हैं लेकिन इस बार लाेकसभा चुनाव के चलते इसमें देरी हाे रही है।

By Vipin KumarEdited By: Published: Wed, 17 Apr 2019 01:03 PM (IST)Updated: Wed, 17 Apr 2019 01:03 PM (IST)
लोकसभा चुनाव के बाद महंगी हाेगी बिजली, टैरिफ घाेषित करने में देरी से इंडस्ट्री पर पड़ेगा बकाये का बाेझ
लोकसभा चुनाव के बाद महंगी हाेगी बिजली, टैरिफ घाेषित करने में देरी से इंडस्ट्री पर पड़ेगा बकाये का बाेझ

लुधियाना, [मुनीश शर्मा]। लाेकसभा चुनाव के बाद पंजाब में बिजली महंगी हाे सकती है। सेंट्रल रेगुलेटरी एक्ट के मुताबिक राज्यस्तरीय बिजली बोर्डों को 31 मार्च से पहले नए टैरिफ घोषित करना जरूरी हैं, लेकिन इस बार लाेकसभा चुनाव के चलते इसमें देरी हाे रही है। प्रक्रिया के तहत स्टेट रेगुलेटरी कमीशन को बिजली विभाग की तरफ से नवंबर तक अपना डाटा जमा करवाना था जिसे एनुअल रेवेन्यू रिपोर्ट कहा जाता है। इसके बाद रेगुलेटरी कमीशन को उस डाटा और उपभोक्ताओं से आपत्तियों के आधार पर बिजली के दाम तय करने होते हैं। यह दरें 31 मार्च से पहले निर्धारित करना जरूरी हैं, लेकिन इस बार चुनावों के चलते इनकी घोषणा में देरी हो जाती है। इसका परिणाम 2017 के विधानसभा चुनावों में भी देखने को मिला था। उस समय बिजली विभाग की ओर से 11 प्रतिशत तक दाम बढ़ाए गए थे। उपभोक्ताओं को इसकी जानकारी अक्टूबर में दी गई थी। इससे उपभोक्ताओं को अप्रैल से अक्टूबर तक बढ़े हुए दाम को जमा करवाने के लिए मजबूर किया गया था। उद्योगों को भी लगभग 600 करोड़ के आसपास का नुकसान सहना पड़ था। इस बार 2019 के लोकसभा चुनाव के कारण बढ़ोतरी की घोषणा में देरी से इसका नुकसान इंडस्ट्री को उठाना पड़ सकता है। इस बार बिजली विभाग ने रेगुलेटरी कमीशन से 15 प्रतिशत दाम बढ़ाने की मांग की है और 31 मार्च 2019 को जारी किए गए नोटिस में यह स्पष्ट किया है कि बढ़े हुए दाम 1 अप्रैल 2019 से मान्य होंगे।

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उद्यमी बोले-अभी बढ़ा दो दरें, बाद में कैसे पूरा करेंगे इनपुट कॉस्ट

फोपसिया के प्रधान बदीश जिंदल के मुताबिक इस तरह की प्रक्रिया उद्योगों के लिए घातक है। सभी उद्योगों के लिए बिजली एक रॉ मटीरियल है और ऐसे में सभी उद्योगपति मौजूदा रेट के अनुसार अपना माल बेच रहे हैं। किसी भी बढ़े हुए दाम की गणना वस्तु के मूल्य में नहीं की जाती। ऐसे में दाम बढऩे का सीधा नुकसान उद्योगों को उठाना पड़ सकता है। गंगा एक्रोवूल के प्रेसिडेंट अमित थापर के मुताबिक दाम में अगर बढ़ोतरी की जानी है, तो इसे अभी से कर दी जाए। बाद में बढ़ाए जाने वाले दाम से बकाया भरने से इंडस्ट्री को नुकसान सहना पड़ता है। 

तय तिथि से बढ़ाए जाएं दाम

निटवियर क्लब के चेयरमैन विनोद थापर के मुताबिक दाम को अगर बढ़ाया जाना है, तो इसे तय तिथि से बढ़ाया जाए, क्योंकि जो मटीरियल बेच दिया गया हो उसकी इनपुट कॉस्ट का पुराना पैसा कैसे वसूला जाएगा।

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