दाखा विधानसभा सीट पर किसी की भी राह आसान नहीं, जानिए कौन कितने पानी में Ludhiana News
कांग्रेस ने चार चुनाव लड़ने और दो में जीत हासिल करने वाले मलकीत सिंह दाखा को इस बार टिकट न देकर पैराशूट उम्मीदवार कैप्टन संदीप सिंह संधू को उतारा है
लुधियाना [भूपेंदर सिंह भाटिया]। लगभग 12 साल पहले कांग्रेस ने दाखा विधानसभा सीट गंवाई थी और तब से ही वह इस सीट पर वापस कब्जा पाने की कोशिश करती रही है। इस दौरान तीन चुनाव हुए और तीनों में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा। पिछले चुनाव में पार्टी दूसरे स्थान से भी वंचित रही। कांग्रेस ने चार चुनाव लड़ने और दो में जीत हासिल करने वाले मलकीत सिंह दाखा को इस बार टिकट न देकर पैराशूट उम्मीदवार कैप्टन संदीप सिंह संधू को उतारा है, लेकिन सरकार और प्रशासन का साथ होने के बावजूद उनकी जीत आसान नहीं हो पाएगी। दूसरी ओर शिरोमणि अकाली दल ने एकबार फिर लोकल नेता मनप्रीत सिंह अयाली पर अपना विश्वास जताते हुए उन्हें टिकट दी है। हालांकि पहले लोकसभा और फिर विधानसभा में हारने वाले मनप्रीत अयाली की मतदाताओं में पैठ अच्छी है, लेकिन संधू के खिलाफ जीत आसान नहीं होगी।
दोनों शीर्ष पार्टियों के बीच पिछले विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज करने वाली आम आदमी पार्टी भी जोरशोर से मैदान में उतरने की तैयारी में है। पिछले चुनाव में आप के हरविंदर सिंह फूलका ने अयाली को 4169 मतों से हराया था, लेकिन हाल में हुए लोकसभा चुनाव से पहले फूलका द्वारा पार्टी छोड़ दिए जाने के बाद प्रो. तेजपाल सिंह को उम्मीदवार बनाया था, लेकिन वह फूलका जैसा प्रदर्शन नहीं कर पाए थे। अब आप ने स्थानीय गांव मोही के इंजीनियर अमन मोही को उम्मीदवार बनाया है, जो आप के परंपरागत वोटों के सहारे अपनी दावेदारी रख रहे हैं। हालांकि इन तीन बड़ी पार्टियों के बीच लोक इंसाफ पार्टी भी अपने को प्रबल दावेदार मान रही है, क्योंकि हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में लिप ने दाखा से सबसे ज्यादा वोट हासिल किए थे। खासकर एचएस फूलका के वोट बैंक पर सेंध लगाने में कामयाब रहे थे। हालांकि अभी तक लिप गांव चक्क के मंझे नेता सुखदेव सिंह चक्क को उम्मीदवार बनाने की तैयारी में है, जिन्होंने अयाली के साथ राजनीति की और उन्हें कामयाबी दिलाने में योगदान दिया है।
इसके अलावा दलजीत सिंह सदरपुरा भी टिकट की दौड़ में हैं। ऐसे में चारों पार्टियां एक-दूसरे को कड़ी टक्कर देने में सक्षम हैं। पार्टी ने अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के खासमखास एवं ओएसडी रहे कैप्टन संधू को जीत दिलाने के लिए भले ही कांग्रेस के तमाम नेता, सरकार और प्रशासन जोर लगा रहा है, लेकिन पैराशूट से उतारे गए उम्मीदवार को मतदाता कितनी तवज्जो देंगे, यह कहना कठिन है। ऐसे में कैप्टन संधू की राह आसान नहीं है।
मतदाता यह भी तर्क देते हैं कि पिछली बार आप के नेता एचएस फूलका पर विश्वास जताया था, लेकिन वह भी उम्मीदों पर खरा नहीं उतरे और इस्तीफा देकर बाहर हो गए। उधर, लोक इंसाफ पार्टी के प्रधान सिमरजीत सिंह बैंस को पिछले लोकसभा चुनाव में सबसे अधिक वोट मिले थे, वे अपने वोट बैंक को सहेजने में लगे हैं। वहीं आप भी दाखा की अपनी सीट बरकरार रखने के लिए पूरा जोर लगा रही है।
अकाली दल का रहा है गढ़
दाखा विधासनभा सीट पर हमेशा से ही शिरोमणि अकाली दल का कब्जा रहा है और 12 बार हुए चुनाव में कांग्रेस सिर्फ तीन बार ही जीत पाई है, जबकि आठ बार शिरोमणि अकाली दल ने यहां कब्जा किया है। आम आदमी पार्टी को एक बार इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला है, जबकि लिप खाता खोलने की जुगत में लगी है।