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यहां रोजाना डेढ़ करोड़ लीटर पानी हो रहा बर्बाद, जानें क्या है वजह

एक अनुमान के मुताबिक लुधियाना जिले में रोजाना करीब 1.5 करोड़ लीटर पीने का पानी बर्बाद हो रहा है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 20 Oct 2018 11:42 AM (IST)Updated: Sat, 20 Oct 2018 11:58 AM (IST)
यहां रोजाना डेढ़ करोड़ लीटर पानी हो रहा बर्बाद, जानें क्या है वजह
यहां रोजाना डेढ़ करोड़ लीटर पानी हो रहा बर्बाद, जानें क्या है वजह

राजेश भट्ट, लुधियाना: लुधियाना में पीने के पानी के लिए सीधे तौर पर भूजल का इस्तेमाल किया जाता है। शहरी क्षेत्र हो या फिर ग्रामीण सब जगह ट्यूबवेल और सबमर्सिबल का इस्तेमाल किया जा रहा है। लेकिन पीने के लिए जितने पानी का इस्तेमाल हो रहा है, उससे तीन गुना पानी की बर्बादी भी हो रही है। लोगों ने साफ पानी पीने के लिए घरों में आरओ सिस्टम लगाए हैं। जिससे बड़े पैमाने पर भूजल की बर्बादी हो रही है। एक अनुमान के मुताबिक लुधियाना जिले में रोजाना करीब 1.5 करोड़ लीटर पीने का पानी बर्बाद हो रहा है।

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लुधियाना जिले की आबादी 35 लाख के पार पहुंच चुकी है। शहर के साथ साथ ग्रामीण क्षेत्रों में भी अब हर घर में आरओ सिस्टम लग चुके हैं। इसके अलावा व्यापारिक संस्थानों, शिक्षण संस्थानों व अन्य जगहों पर भी आरओ सिस्टम लगाए गए हैं, जिनकी संख्या 5 लाख के पार पहुंच चुकी है। एक आरओ रोजना कम से कम 10 लीटर पानी साफ करता है, तो उससे 30 लीटर पानी बर्बाद हो जाता है। इस तरह गणना की जाए तो साफ पानी पीने के चक्कर में रोजना डेढ़ करोड़ लीटर पानी की बर्बादी हो रही है। टीडीएस लेवल 500 तक होता है पीने लायक

पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पर्यावरण इंजीनियर आरके गुप्ता का कहना है कि अगर पानी में टोटल डिजाल्व सॉलिड का लेवल 500 से कम होता है तो यह पानी पीने लायक होता है। उन्होंने कहा कि पानी में कैल्शियम, क्लोराइड, सोडियम, मैग्निशियम व अन्य तत्व होते हैं जो कि टीडीएस का ही हिस्सा हैं। उन्होंने कहा कि जब इस पानी को रिवर्स ओस्मोसिस प्रोसेस से निकाला जाता है तो इसमें से सभी तत्व कम हो जाते हैं। जिसका नुकसान इंसान की सेहत पर भी होता है। 100 टीडीएस से नीचे का पानी पीने का भी कोई फायदा नहीं है, क्योंकि उसमें प्राकृतिक तत्व न के बराबर रह जाते हैं। उनका कहना है कि लुधियाना शहर और गावों की बात करतें तो घरों में पाच लाख से ज्यादा आरओ सिस्टम लगे हैं। टीडीएस लेवल को कम करता है आरओ

वाटर लैब पटियाला के प्रमुख कैलाश चंद्र का कहना है कि लुधियाना के इंडस्ट्रियल जोन में में भी ग्राउंड वाटर का टीडीएस 400 से ज्यादा नहीं आता है। जिससे साफ है कि बाकी जोन में टीडीएस लेवल इससे कम होगा। उन्होंने बताया कि अगर पानी का टीडीएस लेवल 500 से कम है तो उसे बिना आरओ के पीना चाहिए। क्योंकि आरओ पानी के टीडीएस लेवल को 100 से कम लेकर आ जाता है। उन्होंने बताया कि प्रयोग के लिए उन्होंने 1200 टीडीएस वाले पानी को आरओ से साफ किया तो उसका टीडीएस लेवल 70 तक आ गया था। जिससे साफ है कि आरओ पानी में उपस्थित हर तरह के मिनरल का लेवल बहुत कम कर देता है।

ऐसे बचा सकते हैं पानी

- जिन घरों में सबमर्सिबल लगे हैं वह पानी का टीडीएस लेवल चेक करवाएं। अगर 300 से कम है तो वह कतई आरओ का इस्तेमाल न करें।

-आरओ से निकलने वाले वेस्ट वाटर का इस्तेमाल सिर्फ पीने के लिए नहीं किया जा सकता है, बाकी उस पानी को घर के हर काम में इस्तेमाल लाया जा सकता है।

जोड़ों का दर्द बन रही है आम समस्या

जैसे-जैसे आरओ का प्रचलन बढ़ रहा है, वैसे वैसे लोगों में जोड़ों के दर्द की समस्या भी बढ़ती जा रही है। ऑर्थो ऑरिशन अस्पताल के प्रमुख डॉ. नीरज बासल का कहना है कि इंसान के शरीर को जिन मिनरल की जरूरत होती है उसमें से काफी मात्रा में मिनरल पानी से मिल जाते हैं। अगर पानी से मिनरल नहीं मिलते हैं तो शरीर में मिनरल की कमी हो जाती है। पानी शरीर के लिए कैल्शियम और मैग्निशियम का बड़ा स्त्रोत माना जाता है। अगर शरीर में कैल्शियम व मैग्निशियम की मात्रा कम हो तो जोड़ों में दर्द होना लाजमी है। उनका कहना है कि दस साल पहले जब आरओ का प्रचलन नहीं था तब 55 साल के बाद ही लोगों को जोड़ों में दर्द होता था अब 35 साल के मरीज भी रोजना उनके पास आ रहे हैं।


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