घर में घुसे लुटेरों ने चार महीने के मासूम पर रखा चाकू, मारने की धमकी देकर लूटे लाखों के जेवर Ludhiana News
इतनी बड़ी वारदात होने पर भी लुधियाना पुलिस ने केस दर्ज करने में एक महीने का समय लगा दिया। इससे उसकी कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो गए हैं।
लुधियाना, जेएनएन। डाबा की शहीद अजीत सिंह काॅलोनी में एक मकान में घुसे लुटेरे ने चार महीने के दुधमुहे बच्चे को चाकू की नोक पर ले लिया। उसे जान से मारने की धमकियां देकर आरोपित लाखों के जेवर लूट फरार हो गया। हैरत की बात है कि इतनी बड़ी वारदात होने पर उसके संबंधी केस दर्ज करने में पुलिस ने एक महीने का समय लगा दिया। शनिवार थाना डाबा पुलिस ने शहीद अजीत सिंह कॉलोनी निवासी अरुण कुमार की शिकायत पर अज्ञात बदमाश के खिलाफ केस दर्ज किया।
घर में महिलाओं को अकेला पाकर कर दी वारदात
पुलिस को दिए बयान में अरुण ने बताया कि वह साहनेवाल एयरपोर्ट पर कांट्रेक्ट पर इलेक्ट्रीशियन हैं। उनका बड़ा भाई राकेश वर्धमान मिल में नौकरी करता है। करीब डेढ़ साल पहले ही उनकी शादी सविता के साथ हुई थी। उनके चार महीने का एक बेटा है। अरुण ने बताया कि दिन में घर में उनकी मां गीता देवी, पत्नी सविता, भाभी सरिता और उसका बेटा ही होते हैं।
17 सितंबर को वह और उनका भाई काम पर चले गए। सुबह करीब 11 बजे एक नकाबपोश बदमाश उनके घर में घुस आया। आते ही उसने उनके बेटे को गोद में उठा उस पर चाकू तान दिया। आरोपित ने घर में पड़े जेवर और नगदी उसके हवाले करने की मांग की। महिलाओं ने जब उसका विरोध किया तो आरोपित ने चाकू से अपनी अंगुली काट ली। उसने धमकाया कि अगर वो अपना खून बहा सकता है तो वो बच्चे को भी बख्शने वाला नहीं है। दहशत में आई महिलाओं ने उसे अलमारी की चाबी थमा दी। जिसके बाद उसने अलमारी में रखे 7 ताेला सोने के जेवर निकाले और अपनी पीठ पर टंगे पिट्ठू बैग में डाल कर फरार हो गया।
पुलिस का रवैया टालमटोल वाला
अरुण ने बताया कि सामने के एक घर के बाहर लगे सीसीटीवी कैमरे में आरोपित की फुटेज मिली है, जिसे पुलिस के हवाले कर दिया गया। घटना वाले दिन से वह पुलिस के चक्कर लगा रहा है। मगर पुलिस यह कह कर उसे टालती रही कि आरोपित को पकड़ने के बाद एफआईआर दर्ज करेंगे। दो दिन पहले उसने जब बहुत जिद की तो पुलिस ने केस दर्ज कर लिया।
दूसरी और सब इंस्पेक्टर तरसेम सिंह ने कहा कि शिकायतकर्ता को अपने ही किसी व्यक्ति पर शक था, वो अपने स्तर पर छानबीन करता रहा। इस कारण मामला दर्ज करने में देरी हुई। फुटेज के आधार पर कई संदिग्ध लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ भी की गई। मगर अब तक कोई सुराग नहीं लग सका है।
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