थाने में पिता-पुत्र को नंगा करने के मामले में लुधियाना के इंस्पेक्टर की अग्रिम जमानत याचिका रद
पुलिस इंस्पेक्टर बलजिंदर सिंह पर तीन लोगों को थाने में नग्न खड़ा करने और जातिसूचक शब्द बोलने का आरोप है।
लुधियाना, जेएनएन। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश जगदीप सिंह मुरोक की अदालत ने कथित तौर पर तीन लोगों को पुलिस थाने में नग्न खड़ा करने और जातिसूचक शब्द इस्तेमाल करने के आरोपित पुलिस इंस्पेक्टर बलजिंदर सिंह की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी है। अदालत ने याचिका खारिज करते हुए कहा की उसी थाने में तैनात हेड कांस्टेबल वरिंदर कुमार ने लिखित में पुष्टि की है की यह घटना हुई थी। पुलिस थाना खन्ना में आरोपित पुलिस इंस्पेक्टर के खिलाफ 4 जुलाई को एससी व एसटी एक्ट और अन्य धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था। घटना सितंबर 2019 की है। करीब 9 माह बाद इसका वीडियो वायरल हो गया था। डीजीपी दिनकर गुप्ता ने आईजी लुधियाना रेंज को इसकी जांच के आदेश दिए थे।
इंस्पेक्टर बलजिंदर सिंह ने अग्रिम जमानत याचिका में कहा था कि पुलिस ने उस पर झूठा मुक़दमा दर्ज किया है। इंस्पेक्टर के मुताबिक उन्होंने शिकायतकर्ता को उसके खेतों से नहीं उठाया था और न ही ऐसा को वाकया हुआ था। इस मामले को लेकर बनाई गई एक स्पेशल इंवेस्टीगेशन टीम ने भी ये ठहराया था कि शिकायतकर्ता की तरफ़ से दावा किए जा रहे 12 जून को कोई नहीं ऐसा वाक़या नहीं हुआ था।उन्होंने आरोप लगाया कि शिकायतकर्ता ने उन्हें इस मामले में झूठा फ़साने बनाने के लिए झूठे स्टोरी बनाकर उस पर झूठा मुक़दमा दर्ज कराया है।उन्होंने कहा कि उन्हें शिकायतकर्ता जसवंत सिंह की जाती के बारे में बिलकुल पता ही नहीं था,इसलिए उसे जातिसूचक शब्द कहने का कोई औचित्य नहीं बनता है ।उन्होंने यह भी आरोप लगाया की शिकायतकर्ता की पृष्ठभूमि अपराधिक प्रवृति की है,वहीं सरकारी वक़ील व शिकायतकर्ता के वक़ील ने आरोपी की लगाएगी गई अग्रिम ज़मानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि आरोपी ने बेवजह शिकायतकर्ता को उसके खेतों से ज़बरदस्ती उठा लिया और बाद में थाने ले जाकर कथित तौर पर थर्ड डिग्री टॉर्चर कर उसकी एक वीडियो बनाई।उन्होंने आरोप लगाया की आरोपी ने शिकायतकर्ता को जातिसूचक शब्द कहने के साथ साथ उसकी धार्मिक भावनाओं को भी ठेस पहुँचाई ।