अदालत ने कहा, एएसआइ व सरकारी वकील ने की लापरवाही
ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट राजिंदर सिंह तेजी की अदालत ने एक फौजदारी केस में जांच अधिकारी व सरकारी वकील के खिलाफ सख्त टिप्पणियां की है। साथ ही कमिश्नर पुलिस लुधियाना व डायरेक्टर प्रासिक्यूशन पंजाब को पत्र लिखकर बीस अक्टूबर तक रिपोर्ट भी तलब की है।
जागरण संवाददाता, लुधियाना : ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट राजिंदर सिंह तेजी की अदालत ने एक फौजदारी केस में जांच अधिकारी व सरकारी वकील के खिलाफ सख्त टिप्पणियां की है। साथ ही कमिश्नर पुलिस लुधियाना व डायरेक्टर प्रॉसिक्यूशन पंजाब को पत्र लिखकर 20 अक्टूबर तक रिपोर्ट भी तलब की है।
अदालत ने उक्त टिप्पणियां पैसे लेकर जाली जमानतें भरने के आरोप में कमलजीत कौर व उसके दो साथियों के खिलाफ चल रहे केस में की है। अदालत ने कहा कि जांच अधिकारी एएसआई विपन कुमार ने सही ढंग से मौजूद सुबूतों को एकत्र नहीं किया। इसके अलावा तत्कालीन सरकारी वकील के व्यवहार को भी संदेह पूर्ण करार देते हुए उनके खिलाफ ड्यूटी निभाने में कोताही बरतने की टिप्पणी की है। अदालत ने कहा कि इस लापरवाही का सीधा लाभ आरोपितों को मिल सकता है।
जानकारी अनुसार वर्ष 2012 में तत्कालीन अतिरिक्त चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट बीके शर्मा के निर्देश पर केस दर्ज हुआ था। उस समय अदालत ने कमलजीत कौर व उसके दो साथियों रमेश व राज कुमारी को हिरासत में लेकर पुलिस के हवाले कर दिया था। तत्कालीन न्यायधीश ने पुलिस को दिए शिकायत पत्र में लिखा था कि धन लेकर जमानते लेने के मामले सामने आ रहे हैं। जिस पर काबू पाना जरूरी है। इस मामले में कमलजीत कौर ने आर्म्स एक्ट के एक केस में आरोपित की जमानत देते हुए हल्फिया बयान दिया कि उसने किसी और केस में जमानत नहीं दी है, लेकिन अदालती जांच के दौरान रिकार्ड में पाया गया कि उससे पहले वे उसी अदालत में भी जमानत दे चुकी थी। इसके अलावा सीजीएम की अदालत के रिकार्ड में भी उसके जमानत देने का मामला सामने आया। उन केसों का पूर्ण विवरण पुलिस को भेजे पत्र में किया गया था। साथ ही स्पष्ट किया गया कि संबंधित अदालतों के रीडर पुलिस को मांगने पर उक्त रिकार्ड पेश करेंगे, लेकिन केस के जांच अधिकारी ने उक्त समूचे रिकार्ड को कब्जे में नहीं लिया।
यह देख कर मौजूदा न्यायधीश ने गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि अगर अदालत के आदेशों पर दर्ज मामलों में भी ऐसे जांच होगी तो आम आदमी को न्याय कैसे मिलेगा। इसके अलावा अदालत ने पाया कि केस की सुनवाई के दौरान सरकारी वकील ने भी लापरवाही से काम किया। केस में सब रजिस्ट्रार कार्यालय से रजिस्ट्री क्लर्क सुरेश कुमार अदालत में बतौर गवाह पेश हुए। साथ ही वे अपना संबंधित रिकार्ड भी लेकर आए, लेकिन सरकारी वकील ने उक्त रिकार्ड कानून के अनुसार साबित करने का प्रयास नहीं किया। अब अदालत ने स्वयं संज्ञान लेते हुए संबंधित अदालतों से कमलजीत कौर की तरफ से दी गई गवाहियों को तलब कर लिया है, जिसे जांच अधिकारी ने जांच के दौरान कब्जे में नहीं लिया था।