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ल‍ुधियाना में हुई देश की कोकलियर इंप्लांट सर्जरी, अब मूकबधिर बच्ची सुनेगी और बोलेगी भी

पंजाब के लुधियाना में देश की पहली कोकलियर इंप्लांट सर्जरी की गई है। तीन साल की मूकबधिर बच्ची का ऑपरेशन किया गया। अब यह बच्‍ची सुन और बोल सकेगी।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Thu, 25 Jun 2020 08:48 AM (IST)Updated: Thu, 25 Jun 2020 01:37 PM (IST)
ल‍ुधियाना में हुई देश की कोकलियर इंप्लांट सर्जरी, अब मूकबधिर बच्ची सुनेगी और बोलेगी भी
ल‍ुधियाना में हुई देश की कोकलियर इंप्लांट सर्जरी, अब मूकबधिर बच्ची सुनेगी और बोलेगी भी

लुधियाना, जेएनएन। दीप अस्पताल ने देश में पहली बार विश्व के सबसे पतले और थ्री टेस्ला एमआरआइ कम्पेटिबल बाइलेट्रल कोकलियर इंप्लांट के साथ एक तीन साल की बच्ची की सर्जरी की है। यह बच्ची जन्म से ही बोलने और सुनने में असमर्थ है। इस उपकरण के लगने के बाद अब बच्ची धीरे-धीरे सुनने लगेगी और फिर वह दूसरों की बात सुनकर और समझते हुए बोलने भी लगेगी।

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तीन साल की बच्‍ची की हुई थ्री टेस्ला एमआरआइ कम्पेटिबल बाइलेट्रल कोकलियर इंप्लांट सर्जरी

इस सर्जरी को करने वाले डॉ. राजीव कपिला (डायरेक्टर, ईएंडटी डिपार्टमेंट) का दावा है कि इससे पहले कभी भी देश में 3-टेस्ला एमआरआइ कंपेटिबल बाइलेटरल इंप्लांट के साथ सर्जरी नहीं हुई है। बच्ची की खोपड़ी की बोन पर ड्रिल से जगह बनाकर इस इंप्लांट को रखा गया है और बाहर से एक प्रोसेसर लगा दिया गया है। इस प्रोसेसर से अब आवाज बच्ची के दिमाग में जाएगी। आवाज सुनकर बच्ची उसके अनुरूप बोलने का प्रयास करेगी। बच्ची की सर्जरी दस दिन पहले की गई। करीब दस दिन बाद बच्ची सुनने लगेगी।

थ्री टेस्ला एमआरआई कम्पेटिबल बाइलेट्रल कोकलियर इंप्लांट का यह है फायदा

डॉ. राजीव कपिला के अनुसार थ्री टेस्ला एमआरआइ कम्पेटिबल बाइलेट्रल कोकलियर इंप्लांट का फायदा यह है कि अगर किसी समय बच्ची को चोट या किसी अन्य कारणों की वजह से थ्री टेस्ला एमआरआइ करवाने की जरूरत पड़ी, तो उसकी खोपड़ी में लगे मैगनेट को निकालना नहीं पड़ेगा। इंप्लांट और मैगनेट के ही बच्ची को एमआरआइ मशीन में ले जाया जा सकता है।

उन्‍होंने बताया कि यह सामने आया है कि व्यकित को एवरेज अपने पूरे लाइफ टाइम में तीन से चार बार एमआरआइ करवाने की जरूरत पड़ती है। ऐसे में अगर किसी ने थ्री टेस्ला एमआरआइ कम्पेटिबल बाइलेट्रल कोकलियर इंप्लांट लगवाया होगा, तो उसे एमआरआइ मशीन में लगे मैगेनेट से नुकसान नहीं पहुंचेगा। जबकि सामान्य तौर पर लगाए जाने वाले इंप्लांट में यह विशेषता नहीं होती। डॉ. राजीव ने बताया कि दुनिया में हर एक हजार नवजन्मे बच्चों में से एक बहरेपन से पीडि़त होता है, जिसे कोकलियर इंप्लांट की जरूरत होती है।

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ऐसे पहचानें बच्चे की इस बीमारी को

माता-पिता को इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि बच्चा किसी तेज आवाज, धमाका होने या अचानक होने वाले शोर में कोई दिलचस्पी न दिखाए या उस तेज आवाज की तरफ न देखे तो उसे बहरेपन की समस्या हो सकती है। ऐसे बच्चों को मामा, बाबा, दादा जैसे छोटे शब्द बुलवाने की कोशिश की जानी चाहिए।

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क्या है कोकलियर इंप्लांट

डॉ. राजीव के अनुसार, कॉकलियर इंप्लांट ऐसा इलेक्ट्रॉनिक उपकरण है, जिसे सर्जरी के द्वारा कान के अंदरूनी हिस्से में लगाया जाता है और जो कान के बाहर लगे उपकरण से चालित होता है। कॉकलियर इंप्लाट कोई सुनने की मशीन नहीं है, जो आवाज़ को तेज सुनने में सहायता करे, बल्कि यह सीधे तौर पर व्यक्ति के शरीर में मौजूद सुनने वाली तंत्रिकाओं पर प्रभाव डालता है, जिससे सुनने की परेशानी का हल हो सके।


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