Coronavirus ने बिगाड़ दिया Hosiery Industry का सारा गणित, चिंता में डूबे उद्यमी
पहले तो कर्फ्यू व लॉकडाउन के कारण तीन मई से होने वाली बायर-सेलर मीट को रद कर करना पड़ा। दूसरा उद्यमियों को अगले सीजन की बुकिंग की चिंता भी सता रही है
लुधियाना, [राजीव शर्मा]। होजरी इंडस्ट्री के लिए सर्दी का सीजन बहुत महत्व रखता है। वूलेन गारमेंट्स की बुकिंग के लिए पिछले 12 साल से यहां के उद्यमी बायर-सेलर मीट करवाते आ रहे हैं। इसमें देशभर से रिटेलर पहुंचते हैं और सर्दी सीजन के लिए सैंपल देखकर ऑर्डर बुक करवाते हैं। इसी बुकिंग के आधार पर ही उद्यमी माल बनाते हैं। हर बार सितंबर से माल को भेजना शुरू कर देते हैं। लेकिन इस बार कोरोना ने सारा गणित ही बिगाड़ दिया है।
पहले तो कर्फ्यू व लॉकडाउन के कारण तीन मई से होने वाली बायर-सेलर मीट को रद कर करना पड़ा। दूसरा उद्यमियों को अगले सीजन की बुकिंग की चिंता भी सता रही है। कुछ उद्यमी ग्रुप कालिंग पर दुखड़े साझा कर रहे थे। इनमें उद्यमी विनय भी थे। तभी उनकी चिंता भी सामने आई और बोले 'कोरोना ने तां सिस्टम ही बिगाड़ के रख दित्ता ए। हुण तां बुकिंग वी औखी आ।
क्या यहां कर्फ्यू नहीं
कोरोना की दस्तक के बाद 23 मार्च को कर्फ्यू लगा था। तब कई लोगों के पैर घरों में नहीं टिके और बेवजह बाहर घूमने वाले हजारों लोगों को ओपन जेल में डाला गया। वहीं इस दौरान लोगों को खाद्य वस्तुओं की कमी न हो, इसके लिए प्रशासन की तरफ से व्यवस्था बनाई गई। शहर में करियाना की दुकानें खुली हैं और वे ज्यादातर होम डिलीवरी ही कर रही हैं, लेकिन शहर की होलसेल किरयाना बूटेशाह दी मंडी और मंडी केसरगंज में तमाम दुकानें खुली हैं। वहां पर काफी स्टेशनों से दुकानदार सामान लेने आते हैं। अब दोनों स्थानों पर काफी भीड़भाड़ होती है। यही नहीं, ट्रैफिक जाम भी लग जाता है। कहने को तो प्रशासन इस शर्त पर छूट दे रहा है कि वहां पर शारीरिक दूरी समेत तमाम नियमों का पालन हो, मगर वहां पर जैसे हालात हैं, लगता नहीं कि इन दोनों मंडियों में कर्फ्यू लगा हो।
आंकड़ा देख प्लानिंग चौपट
कर्फ्यू में वाट्सएप लोगों में चर्चाओं के लिए हॉटस्पॉट बना हुआ है। वे दिनभर इसके जरिए रिश्तेदारों, मित्रों के साथ विचार-विमर्श करते रहते हैं। साइकिल उद्यमियों के वाट्सएप ग्रुप में दिन-रात इकाइयां चलाने की संभावनाओं, सरकारी नियमों, शर्तों पर मंथन चलता रहता है। कुछ दिन पहले सरकार संकेत दे रही थी कि फैक्ट्रियां सशर्त चलाई जा सकेंगी। इसके लिए उद्यमी आपस में मंथन कर ही रहे थे, किसी ने यह खबर डाल दी कि शहर में एक ही दिन में 48 कोरोना पॉजिटिव मरीज आ गए हैं। इस खबर ने तो मानो उद्यमियों की सारी प्लानिंग को चौपट कर दिया। इस पर तंज कसते हुए उद्यमी बदीश ने लिखा, 'लो होर चला लवो फैक्टरीयां। ऐस हालात विच तां फैक्ट्रियां चलाणा खतरे तों खाली नईं। लेबर नूं कौन समझावेगा। बस उनकी इस बात के बाद तो चर्चा का रुख ही बदल गया और संयम से काम लेने की बात करने लगे।
रुक-रुक, अरे बाबा रुक
कोरोना ने करोड़ों लोगों को बेरोजगार बना दिया है। इकाइयां बंद हैं। मजदूरों के पास कोई काम नहीं, फिर भी उनको उद्यमियों ने मार्च का वेतन दिया। अप्रैल में भी उनके राशन, दवा समेत उनकी आवश्यकताओं का ध्यान रखा। श्रमिकों को जरूरत अनुसार पैसे भी दिए ताकि वे यहां टिके रहें, क्योंकि इंडस्ट्री की रीढ़ तो ये ही हैं। मगर लाखों मजदूरों में अब भी अपने घरों को जाने की होड़ लगी हुई है। अब राज्य सरकारें भी अपने-अपने नागरिकों को ले जाने के तैयार हो गई हैं। स्पेशल ट्रेनें चलाने की बात छिड़ी है तो श्रमिक भी धड़ाधड़ वेबसाइट पर रजिस्ट्रेशन करवा रहे हैं। इससे उद्यमी मनजीत सिंह और उनके सहयोगी काफी चिंतित हैं। मनजीत ने कहा, उन्होंने मार्च-अप्रैल में अपने मजदूरों को पूरा सहारा दिया, लेकिन वे अब अपने गांव को लौटने की तैयारी कर रहे हैं। पता नहीं इंडस्ट्री चलाने के लिए मजदूर कहां से आएंगे।
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