कोरोना लॉकडाउन के चलते जिले में फूलों की खेती का कारोबार प्रभावित Ludhiana News
सूबे में फूलों की खेती के अधीन 2170 हेक्टेयर में और जिला लुधियाना में 64.4 एकड़ में फूलों की खेती है। इस फूलों की खेती करने वाले किसानों को हर वर्ष फूलों से लाखों में कमाई होती है।
जगराओं, बिंदु उप्पल। सूबे में फूलों की खेती 2170 हेक्टेयर में और जिला लुधियाना में 64.4 एकड़ में होती है। इससे हर वर्ष किसानों को अच्छी खासी कमाई होती है। मगर, इस बार मार्च से शुरू हुए कफ्र्यू व लॉकडाउन ने अब तक कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर फूलों की खेती को बुरी तरफ प्रभावित किया है। जिसके कारण फूलों की खेती करने वाले किसानों की मेहनत व्यर्थ हो गई और उन्हेंं अपनी फसल को जमीन में ही मिलाना पड़ा।
वहीं, फूलों की खेती में हुए नुकसान को देखते हुए कुछ किसानों ने सब्जियों की खेती की ओर रूख किया है। दैनिक जागरण ने फूलों की खेती करने वाले किसानों व फ्लोरीकल्चर (पुष्प खेती) विभाग से इस बारे में बातचीत की, तो सभी ने बताया कि कोरोना वायरस ने फूलों की खेती को डंक मारकर किसानों को लाखों का नुकसान पहुंचाया है।
फूलों की खेती से हुआ लाखों का नुकसान
प्रो. एवं डॉ. परमिंदर सिंह फ्लोरीकल्चर एंड लैंड स्केपिंग विभाग ने बताया कि कोरोना वायरस के कारण हर तरफ पाबंदी होने के कारण इस बार विवाह सहित मंदिर एवं गुरुद्वारे बंद होने कारण फूलों की खपत बिलकुल बंद हो गई थी। जिससे मार्च से फूलों की बिक्री बंद होने कारण फलोरीकल्चर विभाग बहुत प्रभावित हुआ है। सूबे में करीब 1200-1300 किसान फूलों की खेती करते हैं। मगर, लॉकडाउन के कारण किसानों की फूलों की खेती खेतों ही खड़ी रही और बाद में मजबूरन किसानों को इसे जमीन में ही मिलाना पड़ा। इससे संबंधित किसानों को लाखों का नुकसान हुआ है।
फूलों को छोड़ अब सब्जी की खेती की ओर किया रूख
फूलों की खेती करने वाले गांव मांगट के किसान लखबिंद्र सिंह ग्रेवाल ने बताया कि कोरोना वायरस के कारण फूलों की खेती पूरी तरह प्रभावित हुई है। विवाह न होने और धाॢमक स्थल बंद होने कारण बिक्री न होने के कारण फूलों से कोई कमाई नहीं हुई। इस कारण फूलों की पूरी फसल को खेतों मे ही जोतना पड़ा। पहले नोटबंदी के कारण फूलों के तहत एरिया आधा किया था और अब कोरोना वायरस के कारण हुए नुकसान के मद्देनजर फूलों की खेती से मुंह मोड़ लिया है।
कोरोना के कारण हुआ 10 लाख का नुकसान
गुरविंदर सिंह सोही 20 एकड़ में ग्लेडुलस, गैंदा व मौसमी फूलों की खेती करते हैं। इस बार कोरोना वायरस के कारण विवाह व अन्य समारोह बंद के होने कारण फूलों की खपत न होने से उन्हेंं लगभग 10 लाख रुपये का नुकसान हुआ है। सोही ने बताया कि अभी लॉकडाउन खुलने का इंतजार है, क्योंकि फूलों के बीजों की खेती के लिए पनीरी कोलकाता से आनी है।
शेरगिल फार्म फ्रेश का गुलाब बने सहारा
शेरगिल फार्म फ्रेश के मालिक गुरप्रीत सिंह15 एकड़ में गैंदा, गुलदाउदी, ग्लेडुलस, मैथेओल, स्टैटास, जिप्सफिला व देसी गुलाब की खेती करते है। उन्होंने बताया कि खुले व कटे फूलों का मंदिर, गुरुद्वारों व विवाह समारोह में ज्यादा प्रयोग होता था। मगर, लॉकडाउन का असर फूलों की खेती पर पड़ा। इसके कारण अधिकतर फूलों की फसल को जमीन में ही मिलाना पड़ा।
फूलों की खेती करने वालों को मुआवजा दिलाने का प्रयास
दलबीर सिंह फ्लोरीक्लचर के नोडल अफसर बागबानी विभाग पंजाब के दलबीर सिंह ने बताया कि कोरोना वायरस के कहर से फूलों की खेती पूरी तरह प्रभावित हुई है। जिला लुधियाना में गैंदा, देसी गुलाब, सीड-ड्राप्स व ग्रीन हाउस में खेती होती है। लुधियाना के तहत 64.4 हेक्टेयर में से लूज फ्लावर की 38.2 हेक्टेयर में, सीड-ड्राप्स की 24.4 हेक्टेयर में व कट फ्लावर की 1.8 हेक्टेयर में खेती होती है। हर वर्ष लूज फ्लावर से 556500 किलो, सीड-ड्राप्स से 4039 किलो व कट-फ्लावर में 9 लाख छड़ी का उत्पादन होता है। इस तरह वर्ष भर में होने वाले समारोहों में फूलों की खपत होती थी। मगर, इस बार फूलों की खपत न होने कारण किसानों को बहुत नुकसान हुआ है।