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पीएयू गेट पर अंग्रेजी में नाम लिखने से छिड़ा विवाद, पंजाबी की अनदेखी पर गुस्‍सा

लुधियाना स्‍िथत पंजाब कृषि विश्‍वविद्यालय के गेट पर अंग्रेजी में नाम लिखवाना और पंजाबी की अनदेखी करने पर बहस छिड़ गई है। सोशल मीडिया पर इस बाबत कमेंट्स का दौर चल रहा है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Fri, 14 Apr 2017 02:56 PM (IST)Updated: Fri, 14 Apr 2017 05:18 PM (IST)
पीएयू गेट पर अंग्रेजी में नाम लिखने से छिड़ा विवाद, पंजाबी की अनदेखी पर गुस्‍सा
पीएयू गेट पर अंग्रेजी में नाम लिखने से छिड़ा विवाद, पंजाबी की अनदेखी पर गुस्‍सा

लुधियाना,[आशा मेहता]। पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (पीएयू) एक नए विवाद में घिर गया है। विवाद की वजह बना है यूनिवर्सिटी का गेट नंबर एक। हाल ही में फिरोजपुर रोड पर एक नंबर गेट के पास ही बनवाए गए भव्य 'दोमोरी' गेट पर यूनिवर्सिटी प्रशासन ने पंजाबी की जगह अंग्रेजी में पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी लिखवा दिया है। इसके बाद भाषा को लेकर विवाद शुरू हो गया है आैर सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई है। लोग पीएयू पर पंजाबी भाषा की अनदेखी व अंग्रेजी को तवज्जो देने का आरोप लगा रहे हैं।

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विदेश में बसे पीएयू के पुराने विद्यार्थी, शिक्षक व कर्मचारी भी फेसबुक व ट्विटर के जरिये आपत्ति जता रहे हैं। कुछ ने तो विश्‍वविद्यालय प्रबंधन के इस कदम को प्रधानमंत्री नरेंद्र 'मोदी और  मोहन भागवत के साथ भी 'लिंक' कर दिया है।

पीयू के खिलाफ साेशल मीडिया पर कमेंट्स की आई 'बाढ़'

इस मामले को लेकर सोशल मीडिया पर कमेंट्स की बाढ़ आ गई है। फेसबुक पर अपनी पोस्ट पर पीएयू के पूर्व डायरेक्टर (एक्सटेंशन एजुकेशन) सरजीत सिंह गिल ने लिखा है, 'पीएयू द्वारा बनवाए गए नए गेट, सीड बैग व डिस्प्ले बोर्ड से पंजाबी के गायब होने से लोगों में रोष है। पंजाबी के साथ ऐसा भेदभाव आखिर क्यों...?'

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गडवासू के पूर्व असिस्टेंट रजिस्ट्रार रणजीत सिंह ने कमेंट्स किया है, 'पीएयू वीसी जो खुद इक चंगे पंजाबी हन, जिहनां नूं भाई वीर सिंह ते धनी राम चार्तिक दिया कवितावां वी जुबानी याद हन, पंजाबी नू किवै अखो परोख कर सकदे हन? बड़ी हैरानी दी गल है..।' यानि पीएयू के वीसी खुद एक पंजाबी हैं, जिनको भाई वीर सिंह और धनी राम चार्तिक की कविताएं जुबानी याद हैं। तो वे पंजाबी की ऐसे कैसे अनदेखी कर सकते हैं? यह बड़ी हैरानी की बात है।

फेसबुक पर पोस्‍ट किया गया एक कमेंट।

कनाडा में रह रहे अमरजीत भुल्लर ने कमेंट किया है, 'यूनिवर्सिटी में टेलेंट की कोई कमी नहीं है। लेकिन, शासन प्रबंध में एकेडिमिकता कम और ब्यूरोक्रेसी ज्यादा है। यहां हर कोई अपनी बात कहने से हिचकिचाता है। ऐसे में कोई सुझाव न आने से गलत फैसले लिए जा रहे हैं।' एक अन्य कमेंट्स में पीएयू में अपनी सेवाएं दे चुके व ओंटारियो में रह रहे तरलोचन आहुजा ने कमेंट किया है, ' ..अब, पंजाबी लैंगवेज को भूल जाइए। यहां मोदी, भागवत व योगी की छाप ही दिखेगी।'

फेसबुक पर पोस्‍ट किया गया एक कमेंट।

वीसी को भेजी ईमेल : डॉ.गिल

पीएयू के पूर्व डायरेक्टर (एक्सटेंशन एजुकेशन) सरजीत सिंह गिल ने बताया कि कुछ दिन पहले ही उन्होंने यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर को ई-मेल भेजकर गेट पर अंग्रेजी में पीएयू का नाम लिखवाए जाने को लेकर विरोध जताया था। ईमेल में लिखा था कि पीएयू को किसानों के लिए बनाया गया था। किसानों की मां बोली पंजाबी है। सरकारी बोली भी पंजाबी है। कम से कम पंजाब में तो पंजाबी का स्थान पहने नंबर पर होना चाहिए है। इसके बाद दूसरे राज्यों व विदेशों से आने वाले डेलीगेट्स की सुविधा के लिए नीचे अंग्रेजी में यूनिवर्सिटी का नाम भी लिखा जा सकता है। किसानों की सुविधा के लिए कैंपस के अंदर लगे डिस्प्ले बोर्ड, नक्शा व बीज के बैग्स पर भी पंजाबी में जानकारी होनी चाहिए।

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गंभीरता से करेंगे विचार : डॉ. बलदेव सिंह

इस बाबत पीएयू के वाइस चांसलर डॉ. बलदेव सिंह ढिल्लों ने कहा, मामला मेरे ध्यान में आ गया है। मैं इस मसले पर गंभीरता से विचार करूंगा।


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